नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के मुंबई (Mumbai) स्थित ऑफिस में 9 सितंबर को बीएमसी (BMC) द्वारा की गई तोड़फोड़ को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में चल रहे मामले में अभिनेत्री ने जीत हासिल कर ली है। इस मामले में 5 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने सुनवाई की थी और दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसे आज सुना दिया गया है।
इस फैसले बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि बीएमसी द्वारा अभिनेत्री कंगना रनौत के बंगले के हिस्से को ध्वस्त करने की कार्रवाई द्वेषपूर्ण कृत्य था और अभिनेत्री को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था। अदालत ने यह भी कहा कि अदालत किसी भी नागरिक के खिलाफ प्रशासन को ‘बाहुबल’ का उपयोग करने की मंजूरी नहीं देता है। न्यायमूर्ति एस जे काठवाला और न्यायमूर्ति आर आई चागला की पीठ ने कहा कि नागरिक निकाय द्वारा की गई कार्रवाई अनधिकृत थी और इसमें कोई संदेह नहीं है। पीठ ने कहा कि नागरिक निकाय ने एक नागरिक के अधिकारों के खिलाफ गलत इरादे से कार्रवाई की है।
रनौत ने बीएमसी से हर्जाने में दो करोड़ रुपये मांगे थे और अदालत से बीएमसी की कार्रवाई को अवैध घोषित करने का आग्रह किया था। मुआवजे के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि अदालत नुकसान का आकलन करने के लिए मूल्यांकन अधिकारी नियुक्त कर रही है जो याचिकाकर्ता और बीएमसी को विध्वंस के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान पर सुनवाई करेगा।
अदालत ने कहा, ‘मूल्यांकन अधिकारी मार्च 2021 तक मुआवजे पर उचित आदेश पारित करेगा।’’ इसके साथ ही अदालत ने विध्वंस के आदेश को रद्द कर दिया है।
बीएमसी ने अवैध निर्माण बताकर की थी तोड़फोड़ 9 सितंबर को बीएमसी ने कंगना रनौत के ऑफिस में कुछ हिस्सों को अवैध बताते हुए तोड़फोड़ की थी जिसके विरोध में कंगना ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद कोर्ट ने बीएमसी द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
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हाई कोर्ट ने पूछा था ये सवाल बॉम्बे हाई कोर्ट ने कंगना के ऑफिस में अवैध निर्माण को तोड़ने की बीएमसी की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए पूछा था कि नगर निकाय के अधिकारी मालिक की गैरमौजूदगी में संपत्ति के भीतर क्यों गए। वहीं दूसरी तरफ, भाजपा विधायक आशीष शेलार ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार बदले की राजनीति कर रही है।
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बीएमसी का ये था कहना बीएमसी के मुताबिक कंगना ने पाली हिल वाले बंगले में बिना अनुमति कई बदलाव किए जिसके खिलाफ पांच सितंबर को पहला नोटिस दिया गया। इसके बाद अदालत यह जानना चाहती थी कि बदलाव गैर कानूनी था या नहीं, क्या वह पहले से ही मौजूद था क्योंकि बीएमसी कानून की धारा-354ए के तहत महानगरपालिका केवल गैर कानूनी तरीके से चल रहे निर्माण कार्य को ही रोक सकती है।
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कंगना ने की थी 2 करोड़ के मुआवजे की मांग कंगना ने अपने बंगले में की गई कथित तोड़फोड़ के लिए बीएमसी से दो करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कंगना के इस कदम के बाद बीएमसी में खलबली मच गई थी।
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