Monday, Dec 11, 2023
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film chhichhore movie review in hindi

Movie Review: दमदार डायरेक्शन और खूबसूरत मैसेज से दिलों को छूती 'छिछोरे'

  • Updated on 9/5/2019
  • Author : Alka Jaiswal

फिल्म -  छिछोरे/Chhichhore
निर्देशक - नितेश तिवारी
स्टारकास्ट - सुशांत सिंह राजपूत, श्रद्धा कपूर, वरुण शर्मा, प्रतीक बब्बर
रेटिंग - 4 (****) / 5

अक्सर हम हार-जीत, सक्सेस और फेलियर के बीच इस तरह से फंस जाते हैं कि भूल जाते हैं कि जिंदगी में सबसे जरूरी होती है 'जिंदगी'...


नई दिल्ली/अल्का जायसवाल। जी हां, ये वो हकीकत है जिससे हम सभी कहीं न कहीं इत्तेफाक रखते हैं। जिंदगी के इसी सच का आईना दिखाने फिल्म 'छिछोरे' (Chhichhore) 6 सितंबर को सभी सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। ये फिल्म ना सिर्फ दोस्ती (Friendship) की एक बेमिसाल कहानी कहती है बल्कि हम सभी को एक खूबसूरत मैसेज भी देती है। हालांकि फिल्म देखकर आपको '3 ईडियट्स' (3 Idiots) की थोड़ी याद जरूर आएगी लेकिन फिल्म का कॉन्सेप्ट उससे बिल्कुल अलग है। फिल्म आपको हंसाएगी भी, रुलाएगी भी और आपके दोस्तों के साथ गुजारे कुछ हसीन पलों की खूबसूरत यादों को आपके जहन में एक बार फिर से जिंदा भी कर जाएगी। फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput), श्रद्धा कपूर (Shraddha Kapoor), वरुण शर्मा (Varun Sharma) और प्रतीक बब्बर (Prateik Babbar) मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं। 'दंगल' (Dangal) के बाद इस फिल्म के द्वारा नितेश तिवारी (Nitesh Tiwari) एक बार फिर अपने डायरेक्शन से सभी का दिल जीतने में कामयाब रहे हैं। फिल्म की सबसे खास बात है कि ये हम सभी की जिंदगी से आसानी से खुद को कनेक्ट कर लेती है। अगर आप भी ये फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले पढ़ें ये मूवी रिव्यू (Movie Review)

जिंदगी से जोड़ती 'कहानी' (Story of Chhichhore)
कहानी शुरू होती है 45 साल के अनिरुद्ध (सुशांत सिंह राजपूत) से जो अपनी पत्नी माया (श्रद्धा कपूर) से तलाक लेकर अपने बेटे राघव के साथ अलग रहता है। राघव कॉम्पटीटिव एग्जाम देने के बाद उनके रिजल्ट को लेकर टेंशन में रहता है। एक दिन एग्जाम का रिजल्ट आता है जो हर किसी की जिंदगी पूरी तरह से बदल देता है। एग्जाम में राघव पास नहीं हो पाता और लूजर कहलाने का डर उसके अंदर इस कदर घर कर जाता है कि वो ये प्रेशर बर्दाश्त नहीं कर पाता और आत्महत्या की कोशिश करता है।

इस एक्सीडेंट में राघव की जान तो बच जाती है लेकिन वो कोमा में चला जाता है। राघव की हालत काफी गंभीर होती है जिससे अनिरुद्ध और माया काफी परेशान हो जाते हैं। जब अनिरुद्ध को पता चलता है कि लूजर कहलाने के डर से राघव ने ये कदम उठाया तब अनिरुद्ध फैसला करता है राघव को अपनी कहानी सुनाने का और यहीं से शुरू होती है 'छिछोरे' की कहानी। फिल्म जाती है फ्लैशबैक में जहां से शुरू होती है हॉस्टल लाइफ की मस्ती, कॉमेडी और रोमांस। कॉलेज में अनिरुद्ध को मिलते हैं उसके दोस्त सेक्सा (वरुण शर्मा), एसिड (नवीन पोलिशेट्टी), डेरेक (ताहिर राज भसीन), बेवड़ा (सहर्श कुमार शुक्ला) और मम्मी (तुषार पांडे) मिलते हैं। इसके साथ ही मिलती है माया (श्रद्धा कपूर) जिसके साथ उसकी लव स्टोरी शुरू होती है। इसके साथ ही मिलता है रैगी (प्रतीक बब्बर) जिससे अनिरुद्ध की टक्कर होती है।

अनिरुद्ध कहानी सुनाते हुए बताता है कि कैसे सभी जूनियर्स और सीनियर्स एक दूसरे के दोस्त बन जाते हैं, कैसे लूजर का टैग हटाने के लिए सभी एक चैंपियनशिप का हिस्सा बन जाते हैं। अब क्या वो ये चैंपियनशिप जीत पाते हैं और राघव पर इनकी कहानी का क्या असर पड़ता है ये तो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा। हां, हम आपको ये जरूर बता सकते हैं कि फिल्म फ्लैशबैक से निकलने के बाद फिर आज के समय में आ जाती है जहां पर वही पुराने दोस्त एक साथ खड़े नजर आते हैं।

किरदारों में जान डालती 'एक्टिंग' (Acting)
फिल्म की खास बात ये है कि इसमें हर एक किरदार ने अहम भूमिका निभाई है। इसमें किसी भी किरदार के बिना कहानी अपने मुकाम तक नहीं पहुंच सकती। यंग अनिरुद्ध (अन्नी) के किरदार में सुशांत ने जान फूंक दी है लेकिन उम्रदराज अनिरुद्ध के किरदार में सुशांत थोड़े फीके पड़े हैं। वहीं बात करें श्रद्धा कपूर तो उन्होंने यंग और उम्रदराज माया दोनों ही किरदार बखूबी निभाया है। इनके अलावा वरुण ने एक बार फिर से अपनी कॉमेडी से फिल्म में जान फूंक दी है। वरुण 'सेक्सा' के किरदार में बिल्कुल फिट बैठे हैं। प्रतीक बब्बर एक बार फिर अपने रॉबदार अंदाज में काफी जंचे हैं। फिल्म के बाकी सभी किरदारों को सभी एक्टर्स ने पूरी ईमानदारी से पर्दे पर जिया है।

दमदार 'डायरेक्शन' (Direction)
फिल्म 'दंगल' के बाद अपने दमदार डायरेक्शन के बाद नितेश सभी के दिल जीतने में कामयाब रहे हैं। निर्देशक नितेश तिवारी आपके सामने पर्दे पर ही एक रियलिस्टिक दुनिया बना देते हैं जिसमें आप कुछ को महसूस करने लगते हैं। कहीं भी उनका डायरेक्शन फीका पड़ता नजर नहीं आया है। ये कहना गलत नहीं होगा कि अपने डायरेक्शन के जरिए नितेश ने शायद अपनी ही कहानी को पर्दे पर दोबारा जिया है। फिल्म की कास्टिंग बहुत ही अच्छी की गई है जिसका पूरा श्रेय इसके कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबरा को जाता है।

खूबसूरत म्यूजिक (Music)
फिल्म में हालांकि गानें बहुत ज्यादा नहीं डाले गए हैं लेकिन जो भी सॉन्ग हैं वो सिचुएशन के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठते हैं। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी सीन्स को पूरी तरह से सपोर्ट करता है।

दिलों को छूते 'डायलॉग्स' (Dialogues)
डायलॉग्स इस फिल्म की जान हैं। कई डायलॉग आपको हंसा-हंसाकर लोट-पोट कर देंगे तो कई डायलॉग आपकी आंखों में आंसू भी ले आएंगे। वहीं फिल्म में कुछ डायलॉग ऐसे भी हैं जिन्हें सुनकर आप खुद को ताली बजाने से नहीं रोक पाएंगे।

सच्चे दोस्त वही होते हैं जो अच्छे वक्त में आपकी बजाते हैं और जब मुश्किल वक्त आता है तो वही छिछोरे आपके दरवाजे पर खड़े नजर आते हैं...

 

अक्सर हम हार-जीत, सक्सेस और फेलियर के बीच इस तरह से फंस जाते हैं कि भूल जाते हैं कि जिंदगी में सबसे जरूरी होती है 'जिंदगी'...

 

पता नहीं क्या जादू है कॉलेज लाइफ में, जहां अनजाने मिलते हैं और दोस्त बन जाते हैं जिंदगी भर के लिए... और ऐसे वैसे दोस्त नहीं, कुत्ते दोस्त...

इनके अलावा फिल्म में बहुत से ऐसे अडल्ट डायलॉग्स हैं जिसे सुनकर आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे।

क्या है खास

  • फिल्म आपको आपके कॉलेज के दिनों की याद दिलाती है जो आपको हंसाती भी है और इमोशनल भी कर जाती है।
  • एंटरटेन करने के साथ-साथ ये फिल्म आपको एक बहुत ही खूबसूरत मैसेज भी देती है।
     
  • फिल्म आपकी जिंदगी से बहुत ही आसानी से कनेक्ट हो जाती है।

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