नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। संजीव कुमार हिंदी सिनेमा जगत के वो स्टार जिन्होंने अपनी शानदार एक्टिंग से हर किरदार में जान डाल दी, वो किरदार आज भी सबके दिलों में जिन्दा हैं। इस महानायक का आज जन्मदिन है। बेशक ही संजीव कुमार अपने इस जन्मदिन पर हम सबके बीच नहीं हैं, लेकिन फिर भी सबके दिलों में अपनी खास जगह छोड़ गए हैं। आज भी लोग उनको ठाकुर के किरदार से जाना करते हैं, उनके इस किरदार ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ एक्टर बना दिया। वहीं उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनके जीवन के कुछ पहलू से रुबरू कराएंगे।
अपने सभी किरदारों में शानदार एक्टिंग से बन गए महानायक संजीव कुमार का पूरा नाम हरीभाई जरीवाला था। वे मूल रूप से गुजराती थे। इस महान कलाकार का नाम फिल्मजगत की आकाशगंगा में एक ऐसे धुव्रतारे की तरह याद किया जाता है जिनके बेमिसाल अभिनय से सुसज्जित फिल्मों की रोशनी से बॉलीवुड हमेशा जगमगाता रहेगा। उन्होंने 'नया दिन नयी रात' फिल्म में नौ रोल किये थे। 'कोशिश' फिल्म में उन्होंने गूँगे बहरे व्यक्ति का शानदार अभिनय किया था। शोले फिल्म में ठाकुर का चरित्र उनके अभिनय से अमर हो गया।
उन्हें श्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के अलावा फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता व सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार दिया गया। वे आजीवन कुंवारे रहे और मात्र 47 वर्ष की आयु में सन् 1984 में हृदय गति रुक जाने से मुम्बई में उनकी मृत्यु हो गई।
अंधविश्वास के चलते गई जान 1960 से 1984 तक पूरे पच्चीस साल तक वे लगातार फिल्मों में सक्रिय रहे। संजीव कुमार ने विवाह नहीं किया लेकिन प्यार कई बार किया था। उन्हें यह अन्धविश्वास था की उनके परिवार में बड़े बेटे के 10 साल का होने पर पिता की मृत्यु हो जाती है। इनके दादा, पिता और भाई सभी के साथ यह हो चुका था। संजीव कुमार ने अपने दिवंगत भाई के बेटे को गोद लिया और उसके दस वर्ष का होने पर संजीव की मृत्यु हो गयी। संजीव कुमार लजीज भोजन के बहुत शौकीन थे।
कोई भी किरदार को निभाने से कभी परहेज नहीं किया बीस साल की आयु में गरीब मध्यम वर्ग के इस युवा ने कभी भी छोटी भूमिकाओं से कोई परहेज नहीं किया। 'संघर्ष' फिल्म में दिलीप कुमार की बांहों में दम तोड़ने का दृश्य इतना शानदार किया कि खुद दिलीप कुमार भी सकते में आ गये। स्टार कलाकार हो जाने के बावजूद भी उन्होंने कभी नखरे नहीं किये। उन्होने जया बच्चन के ससुर, प्रेमी, पिता और पति की भूमिकाएं भी निभायीं।
जब लेखक सलीम खान ने इनसे त्रिशूल में अपने समकालीन अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के पिता की भूमिका निभाने का आग्रह किया तो उन्होंने बेझिझक ये भूमिका स्वीकार कर ली और इतने शानदार ढंग से निभायी कि उन्हें ही केन्द्रीय करेक्टर मान लिया गया। हरीभाई ने बीस वर्ष की आयु में एक वृद्ध आदमी का ऐसा जीवन्त अभिनय किया था कि उसे देखकर पृथ्वीराज कपूर भी दंग रह गये।
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