Sunday, Apr 02, 2023
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Film Review: दमदार अभिनय और बेहतरीन कहानी का मेल है रंगून

  • Updated on 2/24/2017

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नई दिल्ली/टीम डिजिटल। विशाल भारद्वाज ने इस बार 40 के दशक में भारत में होने वाली गतिविधियों पर आधारित 'रंगून' फिल्म बनाई है। पहली बार किसी हिंदी फिल्म को देखकर आपको लगेगा कि आप हॉलीवुड में बना कोई पीरियड ड्रामा देख रहे हैं। वैसे ये फिल्म 2-3 अंग्रेजी फिल्मों से प्रभावित लगती है। फिल्म की कहानी, किरदारों का इमोशन, प्यार का दर्द और प्रेमियों की दुनिया में टकराव बेहतरीन तरह से दर्शाया गया है। फिल्म की खासियत इसका फिल्मांकन, स्पेशल इफेक्ट्स, युद्ध के बेहतरीन दृष्य, और जानदार संवाद है।

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Navodayatimesयह कहना गलत नहीं होगा कि अदाकारी के लिहाज से कंगना सब पर भारी हैं, वहीं शाहिद और सैफ की जितनी तारीफ की जाए कम है। तारीफ के हकदार तो फिल्म के डायरेक्टर विशाल भरद्वाज भी हैं।  

फिल्म का म्यूजिक ठीक ठाक है, लेकिन हर किसी को यह म्यूजिक पसंद नहीं आएगा। यही हम फिल्म के बारे में कह सकते है कि हर तरह के लोगों के लिए ये फिल्म नहीं है। 

Navodayatimesकहानी- 
'रंगून' की कहानी 1943 पर आधारित है, उस समय भारत पर ब्रिटिशर्स का शासन था और उसी दौरान मिस जूलिया (कंगना रनौत) बहुत ही फेमस अभिनेत्री हुआ करती थी। जूलिया को बर्मा की सीमा पर सैनिकों का मनोरंजन करने के लिए भेजा जाता है। यहां जूलिया को एक भारतीय सिपाही नवाब मलिक (शाहिद कपूर) से इश्क हो जाता है।

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जूलिया अपने पहले प्रेमी रूसी बिलिमोरिया (सैफ अली खान) के पास वापस मुंबई लौटती है। रूसी एक फिल्म प्रोड्यूसर है और जूलिया के लिए फिल्में बनाता है। जूलिया के प्यार में रूसी अपनी बीवी को तलाक भी दे चुका है। कहानी में इमोशनल पड़ाव तब आता है जब रूसी को जूलिया और नवाब के अफेयर का पता चलता है। कहानी में कई सारे ट्विस्ट टर्न्स आते हैं और आखिर में फिल्म प्रेम और देशप्रेम के लिए बलिदान की दास्तां बनकर खत्म होती है। 

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