Monday, Mar 27, 2023
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Movie Review: कागज की अहमियत सिखाती है पंकज त्रिपाठी की ये फिल्म 'Kaagaz'

  • Updated on 1/7/2021

फिल्म:  कागज
स्टार: पंकज त्रिपाठी,सतीश कौशिक,एम मोनल गज्जर,मीता वशिष्ठ,अमर उपाध्याय,नेहा चौहान,संदीपा धर,ब्रिजेंद्र काला
डायरेक्टर : सतीश कौशिक
स्टार: 4*स्टार

नई दिल्ली/अनुज श्रीवास्तव। कहने को एक कागज सिर्फ एक पेपर होता है लेकिन जब उस पर एक सरकारी मुहर लग जाती है तो वो किसी की जिंदगी और मौत का फैसला कर देता है। ऐसी ही एक सत्य घटना पर आधारित लेखक-निर्देशक सतीश कौशिक की फिल्म कागज जी 5 पर रिलीज हो गई है।जी 5 ( Zee 5) रिलीज हुई ये संघर्ष की कहानी 'लाल बिहारी' की है जिसको जीते जी सरकारी कागज पर मृत घोषित कर दिया गया।

कहानी
फिल्म की शुरुआत उत्तर प्रदेश के खलीलाबाद के एक छोटे से गांव से होती है। जहां पर  भरत लाल यानी कि पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) जो एक बैंड वाला है वो अपने परिवार के साथ अच्छे से जिंदगी बिता रहा है लेकिन एक दिन उसकी पत्नी आती है और उससे  दुकान बड़ी करने को कहती है पहले तो भरत लाल कहता है कि यही सही चल रही है लेकिन बाद में पत्नी के कहने पर वो मान जाता है। उसके बाद वो लोन के लिए बैंक में जाता है जहां उससे कहा जाता है पैसे लेने के लिए कुछ चीज गिरवी रखनी पड़ेगी तो उसे याद आता है कि गांव में उसकी एक जमीन है। जब उस जमीन के कागज लेने के लिए गांव के लेखपाल के ऑफिस में पहुंचता है तो कहानी में नया ट्विस्ट आता है कि उसके चाचा-चाची ने उसे सरकारी कागज में मरा हुआ घोषित करते हुए उसकी जमीन हड़प ली है।

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अब अपनी जमीन वापिस लाने के लिए भरत लाल हर वो कोशिश करता है जो उसे लोग कहते हैं। पहले वो लेखपाल को खत लिखता है फिर जिला अधिकारी को उसके बाद डीएम को उसके बाद सीएम को और फिर पीएम को हर कोई उससे यहीं कहता है कि काम तुम्हारा लेखपाल ही कर सकता है।

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इसके बाद जब भरत लाल का  काम ऐसे भी नहीं बनता है तो वो सोचता है अब कानून का सहारा ही लेकर ही कुछ काम बन सकता है तब उसकी मुलाकत साधूराम (सतीश कौशिक) नाम का वकील से होती है लेकिन फिर भी भरत लाल का नाम सरकारी कागज पर नहीं आ पता है। अब धीरे धीरे भरत लाल का सब्र टूटता दिखाई देता है लेकिन फिर वो हार नहीं मानता है। अब उसे पता चल गया था कि कुछ अलग करके ही वो सरकारी कागज में जिंदा हो सकता है। अब वो मृतक भरत लाल से जिंदा भरत लाल बन पाता है कि या नहीं ये देखने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

एक्टिंग
ओटीटी पर लगातार हिट सीरीज और फिल्में दे चुके बॉलीवुड एक्टर पंकज त्रिपाठी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी एक्टिंग का कोई तोड़ नहीं है। भले ये फिल्म थी लेकिन उन्होंने अपने किरदार से लाल बिहारी के दर्द के साथ ही उन सभी के दर्द को समझाया है जो जिंदा तो हैं लेकिन सरकारी कागजों में उन्हें मार दिया गया है।वहीं भरत लाल की पत्नी रुक्मणि के किरदार में एम मोनल गज्जर और वकील साधुराम के किरदार में सतीश कौशिक ने भी अपनी एक्टिंग से हर किसी का दिल जीत लिया है। ऐसा कह सकते हैं कि सभी एक्टर ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।

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डायरेक्शन
फिल्म के निर्देशन की बात करें तो सतीश कौशिक ने इस फिल्म का निर्देशन तो किया ही उन्होंने इसमें एक्टिंग भी की है। उन्होंने कई बार अपनी एक्टिंग से कहानी को संभाला है।इसके साथ ही कहानी में अपहरण करना-FIR के लिए भरत लाल की तिकड़म फिल्म को अलग रूप देती हुई दिख रही है। 

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