फिल्म- भीड़ (Bheed) डायरेक्टर- अनुभव सिन्हा ( Anubhav Sinha) स्टारकास्ट- राजकुमार राव ( Rajkummar Rao ), भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar ) ,दिया मिर्जा (Dia Mirza), कृतिका कामरा ( Kritika Kamra), आशुतोष राणा ( Ashutosh Rana) रेटिंग- 3.5
Bheed Film Review: कोरोना काल अपने आप में इतना कुछ समेटे हुए है जिसे शब्दों पर बयां कर पाना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन अनुभव सिन्हा ने अपनी फिल्म 'भीड़' में इसे दिखाने की कोशिश की है। साल 2020 , एक ऐसा वक्त जिसने सामाज के लोगों को बिल्कुल बांट कर रख दिया। लोग अपने घरों में न चाहते हुए कैद होने को मजबूर हो गए, हर तरफ सिर्फ मायूसी और मुसीबतें। यह समय सबसे ज्यादा मजदूर वर्ग के लिए कठिन साबित हुआ। देश में लगे संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान हमारे सामने कई ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिसे देखने के बाद हर किसी का दिल पसीज गया। 'भीड़' इसी दर्दनाक मंजर पर आधारित है। तो आइए जानते है कैसी है फिल्म...
कहानी फिल्म की कहानी में मजदूरों की समस्याओं को प्रमुख रूप से दिखाया गया है। जो अपने गांव को छोड़ कर रोजी रोटी की तलाश में शहर आए थे। लेकिन देश में लॉकडाउन ने उन्हें इस तरह से तबाह कर दिया कि उन्हें वापस अपने गांव जाने के मजबूर कर दिया। जैसे-तैसे वह अपने घर जाने के लिए निकल पड़े, लेकिन कोरोना के डर से स्टेट बॉर्डर बंद हो जाते है। जिससे घर पहुंचना तो दूर खाने-पीने के लिए तरस जाते हैं। इन्ही हालातों में दीया मिर्जा अपनी बेटी को लेने के लिए यूपी बॉर्डर क्रॉस करना चाहती है क्योंकि इसकी बेटी दूसरे राज्य में पढ़ाई करती है, लेकिन वह वहीं फंस जाती है। वहीं एक लड़की अपने बीमार पिता की हालात देख नहीं पाती है और उन्हें साइकिल पर ही बैठाकर कई किलोमीटर का सफर तय करती है।
राजकुमार राव ड्यूटी इंचार्ज के रूप में लोगो के लिए मदद का हाथ बढ़ाने का काम करते हैं लेकिन जातिवाद यहां भी आडे आ जाता है। भूमि पे़डनेकर एक डॉक्टर के रूप में लोगों की मदद करने की हर संभव कोशिश करती है। हर किसी की जिंदगी अलग-अलग परेशानियों में फंसी हुई है। कोई अपनी बेटी के लिए परेशान है, किसी के पिता बीमार है, कोई घर जाना चाहता है तो कोई अपनी ड्यूटी और मानवता के बीच झूल रहा है। हर तरफ सिर्फ मुश्किलें ही मुश्किलें जिसका कोई इलाज नहीं है।
एक्टिंग राजकुमार राव अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए जाने जाते है, यहां भी उन्होंने उम्मीद के मुताबिक शानदार काम किया है।डॉक्टर के किरदार में भूमि पेडनेकर ने भी अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। एक मां के किरदार में दीया ने भी लाजवाब एक्टिंग की है। सीनियर पुलिस अफसर के किरदार में आशुतोष राणा ने भी बढ़िया काम किया है।
डायरेक्शन 'आर्टिकल 15', 'मुल्क' और 'थप्पड़' जैसी फिल्मों के बाद अनुभव सिन्हा एक बार फिर समाज को आइना दिखाने के लिए हाजिर हैं। इस बार भी उन्होंने बेहतरीन काम किया है। फिल्म के कुछ सीन आपकी आंखों का नम कर देंगे। हर सीन अपने आप में एक खास संदेश लिए हुए है। डायलॉग्स पर अच्छा काम किया गया है। फिल्म पूरी तरह ब्लैक एंड व्हाइट होने के बावजूद आपके मन पर गहरी छाप छोड़ेने में कामयाब होती है और 2020 के उस भयानक दौर की दर्दनाक हकीकत को आपसे रूबरू कराती है।
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