Sunday, Mar 26, 2023
-->
ramayan-untold-stories-sosnnt

Ramayan: 10 रुपये और खाना फ्री में देकर आर्टिस्ट बुलाया करते थे रामानंद सागर

  • Updated on 5/11/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। रामानंद सागर (Ramanand Sagar) की 'रामायण' (Ramayan) को दर्शकों की तरफ से जो प्यार और सम्मान मिला है, वह वाकई में काबिले तारीफ है। जी हां, लॉक डाउन (lockdown) में पूरे 33 साल बाद इस पौराणिक सीरियल को दोबारा दूरदर्शन पर देखकर दर्शक बेहद खुश हुए। ऐसे में नई पीढ़ी के लिए 'रामायण' एक वरदान साबित हुआ है। वहीं जबसे 'रामायण' का प्रसारण शुरू हुआ है, इस सीरियल के सभी किरदार खूब चर्चा में बने हुए हैं। वही सीरियल से जुड़े कई सारे

प्रेम सागर ने बताया यह किस्सा
तो चलिए आज हम आपको 'रामायण' से जुड़ा एक मजेदार किस्सा सुनाते हैं जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इस पौराणिक सीरियल को डायरेक्ट करने वाले रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर (prem Sagar) ने हाल में एक इंटरव्यू मैं कई सारी बातों का खुलासा किया।

प्रेम सागर बताते हैं कि 'रामायण की पूरी शूटिंग उमरगांव में हुई थी। ऐसे में भगवान के दर्शन करने की इच्छा रखकर लोग लोग दूर दूर से लंबा सफर तय कर शूटिंग देखने आया करते। सिर्फ आम जनता ही नहीं बल्कि कई बार तो बड़ी-बड़ी हस्तियां भी शूटिंग देखने आया करती थीं। ऐसे में सेट पर लोगों के ठहरने से लेकर छोटे बच्चों के दूध तक का भी इंतजाम किया जाता था।'

इस तरह बनाए जाते थे जूनियर आर्टिस्ट
प्रेम सागर ने आगे कहा कि 'सैनिकों की फौज के लिए हमें बड़ी तादाद में जूनियर आर्टिस्ट की जरूरत होती थी। ऐसे में गांव में ढोल नगाड़े बजाकर सभी को यह कहकर बुलाया जाता था कि काम करने वाले को फ्री में खाना और 10 रुपये इनाम दिए जाएंगे। इतने सारे सैनिकों को इकट्ठा करना बेहद मुश्किल काम था। प्रेम सागर ने यह भी कहा कि 'पहले कभी इस तरह का शो बना नहीं था जिस वजह से हमें कई सारी चीजों की जानकारी नहीं थी लेकिन बाद में यही शो ट्रेंड सेटर बन गया।'

आपको बता दें कि शूटिंग का कोई समय नहीं होता था। कई बार तो हनुमान का किरदार निभाने वाले दिग्गज कलाकार दारा सिंह (Dara Singh) को आधी रात 3 बजे से ही अपने मेकअप करवाया करते थें।

Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।
comments

.
.
.
.
.