नई दिल्ली/टीम डिजिटल। प्रसिद्ध शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खां (Bismillah Khan) भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन आज भी उनके शहनाई के मधुर स्वर सभी को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। उनकी मौत पर सरकार ने राष्ट्रीय शोक घोषित किया था। वहीं अपना पूरा जीवन संगीत को समर्पित करने वाले बिस्मिल्लाह खां के बारे में आज हम आपको एक ऐसी बात बताएंगे जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। तो चलिए आज उनके 107वें जन्मदिन (Ustad Bismillah Khan Birth anniversary) के खास मौके पर जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें।
जब नेहरूजी से बहस कर बैठे थे Ustad Bismillah Khan जब देश को आजादी मिली थी, तब शुरुआती दौर में बिस्मिल्लाह खां को नेहरूजी ने दिल्ली बुलाया और उनसे कहा कि आपको लाल किले में शहनाई बजानी है। आप पैदल-पैदल आगे चलना है और आपके पीछे-पीछे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आदि चलेंगे।
तब ऐसा सुन बिस्मिल्लाह खां बेहद नाराज हो गए थे। उन्होंने नेहरूजी से कहा कि मैं क्यों ऐसा करूं? मैंने हमेशा बैठकर शहनाई बजाई है। आजादी सिर्फ आपको नहीं मिली है, मुझे भी मिली है। इसके बाद नेहरूजी ने उन्हें बड़े प्यार से समझाते हुए कहा कि सिर्फ आप ही पैदल नहीं चलेंगे, आपके पीछे-पीछे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी चलेंगे और आप उनकी अगुवाई करेंगे। तब किसी तरह जानकर वो राजी हुए थे और गणतंत्र दिवस पर शहनाई बजाई। वहीं तबसे लेकर आज तक उनकी शहनाई गणतंत्र दिवस पर गूंजती है। आज भी हर साल 15 अगस्त को जब भी हमारे देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर भाषण देते हैं तो उसके फौरण बाद खान साहब की शहनाई बजती ही बजती है।
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