नई दिल्ली, टीम डिजिटल। हाल ही में गोवा में चल रहे 53वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) के समापन समारोह में इजरायली फिल्ममेकर और IFFI के जूरी हेड नदाव लैपिड ने विवेक अग्निहोत्री की 'द कश्मीर फाइल्स' को 'वल्गर' और 'प्रोपगैंडा' बताया था। साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह की मूवी को फेस्टिवल में दिखाना सही नहीं है। जिसके बाद पूरे देश में बवाल मच गया था। किसी ने उनका सपोर्ट किया था तो कोई उन्हें खरी-खोटी सुना रहा था। कश्मीरी पंडित तक नदाव लैपिड का जमकर विरोध कर रहे है। तो आइए जानते हैं कौन हैं नदाव लैपिड, जिन्होंने अपने एक बयान से पूरे देश में हलचल मचा दी।
#Breaking: #IFFI Jury says they were “disturbed and shocked” to see #NationalFilmAward winning #KashmirFiles, “a propoganda, vulgar movie” in the competition section of a prestigious festival— organised by the Govt of India. 🎤 Over to @vivekagnihotri sir… @nadavlapi pic.twitter.com/ove4xO8Ftr — Navdeep Yadav (@navdeepyadav321) November 28, 2022
#Breaking: #IFFI Jury says they were “disturbed and shocked” to see #NationalFilmAward winning #KashmirFiles, “a propoganda, vulgar movie” in the competition section of a prestigious festival— organised by the Govt of India. 🎤 Over to @vivekagnihotri sir… @nadavlapi pic.twitter.com/ove4xO8Ftr
कौन है नवाडा लेपिड नदाव लैपिड इज़रायली फिल्ममेकर हैं. उनका जन्म 1975 में तेल अविव में रहने वाले यहूदी परिवार में हुआ था. माता-पिता इज़रायली फिल्म इंडस्ट्री में काम करते थे. पिता राइटर थे और मां फिल्में एडिट किया करती थीं. लैपिड ने तेल अविव यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी की पढ़ाई की. इसके बाद वो इज़रायल की आर्मी से जुड़ गए. मैंडेटरी सर्विस के लिए. यहां से निकलने के बाद वो पेरिस चले गए. लैपिड पेरिस में लिटरेचर की पढ़ाई कर रहे थे. वो फिल्ममेकिंग का कोर्स करने के लिए वापस अपने देश लौटे. येरुसलेम के सैम स्पीगल फिल्म एंड टेलीविज़न स्कूल में दाखिला पाया.
फिल्ममेकिंग की पढ़ाई करने के साथ-साथ वो लिख भी रहे थे. 2001 में उनकी पहली नॉवल 'कंटिन्यूआ बाइलांडो' (Continua Bailando) प्रकाशित हुई. इसके बाद वो इज़रायल के कई डॉक्यूमेंट्री मेकर्स के साथ जुड़ गए. वो सिनेमैटोग्राफी किया करते थे. 2003 में नदाव लैपिड ने अपनी पहली डॉक्यूमेंट्री 'बॉर्डर प्रोजेक्ट' डायेरक्ट की. उसके बाद वो लगातार कई शॉर्ट फिल्मों और डॉक्यूमेंट्रीज़ पर काम करते रहे. अगले 7-8 सालों में उन्होंने 'रोड', 'एमिलीज़ गर्लफ्रेंड', 'Gaza Sderot' जैसे प्रोजेक्ट्स डायरेक्ट किए।
फिल्ममेकिंग, विवाद और फिलॉसफी 2011 में उन्होंने अपने करियर की पहली फिल्म 'पुलिसमैन' डायरेक्ट की। इस फिल्म के आधार पर उन्हें इज़रायल से निकलने वाले सबसे काबिल फिल्ममेकर्स में गिना जाने लगा। 'पुलिसमैन' ने दुनियाभर के फिल्म फेस्टिवल्स में कई अवॉर्ड जीते। प्रतिष्ठित लोकार्नो फिल्म फेस्ट में 'पुलिसमैन' को स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. येरुसलेम फिल्म फेस्टिवल में भी इस फिल्म ने कई अवॉर्ड अपने नाम किए.
आगे नदाव लैपिड ने The Kindergarten Teacher नाम की फिल्म डायरेक्ट की। ये फिल्म एक पांच साल के बच्चे के बारे में बात करती है, जो कविताएं लिखता है। 'द किंडरगार्टन टीचर' को 2014 कान फिल्म फेस्टिवल के इंटरनेशनल क्रिटिक्स वीक में प्रीमियर किया गया था।
2019 में नदाव लैपिड ने Synonyms नाम की फिल्म डायरेक्ट की। ये कमोबेश उनकी सेमी-ऑटोबायोग्राफिकल फिल्म थी। ये एक यंग इज़रायली लड़के की कहानी थी, जो इज़रायल में मिलिट्री सर्विस पूरी करने के बाद पेरिस चला जाता है। ये फिल्म एक इंसान और खुद के साथ उसके कॉम्पिलिकेटेड रिलेशनशिप के बारे में थी। वो अपने देश के बारे में फील कुछ करना चाहता है, मगर वो फील कुछ और करता है. 'सिनोनिम्स' ने प्रतिष्ठित बर्लिन फिल्म फेस्टिवल का टॉप प्राइज़ जीता।
2021 में नदाव की आखिरी फिल्म Ahed's Knee रिलीज़ हुई। ये एक फिल्ममेकर की कहानी थी, एक फिल्म के प्रीमियर के दौरान उसकी मुलाकात देश के कल्चरल मिनिस्टर से होती है। इसके बाद उसके जीवन में आमूलचूल बदलाव आ जाता है। उसे अपनी आज़ादी और अपनी मां की जान बचाने के लिए लड़ना पड़ता है. ये फिल्म इज़रायल में लोगों की आज़ादी छीनने और मिलिट्री के वर्चस्व पर कटाक्ष करती है।
इज़रायल में भी नदाव लैपिड पर लगते रहे हैं कई इल्ज़ाम इज़रायल में नदाव की फिल्ममेकिंग और उनके विचारों के आधार पर उनसे सवाल किए जाते हैं. सबसे बड़ा सवाल, जो उनके सामने अलग-अलग तरीके से खड़ा होता है, वो ये कि लैपिड देशभक्त हैं या देशद्रोही. लैपिड जिस तरह की फिल्में बनाते हैं, उसमें वो इज़रायल को वैसा ही दिखाते हैं, जैसा वो देश है। लैपिड अपनी फिल्मों में इज़रायल की उन्हीं कमियों को उजागर करते हैं। इसी वजह से उनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि वो अपने देश से प्रेम नहीं करते। या अन्य शब्दों में कहें, तो देशद्रोही हैं।
नदाव लैपिड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया से भी जुड़े रहे हैं। पिछले साल IFFI में उनकी फिल्म Ahead's Knee को 'सोल ऑफ एशिया सेक्शन' में प्रदर्शन के लिए बुलाया गया था. इस साल वो IFFI की ज्यूरी को हेड कर रहे थे।
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