Friday, Sep 29, 2023
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इंटरमिटेंट फास्टिंग डाईट से बढ़ता है मधुमेह का खतरा

  • Updated on 5/21/2018

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। एक अध्ययन के मुताबिक, वजन घटाने के लिए की जाने वाली इंटरमिटेंट फास्टिंग डाईट वास्तव में मधुमेह के उच्च जोखिम का कारण बनता है। इस लोकप्रिय डाईटिंग में ऐसे दिन होते हैं जहां पूरे दिन भूखा रहना होता है तो ऐसे दिन भी होते हैं जिसमें जो मन आए वो खा सकते हैं। इसे फड डाइट के रूप में भी जाना जाता है।

हाल के वर्षों में इंटरमिटेंट फास्टिंग डाईट लोकप्रिय हो गया है। हालांकि, यूरोपीय सोसायटी ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत एक अध्ययन के मुताबिक इंटरमिटेंट फास्टिंग डाईट आहार किसी व्यक्ति के मेटाबोलिज्म के लिए खराब हो सकता है।

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तीन महीने की अवधि में वयस्क चूहों पर शोधकर्ताओं द्वारा एक अध्ययन किया गया था। हालांकि अध्ययन अवधि में चूहे के शरीर के वजन और भोजन का सेवन कम हो गया है लेकिन उनके पेट में वसा ऊतकों की मात्रा में वास्तव में वृद्धि हुई। इसके अलावा, इंसुलिन को छोड़ने वाले पैनक्रियाज की कोशिकाओं की क्षति दिखाई दी। मुक्त कणों के बढ़ते स्तर और इंसुलिन प्रतिरोध के मार्करों की उपस्थिति का भी पता लगाया गया।

शोधकर्ताओं ने दावा किया कि यह पहला अध्ययन है कि वजन घटाने के बावजूद, इंटरमिटेंट फास्टिंग डाईट वास्तव में पैनक्रिया को नुकसान पहुंचा सकता है और सामान्य स्वस्थ व्यक्तियों में इंसुलिन फंक्शन को प्रभावित कर सकता है जो मधुमेह और अन्य गंभीर स्वास्थ्य परिस्थितियों का कारण बन सकता है। 

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इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि मोटे या अधिक वजन वाले लोग जो इंटरमिटेंट फास्टिंग डाईट का विकल्प चुनते हैं, उनमें पहले से ही इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, हालांकि इस डाईटिंग से शुरुआत में तेजी से वजन घटेगा लेकिन लंबे समय तक उनके स्वास्थ्य पर संभावित रूप से गंभीर हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं, जैसे टाइप -2 मधुमेह का विकास।

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