नई दिल्ली/टीम डिजिटल। आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल अब मरीजों के इलाज में भी होगा। हाल ही में कम्प्यूटर प्रोसैसर बनाने वाली अमरीकी कम्पनी इंटेल ने इंटैलीजैंट स्पाइन इंटरफेस प्रोजैक्ट पर काम शुरू कर दिया है। इससे रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कोर्ड) में लगी गंभीर चोट से लकवाग्रस्त (Paralyzed) होने वाले मरीजों को विशेष रूप से लाभ होगा।
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इस तकनीक का इस्तेमाल कर शरीर के निचले वाले हिस्से की मूवमैंट और ब्लैडर को नियंत्रण करने में मदद मिलेगी। द नैशनल स्पाइनल कोड इंजरी स्टैटीस्टिकल सैंटर के मुताबिक, अमरीका में स्पाइनल कोड की चोट से प्रभावित 291,000 लोग हैं। तकरीबन हर वर्ष 17000 से ज्यादा लोग स्पाइनल कोड की चोट के इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं।
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क्यों मायने रखती है
यह तकनीक रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord) की चोट खतरनाक होती है। चोट गंभीर होने पर शरीर के निचले हिस्से के अंग काम करना बंद कर सकते हैं। स्पाइनल कोड डैमेज होने पर शरीर खुद नर्व फाइबर्स को उत्पन्न नहीं कर सकता। इससे दिमाग के इलैक्ट्रिकल कमांड्स (संदेश) मांसपेशी तक नहीं पहुंच पाते। इससे शरीर के निचले हिस्से में लकवा होने की संभावना बढ़ जाती है।
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कैसे काम करेगी यह तकनीक
दो वर्षों तक चलने वाले इस प्रोजैक्ट में शोधकर्ता रीढ़ की हड्डी से आने वाले सिग्नल का डाटा रिकार्ड करेंगे। इसके डैमेज स्पाइनल कोड से कृत्रिम तंत्रिका नैटवर्क (न्यूरल नैटवर्क) से सिग्नल्स को कैसे स्टीमुलेट करें, यह शोध करेंगे। वहीं, सर्जन को इंटैलीजैंट बाईपास तकनीक के जरिए चोट के दोनों सिरों पर इलैक्ट्रोड इम्प्लांट करने में भी मदद मिलेगी। इस काम को अंजाम देने के लिए शोधकर्ता इंटेल के (AI) ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर nGraph और इंटेल के (AI) एक्सलरेटर हार्डवेयर का उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं।
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