नई दिल्ली/टीम डिजिटल। आज कल की व्यस्त जिंदगी में लोगों के लाइफस्टाइल में काफी बदलाव आ गया है। जिसके कारण रोजाना की गतिविधियों में फिजिकल एक्टविटी का हिस्सा काफी कम हो गया है। बता दें कि 2016 में हुए एक अध्ययन में यह सामने आया कि 11 से 17 साल के 81 फीसदी बच्चे शारीरिक रूप से असक्रिय माने जाते थे। लड़कों से ज्यादा लड़कियों में असक्रियता अधिक देखने को मिली थी।
कोविड का प्रभाव ‘एक्टिव हेल्दी किड्स ग्लोबल एलायंस' ने हाल ही में एक रिसर्च पब्लिश की है, जिसमें बच्चों और किशोरों में शारीरिक सक्रियता के स्तर का व्यापक मूल्यांकन किया गया है। अक्टूबर 2022 में प्रकाशित इस रिसर्च में कोविड से पहले और बाद की स्थितियों का डेटा शामिल किया गया है। इसमें पाया गया है कि बच्चों और किशोरों में शारीरिक सक्रियता के स्तर में कोई सुधार नहीं आया है। वैश्विक स्तर पर लगभग एक-तिहाई बच्चे और किशोर ही पर्याप्त शारीरिक गतिविधियां करते हैं। जबकि, एक-तिहाई से थोड़े अधिक बच्चे और किशोर ही बेहतर शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए अनुशंसित स्क्रीन टाइम का पालन करते हैं।
बच्चों पर पड़ा नकारात्मक असर इस अध्ययन में शामिल ज्यादातर विशेषज्ञ इस बात से सहमत थे कि बचपन की शारीरिक निष्क्रियता एक सतत सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है और कोविड-19 महामारी ने इसे और भी बदतर बना दिया है। 90 फीसदी से ज्यादा विशेषज्ञों ने कहा कि 'कोविड-19 का बच्चों की सक्रियता, खेल-कूद और शारीरिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।' महामारी की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान स्कूल और पार्क बंद कर दिए गए, जिससे बच्चों की शारीरिक सक्रियता प्रभावित हुई।
महामारी में शारीरिक गतिविधियों में आई कमी एक अध्ययन से पता चला कि महामारी के दौरान बच्चों की मध्यम से तीव्र गति की शारीरिक सक्रियता में रोजाना 17 मिनट की कमी आई। यह रोजाना के लिए निर्धारित मानक (60 मिनट) का लगभग एक-तिहाई समय है। एक अन्य अध्ययन में देखा गया कि कोविड-19 संबंधी प्रतिबंध लागू किए जाने के 30 दिन बाद लोगों द्वारा रोजाना चले जाने वाले कदमों में औसतन 27.3 प्रतिशत की कमी आ गई। यह अध्ययन 187 देशों में किया गया था।
फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ाना है जरूरी हमें बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। स्कूलों में लंच ब्रेक के दौरान बच्चों को खेलने-कूदने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उनके लिए पाठ्येतर गतिविधियां संचालित की जानी चाहिए। इसके अलावा, सरकारों को मुक्त एवं सुरक्षित सार्वजनिक स्थल, हरित क्षेत्र, मैदान और खेल प्रतिष्ठान उपलब्ध कराने पर जोर देना चाहिए।
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