Saturday, Sep 30, 2023
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#Exclusive interview: आखिर सामाजिक मुद्दे सिनेमा को उठाने ही होंगे...

  • Updated on 8/31/2017
  • Author : National Desk

Navodayatimes

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म ‘टॉयलेट: एक प्रेमकथा’ का प्रशंसक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। फिल्म में अक्षय कुमार, भूमि पेडनेकर और दिव्येंदु शर्मा मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से प्रेरित है, जो देश में महिलाओं के लिए टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी की ओर इशारा करती है। रिलीज से पहले ही इस फिल्म का ट्रेलर सामने आने पर खुद प्रधानमंत्री मोदी से अक्षय को तारीफ मिली थी।

फिल्म 11 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। फिल्म का निर्देशन श्रीनारायण सिंह ने किया है। फिल्म में कॉमेडी, इमोशंस और रोमांस तीनों का मेल नजर आएगा। फिल्म प्रमोशन के लिए अक्षय कुमार, अनुपम खेर और भूमी पेडनेकर हाल ही में दिल्ली पहुंचे। इस दौरान उन्होंने नवोदय टाइम्स/पंजाब केसरी से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

फिल्म ही नहीं, एक मुहिम भी: मैं एक ऐसे ग्रामीण का किरदार निभा रहा हूं, जिसकी पत्नी शादी के कुछ दिन बाद ही ससुराल में टॉयलेट न होने की वजह से मायके चली जाती है। कहने को तो यह एक हास्य फिल्म है लेकिन दर्शक इस फिल्म को देखने के बाद हंसने के साथ-साथ बहुत कुछ सीखेंगे भी। यह केवल एक फिल्म भर नहीं है, बल्कि एक मुहिम है जिसका मकसद लोगों को टॉयलेट की सुविधा और साफ-सफाई को लेकर जागरूक करना है। आखिर सिनेमा को सामाजिक मुद्दे बड़े स्तर पर उठाने ही होंगे।

कर ले टॉयलेट का जुगाड़: अक्षय कहते हैं, ‘सालों से लोग घर में शौचालय न होने की वजह से खुले में शौच के लिए जाते हैं और इससे बिमारियां फैलती हैं। हर साल 2 लाख से ज्यादा बच्चे संक्रमण के कारण मर जाते हैं। वहीं महिलाएं बलात्कार जैसे हादसों का शिकार भी हो जाती हैं।

 मैंने कहीं पढ़ा था कि अगर खुले में शौच जाना बंद हो जाए तो बलात्कार की घटनाएं 30 प्रतिशत तक कम हो सकती हैं। मैं ऐसी कुछ औरतों से भी मिला हूं जिनके पास खुले में शौच करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है। इस कारण उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। भारत में 54 प्रतिशत लोगों के घरों में शौचालय नहीं है। ऐसा नहीं है कि उनके पास शौचालय बनाने का पैसा नहीं है, लेकिन उनकी आदत है कि उन्हें खुले में ही शौच करना होता है। यहां बात सिर्फ शौचालय की नहीं है, ये उस शर्म के बारे में भी है जिससे औरतों को गुजरना पड़ता है।’

हर शैली की फिल्म करना चाहता हूं: मेरी ऐसी कोई छवि नहीं है, मैं हर शैली की फिल्म करना चाहता हूं। मैं जब फिल्म जगत में आया था तो लोगों ने मुझे एक्शन हीरो कहा। फिर मैंने अलग शैली के किरदार निभाए तो लोगों ने मुझे कॉमेडी और रोमांटिक हीरो का तमगा दे दिया। अब सब कह रहे हैं कि मैं सामाजिक मुद्दों की फिल्म कर रहा हूं। मैं किसी एक प्रकार की छवि में नहीं बंधना चाहता। मैं हर तरह की शैली के किरदार निभाना चाहता हूं।

लोगों को जागरूक करना चाहता हूं: पिछले दिनों इस फिल्म को कई राज्य सरकारों ने टैक्स फ्री करने का वादा किया। बकौल अक्षय मेरी रुचि बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की कमाई में नहीं, बल्कि मेरी रुचि फिल्म को अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुंचाने में है। मैं चाहता हूं कि इस फिल्म की टिकट सस्ती हो, ताकि अधिक से अधिक लोग इस फिल्म को देख सकें। दरअसल, मेरी चिंता लोगों को इस मुद्दे के प्रति जागरूक करने की है।

खुले में शौच शहरों की भी बड़ी समस्या: खुले में शौच का मुद्दा केवल ग्रामीण क्षेत्रों की समस्या नहीं है। यह शहरों में भी एक बड़ी समस्या है। बड़े शहरों में तो यह परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक खतरनाक है। हम कंक्रीट के जंगल में रहते हैं और ऐसे में यहां रोगाणु और बैक्टीरिया अधिक तेजी से फैलता है। एक पल के लिए भी ऐसा न सोचें कि यह फिल्म ग्रामीण क्षेत्रों के लिए है। यह शहरी लोगों से भी संबंधित है, क्योंकि गांवों की तुलना में शहरों में इससे ज्यादा खतरा है।

किसी फिल्म का रीमेक नहीं है ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’: ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’ पर तमिल फिल्म ‘जोकर’ का रीमेक होने के आरोपों को लेकर अक्षय कहते हैं कि ये यूपी, बिहार और राजस्थान जैसे अलग-अलग शहरों से ली गई रियल स्टोरी है। 

यह कहना गलत होगा कि यह किसी फिल्म का रीमेक है। सामाजिक मुद्दे पर आधारित यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है और बुनियादी रूप से एक प्रेम कहानी है। फिल्म स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरित है।

 

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समय की मांग है यह फिल्म: अनुपम खेर

यह फिल्म आज के समय की मांग है और बहुत बड़ा मुद्दा है। यह बहुत ही खेद की बात है कि हम आज 21वीं सदी में पहुंच गए हैं लेकिन आज भी हमारे देश की जनता के पास शौचालय की व्यवस्था नहीं है। हो सकता है समाज में इस फिल्म से कुछ बदलाव आए।

फिल्म की खास बात: इस फिल्म की सबसे खास बात ये है कि इसमें इतने गंभीर विषय को भी बड़े ही हल्के-फुल्के अंदाज में प्रस्तुत किया गया है, जो बेहद मुश्किल काम है। बहुत ही कम फिल्म निर्माता और निर्देशक हैं जो इस प्रकार के विषय पर इस तरह की फिल्म बनाते हैं।

मेरे घर में सिर्फ एक टॉयलेट था: मेरा जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जहां एक ही टॉयलेट हुआ करता था और सभी को उसी का उपयोग करना पड़ता था। मुझे पता है ऐसे में परिस्थितियां कितनी खराब होती हैं। अगर आप कुछ नहीं बदलना चाहेंगे तो कुछ नहीं बदलेगा। हमें उम्मीद है कि ये फिल्म लोगों की आंखें खोलने का काम करेगी।

पता नहीं मैं कब फिल्म निर्माता बन गया: फिल्म निर्माता बनने के अनुभव के बारे में अनुपम कहते हैं कि अब लोग व्यवसायी हो गए हैं और कोई नखरे नहीं करता। मुझे पता नहीं कि मैं कब फिल्म का निर्माता बन गया। मैं बहुत खुश हूं कि मुझे फिल्म को प्रस्तुत करने वाले अच्छे लोग मिले। साथ ही मेरे सह-निर्माता भी बहुत अच्छे हैं। अक्सर देखा गया है कि कई बार निर्माता बहुत अधिक हस्तक्षेप करने का प्रयास करते हैं। मेरी टीम ने बहुत अच्छा काम किया। मेरी टीम में बहुत अच्छे लोग हैं। किसी ने भी किसी भी प्रकार के नखरे नहीं किए। आजकल के दौर में लोग बहुत अधिक व्यवसायी हैं। मुझे नहीं लगता किसी को कोई परेशानी हुई है, अगर हुई होगी तो वह आपको यह फिल्म रिलीज होने के बाद बताएंगे।

बॉलीवुड बदल रहा है: बॉलीवुड बदल रहा है और वो भी बेहतरी के लिए।  मनोरंजन के बहाने से बॉलीवुड की कई आने वाली फिल्में सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार कर रही हैं। ऐसी ही एक फिल्म है अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर की टॉयलेट एक प्रेम कथा  जो खुले में शौच जैसे विषय पर आधारित है। फिल्म स्वच्छ भारत और निर्मल भारत जैसे अभियानों को केंद्र में रखते हुए ये दिखाती है कि खुले में शौच जाना कैसे आज भी भारत की शर्मनाक सच्चाई बना हुआ और इस स्थिति को हमें अपनी बहू-बेटियों की खातिर बदलना होगा।

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 दोस्त की तरह रहते हैं अक्षय:भूमि

अक्षय कुमार के साथ शूटिंग का अनुभव बहुत ही खास था। वह इंडस्ट्री में 25 साल से काम कर रहे हैं। उनका प्रोफेशनलिज्म गजब का है। उनके कुछ मूल्य रहे हैं, जो बहुत खास है। मैं चाहती हूं कि अपने करियर में भी मैं उसी तरह की वैल्यूज को बरकरार रख पाऊं। शूटिंग के दौरान वो सामने वाले को सहज करने के लिए उसके लेवल पर आ जाते हैं। वो सुपरस्टार नहीं, बल्कि दोस्त की तरह बर्ताव करते हैं। उन्होंने शूटिंग के दिन मुझे नर्वस देखकर कहा कि हम मजे करेंगे टेंशन मत लो। उन्होंने मेरी फिल्म ‘दम लगाकर हईशा’ भी देखी थी। उन्हें मेरा काम भी पसंद आया था।

निजी जिंदगी में भी इन मुद्दों पर जुडऩा चाहूंगी: मैं ऐसे परिवार से आती हूं जहां पर हम सामाजिक मुद्दों से हम हमेशा जुड़े रहे हैं। मैं जरूर इसके अलावा कई और मुद्दों से जुडऩा चाहूगी। बहुत कम पैसे लगते हैं एक बाथरुम बनाने में। एक गांव में अगर डेढ़ सौ घर हैं और पूरे डेढ़ सौ घर मिलकर दो टॉयलेट भी बनवा लें तो उनकी समस्या का हल हो जाएगा लेकिन परेशानी यह है कि वह टॉयलेट बनाना नहीं चाहते हैं। सबसे बड़ी समस्या है लोगों की सोच, जो बदलनी चाहिए। हमारी फिल्म वही करने की कोशिश करेगी। जब लोगों की सोच बदलेगी तभी वे अपने घरों में टॉयलेट बनवाने की बात को गंभीरता से लेंगे और इसे बनवाएंगे।

एक्टिंग की भूख है मेरे अंदर: मैं इंडस्ट्री में इतनी नई हूं कि मेरी ख्वाहिश सबकुछ करने की है। मैं एक हंगरी एक्टर यानी फिल्मों को लेकर भूखी किस्म की हूं। एक्शन करने के लिए भी बहुत एक्साइटेड हूं। एक एक्टर होने के नाते आपको हर तरह के रोल पसंद होने चाहिए। वैसे अगर भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष पर कोई फिल्म बने तो मैं उसमें जरूर काम करना चाहूंगी।

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