नई दिल्ली/टीम डिजिटल। नाथूराम गोडसे को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे के तौर पर जानते हैं और इसके अलावा और कोई जानकारी नहीं मिलती।
वैसे नाथूराम का असली नाम रामचंद्र गोडसे था। गोडसे का नाम नाथूराम पड़ने के पीछे भी एक कहनी है कि नाथूराम को बचपन में उनके माता पिता ने किसी अंधविश्वास के चलते नथ पहना दी थी जिसके बाद से ही उनका नाम नाथूराम पड़ गया।
नाथूराम था 'सहज और सौम्य'
गोडसे के भाई गोपाल दास गोडसे ने एक किताब लिखी जिसका नाम है 'मैनें गांधी को क्यों मारा?' गोपाल गोडसे ने अपनी किताब में दब गांधी के पुत्र देवदास गोडसे से मिलने जेल पहुंचे थए तो लिखा है, 'देवदास (गांधी के पुत्र) शायद इस उम्मीद में आए होंगे कि उन्हें कोई वीभत्स चेहरे वाला, गांधी के खून का प्यासा कातिल नजर आएगा, लेकिन नाथूराम सहज और सौम्य थे। उनका आत्म विश्वास बना हुआ था। देवदास ने जैसा सोचा होगा, उससे एकदम उलट।'
गांधी की हत्या पर आज की राजनीति
हाल ही में सीनियर बीजेपी लीडर और राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने संसद में राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या पर चर्चा कराने की पैरवी की है। वहीं गांधी की हत्या से जुड़े केस को फिर से खोलने की बात उठ रही है। इस हवाले से सात दशक पुराने मामले को उठाकर राजनीति गरमा दी गई है।
गांधी से था प्रेरित फिर क्यों की हत्या?
नाथूराम 'राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ' का सदस्य रहा था और गांधी की हत्या करने के चलते उसे 15 नवम्बर 1949 को फांसी दी गई। भले ही नाथूराम ने गांधी का हत्या की थी लेकिन इससे पहले वो उनके विचारों से प्रभावित था। नाथू का खुद कहना था कि आजादी की लड़ाई में सावरकर के बाद गांधी जी के ही विचारों ने मुल्क को आजाद कराया है। लेकिन इसके बाद भी नाथू गांधी की हत्या का कारण क्यों बना इस पर अलग कहानी है।
नाथूराम ने अपनी आखिरी भाषण में कहा था कि 'मेरा पहला दायित्व हिंदुत्व और हिंदुओं के लिए है, एक देशभक्त और विश्व नागरिक होने के नाते। 30 करोड़ हिंदुओं की स्वतंत्रता और हितों की रक्षा अपने आप पूरे भारत की रक्षा होगी, जहां दुनिया का प्रत्येक पांचवां शख्स रहता है। इस सोच ने मुझे हिंदू संगठन की विचारधारा और कार्यक्रम के नजदीक किया। मेरे विचार से यही विचारधारा हिंदुस्तान को आजादी दिला सकती है और उसे कायम रख सकती है।'
नाथू का कहना था कि वो गांधी से प्रेरित था लेकिन उन्होंने देश का बंटवारे में अहम भूमिका निभाई और मुस्लमानों का साथ दिया और इसके एवज में उन्होंने ना जाने कितने ही हिंदू भेंट चढ़ गए। वास्तव में नाथू गांधी की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से नफरत करता था जोकि शायद संघ की विचारधारा को सुहाती नही थी इसलिए उसने प्रेरित होकर गांधी की हत्या की।
बापू के बेटे से कहा था, 'मुझे दुख है तुमने पिता खोया'
बापू की हत्या के बाद नाथूराम गोडसे जेल में मिलने महात्मा गांधी के पुत्र देवदास गांधी गए थे। उनसे गोडसे ने कहा था कि तुम्हारे पिताजी की मृत्यु का मुझे बहुत दुख है। नाथूराम ने देवदास गांधी से कहा, मैं नाथूराम विनायक गोडसे हूं। आज तुमने अपने पिता को खोया है। मेरी वजह से तुम्हें दुख पहुंचा है। तुम पर और तुम्हारे परिवार को जो दुख पहुंचा है, इसका मुझे भी बड़ा दुख है। कृपया मेरा यकीन करो, मैंने यह काम किसी व्यक्तिगत रंजिश के चलते नहीं किया है, ना तो मुझे तुमसे कोई द्वेष है और ना ही कोई खराब भाव।
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