नई दिल्ली/प्रियंका। भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं उन्हें देखते हुए ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिन भारत के लिए मुश्किल भरे हो सकते हैं। देश में कोरोना के अब तक 177 मामले सामने आ चुके हैं। सरकार लोगों को जागरूक (Aware) कर रही है। लोग भी एक-दूसरे को बचाव के तरीके बता रहे हैं लेकिन इस बीच सवाल ये हैं कि क्या हमारा देश कोरोना से लड़ने के लिए सक्षम है? राज्य स्तर पर भी जो तैयारियां की गई हैं क्या वो दुरुस्त हैं? आइए इसपर एक नज़र डालते हैं...
कोरोना से पड़ा राज्यों पर ज्यादा दबाव कोरोना वायरस की वजह से केंद्र से ज्यादा राज्य सरकारों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली (Public health system) को दुरुस्त करने का दवाब बना हुआ है और किसी भी राज्य की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली कितनी दुरुस्त है ये उस राज्य की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है। इस बारे में जानने के लिए कुछ राज्यों के बजट का विश्लेषण किया गया। जिससे यह मालूम पड़ता है कि कोरोना से लड़ने की तैयारियां पूरी कर पाना राज्यों के लिए आसान नहीं है।
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राज्यों के बजट का तुलनात्मक विश्लेषण इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्यों के पिछले बजट (Budget) को हालिया बजट से तुलना कर इन राज्यों की वास्तविक स्थिति को समझा जा सकता है। इस तुलना के बाद इन राज्यों का वास्तविक राजस्व (Actual Revenue) में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की कमी देखी गई है। आंकड़े बताते हैं कि इन राज्यों में स्वास्थ्य पर कुल सरकारी खर्च का लगभग 69 प्रतिशत हिस्सा है।
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इन राज्यों के बजट विश्लेषण से निम्न प्रमुख ट्रेंड का पता चलते हैं... - असम (Assam) को छोड़कर सभी राज्यों में चालू वित्त वर्ष (Current Financial Year) में उनकी राजस्व प्राप्तियां घट गई हैं।
-राज्यों के राजस्व में गिरावट की वजह केंद्र सरकार(Central Government) द्वारा एकत्र किए गए कुल करों में गिरावट है जो धीमी अर्थव्यवस्था (Slow Economy) का परिणाम है।
-राज्यों ने चालू वित्त वर्ष (Current Financial Year) में अपने कुल खर्चे में कटौती की है। इससे भी बुरी बात यह है कि अधिकांश राज्यों ने अगले वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए खर्च में मामूली वृद्धि की है।
-बिहार, छत्तीसगढ़ और असम जैसे कुछ राज्यों ने तो 2020-21 के बजट में खर्च में कटौती का भी प्रस्ताव दिया है।
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-खर्चों में कटौती करने से पूंजीगत व्यय (Capital Expenditures) पर असर पड़ता है, यानी अस्पताल जैसी परिसंपत्तियों के निर्माण पर खर्च होने वाला पैसा कम जाता है। स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधान के लिए यह बुरी खबर है।
-असम, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश सामान्य तौर पर स्वास्थ्य पर अच्छा खर्च करते हैं लेकिन बिहार, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा ऐसे राज्य हैं जो अपने कुल खर्चे के अनुपात में स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करते हैं।
-12 महीनों में जिन राज्यों में अगले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने हैं, वहां रियायत देनें और मुफ्त में सुविधाएं देने की हड़बड़ी देखी गई है। वहीं, इस कड़ी में एक अपवाद बिहार है, जहां धन की कमी के साथ वित्तीय घाटा सीमा से तीन गुना अधिक हो गया है।
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