नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दुनिया भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर से निपटने के लिए कई देशों में बड़े स्तर पर टीकाकरण का अभियान शुरू हो चुका है। कई वैक्सीन्स को मंजूरी मिलने के बाद इसका वितरण भी शुरू हो गया है जिसके बाद लोग चैन की सांस ले रहे हैं। लेकिन इस बीच फाइजर वैक्सीन (Pfizer Vaccine) पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
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वैक्सीन लगवाने के बाद 23 लोगों की मौत दरअसल, खबर आई है कि नॉर्वे (Norway) में फाइजर वैक्सीन लगाने वाले लोगों की जान जा रही है। अब तक नॉर्वे में 35 हजार से ज्यादा लोगों को कोराना वैक्सीन लगाई जा चुकी है, जिनमें 23 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं वैक्सीन लगाने के बाद कई लोगों की हालत काफी गंभीर हो गई है।
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नॉर्वे सरकार ने पहले दी थी चेतावनी नॉर्वे सरकार ने पहले ही इस बात की घोषणा कर दी थी कि इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। नॉर्वे मेडिसिन एजेंसी ने कहा कि 23 में से 13 लोगों की मौत वैक्सीन लगाने के बाद हुई है, और बाकी लोगों की मौत किस वजह से हुई है इसका पता लगाया जा रहा है। आपको बता दें कि नए साल के 4 दिन बाद ही नार्वे में फाइजर की कोरोना वैक्सीन को लगाने का काम शुरू हुआ है।
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मरने वालों में बुर्जुगों की संख्या ज्यादा नॉर्वेयिन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ का कहना है कि जिन लोगों की उम्र काफी ज्यादा है या ऐसा कहे कि जो काफी बुर्जुग हो गए हैं उन्हें शायद ही वैक्सीन का लाभ मिले। इंस्टीट्यूट ने आगे कहा कि अबतक जितने भी लोगों की मौत हुई हैं उनमे सबसे ज्यादा बुर्जुग हैं। जिसकी उम्र 80 साल से ऊपर है।
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ये दिखें साइड इफेक्ट्स नार्वे की मेडिसिन एजेंसी के मेडिकल डायरेक्टर स्टेइनार मैडसेन का कहना है जितने भी लोगों की मौत हुई है उनमें वैक्सीन लेने के बाद जो साइडइफेक्ट हुए हैं उसमें कुछ लोगों को बुखार हुआ था। शुरुआती बुखार धीरे- धीरे खतरनाक बीमारी बनता गया और उनपर हावी हो गया। जिसके बाद उन लोगों की जान चली गई।
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फाइजर वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को WHO की मंजूरी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-bioentech) के टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है और अब गरीब देशों को भी ये टीके उपलब्ध हो सकेंगे। अब तक ये टीके यूरोप और उत्तर अमेरिका में ही उपलब्ध थे। देशों की औषध नियामक एजेंसी किसी भी कोविड-19 टीके के लिए अपनी ओर से मंजूरी देती हैं, लेकिन कमजोर प्रणाली वाले देश आमतौर पर इसके लिए डब्ल्यूएचओ पर निर्भर करते हैं।
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फाइजर-बायोएनटेक द्वारा निर्मित टीका डब्ल्यूएचओ ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 के टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने के उसके फैसले से देशों को अवसर मिलेगा कि वे टीके आयात करने तथा इन्हें लगाने संबंधी अपने नियामकों की मंजूरी प्रक्रिया को गति प्रदान कर सकें। उसने कहा कि फाइजर-बायोएनटेक द्वारा निर्मित टीका संगठन द्वारा तय किए गए सुरक्षा मानकों एवं अन्य मापदंडों पर खरा उतरा है। गौरतलब है कि इस टीके को अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ समेत अनेक देश मंजूरी दे चुके हैं। इस टीके को बहुत ही कम तापमान पर रखना होता है जो विकासशील देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
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भारत में फाइजर को मंजूरी अटकी फाइजर वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इसके बावजूद भारतीय औषधि नियमक संगठन की विशेषज्ञ समिति ने इस पर अभी तक फैसला नहीं लिया है। सूत्र इसकी कई वजह बता रहे हैं। पहली वजह यह है कि इस वैक्सीन से एलर्जी की शिकायतें भी मिल रही हैं। दूसरी वजह यह है कि इस वैक्सीन का ट्रायल अभी तक भारतीय मूल के लोगों पर नहीं हुआ है। अब कंपनी ने इसके लिए और डाटा पेश करने का वक्त मांगा है।
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