नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पूर्वी दिल्ली के बीजेपी सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने गाजीपुर लैंडफिल साइट से कूड़े को संसाधित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। गाजीपुर लैंडफिल साइट (Ghazipur landfill site) पर कचरे का निस्तारण करने के लिए आज 4 नई ट्रॉमल मशीनें लगाई गईं हैं।
बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने गाजीपुर लैंडफिल साइट के लिए किए गए काम की जानकारी देते हुए कहा कि अब यहां 12 मशीनें हैं। ये एक दिन में 3,600 टन कचरे का निपटान करेगी। उन्होंने बताया कि इस लैंडफिल साइट में प्रतिदिन 2,400 टन कूड़ा डाला जाता है। गंभीर ने उम्मीद जताई है कि लैंडफिल की ऊंचाई 2-3 साल में आधी हो जाएगी।
Delhi: 4 new Trommel machines installed today to process garbage at Ghazipur landfill site. "Now there're 12 machines. This'll dispose of 3,600 Tonnes of waste a day. 2,400 Tonnes is dumped here daily. We hope to cut landfill's height by half in 2-3 years," says G Gambhir, BJP MP pic.twitter.com/XV5sTYzfan — ANI (@ANI) September 11, 2020
Delhi: 4 new Trommel machines installed today to process garbage at Ghazipur landfill site. "Now there're 12 machines. This'll dispose of 3,600 Tonnes of waste a day. 2,400 Tonnes is dumped here daily. We hope to cut landfill's height by half in 2-3 years," says G Gambhir, BJP MP pic.twitter.com/XV5sTYzfan
गाजीपुर के लिए गंभीर लिख चुके हैं सीएम केजरीवाल को पत्र बता दें कि गाजीपुर लैंडफिल साइट से कूड़े का ढेर कम करवाने के लिए गंभीर फरवरी माह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र भी लिख चुके हैं। उन्होंने पत्र में लिखा था कि यह लैंडफिल साइट एशिया में सबसे बड़ी है और यहां कूड़े के पहाड़ का लगातार बढना सभी लोक सेवकों के लिए चिंता का विषय है। गंभीर ने पत्र में लिखा था कि लैंडफिल साइट के आसपास रहने वाले लोग बहुत ही दयनीय स्थिति में हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में आपको उनकी खातिर साइट पर जाना चाहिए और उनकी स्थिति देखनी चाहिए।
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गाजीपुर लैंडफिल साइट 1984 में शुरू हुई गंभीर ने कहा था कि वर्तमान में लगभग 45 मीटर ऊंचे कचरे के ढेर को कम करना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। गाजीपुर लैंडफिल साइट 1984 में शुरू हुई और 29 एकड़ में फैली हुई है। पूर्वी दिल्ली में यह कचरा स्थल सालों से कचरा जमा होने के कारण 2002 में भर गया था जिसके बाद नागरिक निकाय एक वैकल्पिक साइट की तलाश कर रहे हैं।
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