नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पिछले दो दिनों में इरफान खान और ऋषि कपूर जैसे सरीखे अभिनेताओं को दुनिया ने खो दिया। इन दोनों को एक ही बीमारी थी, जिसका इलाज कराने के बाद भी उन दोनों की मौत हो गई। इरफान खान को ब्रेन कैंसर था जबकि ऋषि को ब्लड कैंसर था।
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भारत में कैंसर से मौतें कैंसर से हर साल देश और दुनिया में लाखों मौत होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कैंसर से साल 2018 में कुल 96 लाख मौतें हुईं थीं। जिनमें से 70% मौतें भारत जैसे गरीब देशों में हुईं थीं। इतना ही नहीं रिपोर्ट यह भी बताती है कि कैंसर से भारत में 7.84 लाख मौतें हुईं। कह सकते हैं कि भारत में कैंसर से हुई कुल मौतें 8% थीं।
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क्या कहती है रिपोर्ट इस बारे में जर्नल ऑफ ग्लोबल ओन्कोलॉजी में 2017 पब्लिश हुए एक शोध की माने तो भारत में कैंसर से मरने वालों की दर, बाकी विकसित देशों से दोगुनी है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर 10 में से 7 कैंसर मरीजों की मौत हो जाती है। जबकि बाकी विकसित देशों में यह संख्या 3 या 4 है। इसका मुख्य कारण भारत में डॉक्टरों की कमी होना है। भारत में 2 हजार कैंसर पीड़ितों पर एक डॉक्टर है। अमेरिका में यह रेशियो 100:1 है जो भारत का 20 गुना है।
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पुरुषों की होती है ज्यादा मौत रिपोर्ट कहती है कि साल 2018 में पुरुषों में कैंसर के मामले कम थे लेकिन महिलाओं की तुलना में मौतें पुरुषों की ज्यादा हुईं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने तो भारत में साल 2018 में महिलाओं में कैंसर के 5.87 लाख मामले दर्ज किए गये जबकि पुरुषों में 5.70 लाख मामले थे। लेकिन यहां पुरुषों की मौतें महिलाओं से 42 हजार ज्यादा थी।
वहीँ, साल 2018 में कैंसर से पुरुषों में 4.13 लाख मौत दर्ज की गईं जबकि महिलाओं में 3.71 लाख मौतें हुई थीं। महिलाओं में जहां ज्यादातर मामले ब्रेस्ट और गर्भाशय कैंसर के थे तो वहीँ, पुरुषों में मुंह और फेफड़ों के कैंसर सबसे ज्यादा मामले थे।
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फेफड़ों के कैंसर से होती है ज्यादा मौतें रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में कैंसर के कुल मामले 1.81 करोड़ रहे। जिनमें पुरुषों के 94 लाख और महिलाओं के 86 लाख केस थे। इसमें मौतें भी पुरुषों की ज्यादा दर्ज की गई। पुरुषों में 53.85 लाख मौतें फेफेड़ों, प्रोस्टेट और मलाशय कैंसर की वजह से हुईं जबकि महिलाओं में 41.69 लाख मौतें ब्रेस्ट, मलाशय और फेफड़ों के कैंसर के कारण हुई थीं।
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कैंसर के अन्य मामले रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में कैंसर की 22% मौतें तंबाकू के कारण हुईं। वहीँ, विकसित देशों की अपेक्षा गरीब देशों में कैंसर के 25% मामले हैपेटाइटिस और एचपीवी के कारण दर्ज किए गये। जबकि भारत में ब्रेस्ट कैंसर से 87 हजार महिलाओं की मौत हुई जो हर दिन 239 मौतों के हिसाब से दर्ज की गई। इसी तरह गर्भाशय कैंसर से हर दिन 164 और अंडाशय कैंसर 99 मौतें दर्ज की गईं।
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