नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अनुमान लगया है। आईएमएफ ने कहा है कि अगर भारत ने तेजी से सुधार के कदम उठाए तो वित्त वर्ष 2021-2022 में विकास दर 8.8 फीसदी तक पहुंच सकता है। वहीं आईएमएफ ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान विकास दर में 10.3 प्रतिशत तक की गिरावट रह सकती है।
आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से उबरने की क्षमता है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि दूसरी तिमाही से स्थिति बदलने लगेगी। गोपीनाथ ने कहा कि अगर सही कदम उठाए गए तो वित्त वर्ष 2021-2022 के जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 8.8 फीसदी कोई कठिन आंकड़ा नहीं है। उन्होंने कहा अर्थव्यवस्था में भारत सरप्राइज कर सकता है।
लॉकडाउन का आर्थिक गतिविधियों पर असर गीता गोपीनाथ ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक गतिविधियां बंद पड़ गई थीं और अब जैसे-जैसे उद्योग काम शुरू कर रहे हैं, ऐसे में इकोनॉमी में सुधार देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कुछ देशों को छोड़कर कोरोना ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई है। भारत आबादी के हिसाब से बहुत बड़ा देश है और लॉकडाउन की वजह अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
किसी ने कोरोना महामारी का अनुमान नहीं लगाया था, इसलिए दुनिया का हर देश अपने तरिके से इस महामारी का मुकाबला कर रहा है। उन्होंने कहा, कोरोना वैक्सीन आने के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।
अर्थशास्त्री गोपी नानाथ ने कहा कि अगले दो तिमाही में भारत को तेजी से सुधार के लिए कदम उठाने होंगे और मांग बढ़ाने पर फोकस करना होगा। उन्होंने कहा कि गरीबों और मजदूरों के हाथों में पैसे पहुंचाने की जरूरत है, महंगाई दर को काबू में करने के लिए कदम उठाने होंगे।
भारत को डायरेक्ट इनकम सपोर्ट पर ध्यान देने की जरूरत गीता गोपीनाथ के मुताबिक भारत सरकार को अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के लिए डायरेक्ट इनकम सपोर्ट पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा कोरोना संकट से प्रभावित उद्योग को भी सपोर्ट करने की जरूरत है।
प्रति व्यक्ति जीडीपी में बांग्लादेश से भारत की तुलना को लेकर गोपीनाथ ने कहा कि ये अभी के आंकड़ों को देखकर अनुमान लगाया गया है, लेकिन भारत में बांग्लादेश के मुकाबले अर्थव्यवस्था में तेजी से रिकवरी की क्षमता है। उन्होंने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार की बड़ी वजह है कि इस देश ने कोरोना को काबू में करने के लिए शुरुआत में ही खूब टेस्ट किए। उसके बाद जब दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही थी तो चीन बड़े पैमाने पर मेडिकल एक्यूपमेंट एक्सपोर्ट कर रहा था। जिससे उनके अर्थव्यवस्था में गिरावट नहीं आई।
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