नई दिल्ली/टीम डिजिटल। ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मंदिर परिसर मामले में हिंदू पक्ष के एक वादी की दलीलों पर सोमवार को सुनवाई होगी जबकि इसी पक्ष के चार अन्य वादियों के वकीलों ने शुक्रवार को दलील दी कि ज्ञानवापी क्षेत्र में ‘आदिविश्वेश्वर’ (भगवान शिव) स्वयं प्रकट हुए और सदियों से उनकी पूजा की जाती रही है, लेकिन बाद में उनकी मूर्ति को छिपा दिया गया। वाराणसी की जिला अदालत में वादी संख्या दो, तीन, चार और पांच (मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी, सीता साहू और रेखा पाठक) की दलीलें रखते हुए उनके अधिवक्ताओं ने कहा कि ज्ञानवापी में आदिविश्वेश्वर स्वयं प्रकट हुए हैं, उनके प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत नहीं है। हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि हिन्दू पक्ष के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि नमाज पढऩे के लिए किसी छत की जरूरत नहीं पड़ती, नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है।
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अधिवक्ताओं ने दावा किया ,‘‘‘ज्ञानवापी में आदिविश्वेश्वर स्वयं प्रकट हुए हैं, उनके प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत नहीं है, सदियों से उनकी पूजा होती रही है। बाद में आदि विश्वेश्वर की मूर्ति को छुपा दिया गया।‘‘ यादव ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर की जमीन वक्फ बोर्ड की है-- इस बात का कोई भी साक्ष्य मुस्लिम पक्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाया है, इसलिए यह मामला पूरी तरह से विचारणीय है। शासकीय (सरकारी) अधिवक्ता राणा संजीव सिंह ने बताया कि हिन्दू पक्ष के वादी संख्या दो, तीन, चार और पांच की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने अदालत के समक्ष शुक्रवार को अपनी दलील पूरी कर ली, अब अदालत ने वादी संख्या एक राखी सिंह को अपनी दलील रखने के लिए सोमवार का समय दिया है। सरकारी वकील के अनुसार राखी सिंह की ओर से अधिवक्ता शिवम गौर अदालत के समक्ष दलील पेश करेंगे।
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राणा संजीव सिंह ने कहा कि सुनवाई के दौरान केवल मामले से संबंधित लोगों को ही अदालत में जाने की अनुमति है और इसकी कोई रिकॉॢडंग नहीं की जा रही है। गौरतलब है कि राखी सिंह तथा अन्य ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी में विग्रहों की सुरक्षा और नियमित पूजा पाठ के आदेश देने का आग्रह करते हुए वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दायर की थी जिसके आदेश पर पिछले मई माह में ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था।
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इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवङ्क्षलग मिलने का दावा किया था। सर्वे की रिपोर्ट पिछली 19 मई को अदालत में पेश की गई थी। मुस्लिम पक्ष ने वीडियोग्राफी सर्वे पर यह कहते हुए आपत्ति की थी कि निचली अदालत का यह फैसला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के प्रावधानों के खिलाफ है और इसी दलील के साथ उसने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। न्यायालय ने वीडियोग्राफी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन मामले को जिला अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। इसके बाद से इस मामले की सुनवाई जिला अदालत में चल रही है। इस मामले की विचारणीयता पर जिला न्यायाधीश ए. के. विश्वेश की अदालत में दलील पेश की जा रही हैं। इसी क्रम में मुस्लिम पक्ष में पहले दलीलें रखीं, जो मंगलवार को पूरी हो गईं।
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