नई दिल्ली, (नवोदय टाइम्स)। नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के भारत बंद के बाद केंद्र सरकार के रुख में कुछ नरमी नजर आ रही है। सरकार किसानों का भरोसे जीतने की कोशिश में जुटी है। बुधवार को कृषि मंत्री के साथ प्रस्तावित छठे दौर की वार्ता से पहले मंगलवार शाम गृह मंत्री अमित शाह का किसानों से बातचीत को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। सूत्र बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी मसले पर सुबह कैबिनेट बैठक भी बुला ली है। किसी अहम फैसले की उम्मीद की जा रही है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गृहमंत्री ने किसानों को सुना, दिया भरोसा
नए कृषि कानूनों के खिलाफ 11 दिनों से आंदोलनरत किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। इस बीच केंद्र सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता का नतीजा सिफर रहा है। किसानों ने सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए मंगलवार को भारत बंद का आह्वान कर शक्ति प्रदर्शन किया। देशभर से किसानों को ठीकठाक समर्थन मिला।
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शाम होते-होते सूचना आई कि गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ किसान प्रतिनिधियों को मिलने के लिए बुलाया है। 13 किसान नेता- राकेश टिकैत, हनन मोल्ला, शिव कुमार कक्का जी, रूलदू सिंह, बोध सिंह मानसा, गुरनाम सिंह चढूनी, जगजीत सिंह दलेवाल, बलवीर सिंह राजेवाल, कुलवंत सिंह संधू, मंजीत सिंह राय, बूटा सिंह बुर्जगिल, हरिंदर सिंह लखोवाल और दर्शन पाल शाम करीब 7 बजे तय समय पर शाह के आवास पर पहुंचे, जहां से उन्हें आईसीएआर के गेस्ट हाउस, पूसा कृषि इंस्टीट्यूट ले जाया गया। वहीं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किसानों की शाह से बात हुई।
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हालांकि इस एक्सरसाईज से किसान नेता रूलदू सिंह नाराज हो गए। वे पूसा इंस्टीट्यूट जाने की बजाए सिंघू बार्डर वापस चले गए। सूत्रों का कहना है कि शाह ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि इन तीनों कानूनों से किसानों के हितों को कोई नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। शाह की गिने चुने किसानों से वार्ता से उभरा असन्तोष
गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक को लेकर किसान संगठनों के बीच असंतोष के स्वर सुनाई देने लगा है। भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) ने निर्धारित वार्ता से एक दिन पहले शाह के साथ किसानों की बैठक को लेकर सवाल उठाया। प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों में यह सबसे बड़ा संगठन है। सोशल मीडिया पर साझा की गई एक पोस्ट में जोगिन्दर सिंह उगराहां ने कहा कि आधिकारिक वार्ता से पहले वार्ता की कोई जरूरत नहीं थी। उगराहां को इस बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था।
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पीएम ने बुलाई कैबिनेट बैठक
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के मसले पर चर्चा के लिए सुबह 10.30 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है। सूत्रों की मानें तो सरकार बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में है। वह कानूनों में कुछ संशोधन कर सकती है। फिर भी अगर किसान अपनी बात पर अड़े रहे तो संभव है कि कोई अहम फैसला ले ले। हालांकि कानूनों को वापस लेने का संकेत कहीं से भी नहीं मिल रहा है, लेकिन संभव है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की गारंटी देने पर सरकार फैसला ले सकती है। हालांकि आंदोलनरत किसान किसी संशोधन की बजाए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग पर अड़े हैं। वे सरकार से हां या नहीं में जवाब चाहते हैं।
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एमएसपी है और रहेगा, कृषि मंत्री ने फिर दिया भरोसा
बुधवार को प्रस्तावित छठे दौर की वार्ता से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को फिर किसानों को भरोसा दिया कि एमएसपी और मंडिया जारी रहेंगी तथा किसान अपनी फसल अपनी मर्जी से कहीं भी बेच सकेगा। उन्होंने ट्वीट किया-नए कृषि सुधार कानूनों से आएगी किसानों के जीवन में समृद्धि विघटनकारी और अराजकतावादी ताकतों द्वारा फैलाए जा रहे भ्रामक प्रचार से बचें। एमएसपी और मंडिया भी जारी रहेंगी और किसान अपनी फसल अपनी मर्जी से कहीं भी बेच सकेंगे। किसान और सरकार के बीच छठे दौर की बैठक बुधवार को दोपहर विज्ञान भवन में प्रस्तावित है। आज राष्ट्रपति से मिलेंगे विपक्ष के नेता विपक्ष के तमाम नेता कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने वाले हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इन नेताओं में शामिल रहेंगे। विपक्ष ने संसद में इन कानूनों को पारित होते वक्त भी विरोध किया था और राष्ट्रपति से विधेयक पर हस्ताक्षर करने से मना किया था। अब फिर विपक्ष राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाने जा रहा है। वहीं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैं और इन्हें रद्द किया जाना चाहिए।
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