नई दिल्ली/टीम डिजिटल। असीम ग्लोबल और वसुधा स्टील जैसी फरार कंपनियों में निवेशकों की गाढ़ी कमाई लगवाने के आरोप में ब्रोकर कंपनी प्योर ग्रोथ के मालिक और कथित आर्थिक जानकार आकाश जिंदल को दिल्ली मेट्रोपोलिटन कोर्ट के जज आशु गर्ग से जमानत मिल गई है। खास बात यह है कि 50 हजार के मुचलके पर जिंदल को जमानत मिली है। लेकिन, आकाश जिंदल की आने वाले समय में परेशानियां ओर बढ़ सकती हैं।
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पीड़ित पक्ष भी 16 अगस्त 2019 को होने वाली सुनवाई में जमानत खारिज करने की अपील करेंगे। आकाश जिंदल के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट के एक वकील भी इस सुनवाई में मौजूद थे। दरअसल, असीम ग्लोबल और उसके इकलौते ब्रोकर आकाश जिंदल के खिलाफ पीड़ित निवेशक रूपक अग्रवाल हाई कोर्ट में भी लड़ाई लड़ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि मामले की जांच कर रहे आईओ भी सुनवाई के दौरान नदारद रहा, जिसकी वजह से आकाश जिंदल को जमानत मिलने में आसानी हो गई।
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असीम ग्लोबल और वसुधा स्टील के अधिकारी और आकाश जिंदल के खिलाफ गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान एक समय तो कोर्ट ने कड़ा रूख अपना लिया था। जज आशु गर्ग ने जब पीड़ित निवेशकों की सुनवाई के दौरान आकाश जिंदल के वकील का पक्ष सुना तो जमानत के दस्तावेज पेश करने के बारे में पूछा, जिसको लेकर बचाव पक्ष को अंदेशा भी नहीं था। जमानत की अपील के लिए कोर्ट ने आकाश जिंदल को आधे घंटे का वक्त भी दे दिया। इससे पीड़ित निवेशकों में रोष भी देखा गया।
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पीड़ितों का आरोप है कि दिल्ली पुलिस के ढीले रवैये की वजह से आकाश जिंदल के खिलाफ गंभीर धाराएं नहीं लगाई गईं। इस वजह से उसे जमानत मिलने में आसानी हुई। खास बात यह है कि अपने को फंसता देख आकाश जिंदल अब पीड़ितों को 25 से 30 फीसदी तक रकम लौटाने का वादा कर रहा है। पीड़ितों का आरोप है कि आकाश जिंदल मीडिया चैनलों के पैनल डिस्कशन में बतौर आर्थिक जानकार के रूप में नजर आता है। साथ ही वह खुद को वकील भी बताता है। इस वजह से अपने रुतबे का पुलिस प्रशासन में खूब इस्तेमाल करता रहा है। मीडिया को भी आकाश जिंदल की सच्चाई नहीं पता है।
बता दें कि ब्रोकर आकाश जिंदल कंपनी असीम ग्लोबल, वसुधा स्टील और एक ओर कंपनी का होल-सोल ब्रोकर है। सैकड़ों निवेशक आकाश जिंदल के जरिए ही अपना पैसा लगाते रहे हैं। खास बात यह है कि आकाश जिंदल ने जितने भी रिटायर पर्सन हैं, उनकी गाढ़ी कमाई को ऐसी कंपनियों में निवेश करवाया है, जिनको आरबीआई ने फिक्स्ड डिपॉजिट का आधिकार नहीं दिया है।
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खास बात यह है कि निवेशकों का सारा पैसा तीन कंपनियों में लगाया गया है, जिनके मालिक रास्तोगी परिवार है। रविंद्र रास्तोगी अप्रत्यक्ष रूप से इन कंपनियों को चलाता है। हालांकि डारेक्टर और सीईओ रविंद्र रास्तोगी की पत्नी ईरा रस्तोगी और बेटा तनु उर्फ तनुज रस्तोगी हैं। इनके खिलाफ जांच दिल्ली पुलिस के इकोनॉमिक्स ऑफेंस विंग कर रही है।
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ईडी भी इस मामले पर नजर रखे हुए है। पता चला है कि इन कंपनियों के पैसों के बारे में जांच एजेंसियों पता चल गया है। यह भी चर्चा है कि ईरा रस्तोगी और तनु उर्फ तनुज रस्तोगी विदेश में फरार हैं और संभावना है कि वे लंदन और दुबई में अपना कारोबार कर रहे हैं।
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असीम ग्लोबल और वसुधा स्टील का कर्ताधर्ता रविंद्र रास्तोगी पहले भी अपने पार्टनर सिध्दार्थ अग्रवाल के साथ जेल की हवा खा चुका है। यही वजह है कि उसे कंपनी चलाने से वंचित किया जा चुका है। इसके बाद उसने अपने परिवार को अपनी कंपनियों में लाकर काम करना शुरू कर दिया। रविंद्र रास्तोगी की कंपनियों पर बैंकों के करोड़ों रुपये का लोन भी है, जिसके बाद उसकी कई प्रॉपर्टी कुर्क और नीलाम हो रही है।
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हैरानी की बात यह है कि दिल्ली पुलिस ने असीम ग्लोबल और वसुधा स्टील के जिन दो डायरेक्टरों को गिरफ्तार किया है, वे ड्राइवर गोविंद और चपरासी यशवंत हैं। दोनों ही कंपनियों की साजिश का शिकार हैं और दिल्ली पुलिस बड़ी मछलियों तक पहुंचने में नाकाम रही है। खास बात यह है कि असीम ग्लोबल के मौजूदा डायरेक्टर नरेंद्र कुमार को पुलिस बचाने में लगी है।
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