नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। साल 2018 में चलाए गए मी टू कैंपेन के दौरान पत्रकार प्रिया रमानी (Priya Ramani) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर (MJ Akbar) पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जिसके खिलाफ एम जे अकबर ने कोर्ट में आपराधिक मानहानि की शिकायत के जरिए उन्हें चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया।
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दूसरी अदालत के समक्ष सौंपने कहा केस अब इस केस में पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर की आपराधिक मानहानि शिकायत की करीब दो साल से सुनवाई कर रही अदालत ने मंगलवार को जिला न्यायाधीश से यह मामला दूसरी सक्षम अदालत को सौंपने को कहा।
After two years of hearing the case...nearing a verdict...the judge says this court has no jurisdiction. Priya Ramani must now defend herself all over again against a defamation charge brought by MJ Akbar. This is how India's judicial system breaks you. https://t.co/bBbmr6ZF4r — menaka doshi (@menakadoshi) October 13, 2020
After two years of hearing the case...nearing a verdict...the judge says this court has no jurisdiction. Priya Ramani must now defend herself all over again against a defamation charge brought by MJ Akbar. This is how India's judicial system breaks you. https://t.co/bBbmr6ZF4r
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इसलिए दूसरी कोर्ट में भेजा गया केस न्यायाधीश ने कहा कि यह अदालत जन प्रतिनिधियों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए नामित की गई है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) विशाल पाहुजा ने इस साल सात फरवरी को मामले में अंतिम सुनवाई शुरू की थी। उन्होंने कहा कि यह मामला किसी सांसद या विधायक के खिलाफ नहीं दर्ज किया गया है और इसे किसी "सक्षम अदालत’’ को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है।
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दो साल पहले फाइल किया गया था केस उन्होंने आगे कहा कि उनकी अदालत को 23 फरवरी 2018 को जारी एक परिपत्र के अनुसार सांसदों व विधायकों के खिलाफ दायर मामलों की सुनवाई के लिए नामित किया गया है। यह मामला सांसद या विधायक के खिलाफ दायर नहीं किया गया है। इसलिए वह यह मामला दूसरे मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को सौंपने पर विचार करने के लिए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को भेज रहे हैं। अकबर ने मार्च 2018 में रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज करायी थी।
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17 अक्टूबर को दिया था इस्तीफा आपको बता दें कि अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। रमानी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने सोमवार को अदालत को बताया कि ‘मी टू’ मुहिम के दौरान 14 से ज्यादा महिलाओं ने अकबर पर आरोप लगाए लेकिन उन्होंने केवल रमानी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी।
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क्या है पूरा मामला? मंत्री एमजे अकबर ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि उन्होंने 1994 में पत्रकार प्रिया रमानी को मिलने के लिए होटल के कमरे में नहीं बुलाया था। रमानी ने मीटू आंदोलन के तहत यौन कदाचार का आरोप लगाया था और कहा था कि अकबर ने 1994 में एक अखबार में नौकरी के लिए कथित साक्षात्कार के सिलसिले में उन्हें मिलने के लिए होटल के कमरे में बुलाया था। अकबर उस समय संबंधित अखबार के संपादक थे।
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