नई दिल्ली/टीम डिजिटल। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को भाजपा यह दावा हजम नहीं हो रहा है कि सरकार ने मज़दूरों से टिकट के पैसे नहीं लिए हैं। सपा अध्यक्ष कहते है कि जब मजदूरों से टिकट के पैसे नहीं लिए गए तो देशभर में बेबस मज़दूर अपनी टिकट क्यों दिखा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ग़रीब विरोधी भाजपा का अंत शुरु हो चुका है।
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पूरे देश में भाजपाई ये कहते घूम रहे हैं कि सरकार ने मज़दूरों से टिकट के पैसे नहीं लिए हैं जबकि देशभर में बेबस मज़दूर अपनी टिकट दिखा रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि अगर ये टिकट नहीं है तो क्या बंधक मज़दूरों को छोड़ने पर ली गयी फिरौती की सरकारी रसीद है. ग़रीब विरोधी भाजपा का अंत शुरु! pic.twitter.com/f6UsOLq9Lp — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 5, 2020
पूरे देश में भाजपाई ये कहते घूम रहे हैं कि सरकार ने मज़दूरों से टिकट के पैसे नहीं लिए हैं जबकि देशभर में बेबस मज़दूर अपनी टिकट दिखा रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि अगर ये टिकट नहीं है तो क्या बंधक मज़दूरों को छोड़ने पर ली गयी फिरौती की सरकारी रसीद है. ग़रीब विरोधी भाजपा का अंत शुरु! pic.twitter.com/f6UsOLq9Lp
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अपने पहले ट्वीट में सपा अध्यक्ष लिखते हैं, 'पूरे देश में भाजपाई ये कहते घूम रहे हैं कि सरकार ने मज़दूरों से टिकट के पैसे नहीं लिए हैं जबकि देशभर में बेबस मज़दूर अपनी टिकट दिखा रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि अगर ये टिकट नहीं है तो क्या बंधक मज़दूरों को छोड़ने पर ली गयी फिरौती की सरकारी रसीद है। ग़रीब विरोधी भाजपा का अंत शुरु!'
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इसके साथ ही अखिलेश ने गुजरात के मजदूरों को लेकर भी अपने जज्बात शेयर किए हैं। अपने दूसरे ट्वीट में वह लिखते हैं, 'असंवेदनशील केंद्र सरकार व रेलवे मुंबई के मज़दूरों की ट्रेन चलाने की पुकार न जाने कब सुनेगी. संकट के समय मज़दूर भावनात्मक रूप से अपने घर और घरवालों से दूरी महसूस कर रहे हैं। गुजरात में भी कई जगह अशांति है। देशभर के मज़दूरों को लग रहा है कि अब वो भाजपा सरकार के बंधक बन गये हैं।'
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असंवेदनशील केंद्र सरकार व रेलवे मुंबई के मज़दूरों की ट्रेन चलाने की पुकार न जाने कब सुनेगी. संकट के समय मज़दूर भावनात्मक रूप से अपने घर और घरवालों से दूरी महसूस कर रहे हैं. गुजरात में भी कई जगह अशांति है. देशभर के मज़दूरों को लग रहा है कि अब वो भाजपा सरकार के बंधक बन गये हैं. — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 5, 2020
असंवेदनशील केंद्र सरकार व रेलवे मुंबई के मज़दूरों की ट्रेन चलाने की पुकार न जाने कब सुनेगी. संकट के समय मज़दूर भावनात्मक रूप से अपने घर और घरवालों से दूरी महसूस कर रहे हैं. गुजरात में भी कई जगह अशांति है. देशभर के मज़दूरों को लग रहा है कि अब वो भाजपा सरकार के बंधक बन गये हैं.
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बता दें कि मजदूरों को लेकर देश की राजनीति गर्म हो गई है। केंद्र की मोदी सरकार पर गरीब विरोधी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। दलील दी जा रही है कि जब विदेशों से एनआरआई और फंसे भारतीयों को विमान से लाया जा सकता है, उनके रहने और खाने पीने का इंतजाम हो सकता है, तो देश में फंसे मजदूरों ने क्या गुनाह किया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के ऐलान के बाद कि कांग्रेस मजदूरों के रेल किराए का भार उठाएगी, मोदी सरकार को बाद में किराए को लेकर हालात साफ करने पड़े।
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