Friday, Sep 29, 2023
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allahabad high court has given consent of wife for adoption of child, somewhere prshnt

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चा गोद लेने के लिए पत्नी की सहमति बताई जरूरी, कही ये बात

  • Updated on 12/11/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High court) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए एक फैसला सुनाया है कोर्ट के मुताबिक अगर कोई हिंदू पुरुष किसी बच्चे को गोद लेना चाहता है तो इसके लिए उसकी पत्नी की सहमति जरूरी है। इतना ही नहीं यदि वह अपनी पत्नी से अलग रह रहा और तलाक नहीं दिया है तब भी अलग रहने वाली पत्नी की मंजूरी जरूरी है।

वहीं व्यक्ति ऐसा नही करता है तो होने पर वैध दत्तक ग्रहक नहीं माना जाएगा।मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने मऊ के भानु प्रताप सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है। 

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अनुकंपा कोटे में नियुक्ति की मांग
दरअसल वन विभाग में रहे याची के चाचा राजेंद्र सिंह की सेवाकाल में मृत्यु हो गई। तो याची ने यह कहते हुए अनुकंपा कोटे में नियुक्ति की मांग की कि उसके चाचा ने उसे गोद लिया था। उनका अपनी पत्नी फूलमनी से संबंध विच्छेद हो गया था लेकिन दोनों ने तलाक नहीं लिया था।

दोनों अलग रहते थे और उनके कोई संतान नहीं थी, इसलिए चाचा ने उसे गोद ले लिया। एस मामले में वन विभाग ने याची का प्रत्यावेदन खारिज कर दिया तो उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।

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हिंदू दत्तक ग्रहण कानून
कोर्ट का कहना है कि याची का दत्तक ग्रहण वैध तरीके से नहीं हुआ है क्योंकि हिंदू दत्तक ग्रहण कानून के अनुसार संतान को गोद लेने के लिए पत्नी की सहमति आवश्यक है।

कोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी जीवित नहीं है या किसी सक्षम न्यायालय ने उसे मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर दिया है।, इसके अलावा उस स्थिति में पत्नी के जीवित रहते उसकी मंजूरी के बिना दत्तक ग्रहण वैध नहीं कहा जा सकता। 

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