Thursday, Jun 01, 2023
-->
allahabad highcourt up violence allahabad high court posters uttar pradesh government

पोस्टर विवाद: सुप्रीम कोर्ट का HC के आदेश पर रोक से इनकार, बड़ी पीठ करेगी सुनवाई

  • Updated on 3/12/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने लखनऊ में सीएए-विरोधी प्रदर्शन (caa-protest) के दौरान तोड़फोड़ के आरोपियों के पोस्टर लगाने की उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई का समर्थन करने के लिये फिलहाल कोई कानून नहीं होने की बात करते हुए बृहस्पतिवार को इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और रजिस्ट्री को मामले के रिकॉर्ड प्रधान न्यायाधीश के सामने रखने के लिये कहा।

न्यायालय ने कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका को बड़ी पीठ सुनवाई करेगी। न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने लखनऊ में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगाए जाने के मामले में उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि मामले पर विस्तार से विचार करने की जरूरत है। अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

इससे पहले पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यह मामला बेहद महत्वपूर्ण है। पीठ ने मेहता से पूछा कि क्या राज्य सरकार के पास ऐसे पोस्टर लगाने की शक्ति है। हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिये और उन्हें सजा मिलनी चाहिये।

मेहता ने अदालत को बताया कि पोस्टर केवल ‘प्रतिरोधक’ के तौर पर लगाए गए थे और उसमें केवल यह कहा गया है कि वे लोग हिंसा के दौरान अपने कथित कृत्यों के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिये उत्तरदायी हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ में सड़कों पर सीएए विरोध प्रदर्शनों के दौरान तोड़फोड़ करने के आरोपियों के पोस्टर लगाए थे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नौ मार्च को उत्तर प्रदेश सरकार को उन पोस्टरों को हटाने का आदेश दिया था, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।

कोरोना का कहर- WHO ने घोषित किया महामारी, भारत ने सभी पर्यटन वीजा किए निलंबित

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील
उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि राज्य सरकार की इस अपील पर गुरुवार को न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ सुनवाई करेगी। हालांकि, राघवेन्द्र सिंह ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील के आधार की जानकारी देने से इंकार कर दिया। अदालत ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया था कि कानूनी प्रावधान के बगैर ऐसे पोस्टर नहीं लगाये जायें।

CAA: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उपद्रवियों के पोस्टर पर सोमवार तक के लिये फैसले किया सुरक्षित

मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त को निर्देश
अदालत ने आरोपियों के नाम और फोटो के साथ लखनऊ में सड़क किनारे लगाये गये इन पोस्टरों को तुरंत हटाने का निर्देश देते हुये टिप्पणी की थी कि पुलिस की यह कार्रवाई जनता की निजता में अनावश्यक हस्तक्षेप है। अदालत ने लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त को 16 मार्च या इससे पहले अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया था।

मॉल के ट्रायल रुम में महिला बदल रही थी कपड़े, चुपके से देख रहा था शख्स, पुलिस ने किया गिरफ्तार

पोस्टर लगाने का उदेश्य आरोपियों को शर्मसार करना था
इन पोस्टरों को लगाने का मकसद प्रदेश की राजधानी में 19 दिसंबर को आयोजित नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को कथित रूप से नुकसान पहुंचाने वाले आरोपियों को शर्मसार करना था। इन पोस्टरों में प्रकाशित नामों और तस्वीरों में सामाजिक कार्यकर्ता एवं नेता सदफ जाफर, और पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी के नाम भी शामिल थे। 

comments

.
.
.
.
.