Friday, Jun 09, 2023
-->
aman lekhi supported tusshar mehta against safoora zargar bail plea delhi high court rkdsnt

सफूरा जरगर की जमानत याचिका के खिलाफ अमन लेखी ने तुषार मेहता का दिया खूब साथ

  • Updated on 6/22/2020


नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट से जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर की जमानत याचिका पर निर्देश लेने के लिए एक और दिन का समय देने की गुजारिश की। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक ङ्क्षहसा के आरोप में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत जरगर को गिरफ्तार किया गया है। वह गर्भवती है। 

मानसून के मद्देनजर दिल्ली PWD में अवकाश लेने की इजाजत नहीं

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव शकधर ने पुलिस को एक दिन का समय दे दिया, क्योंकि जरगर की वकील ने कहा कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं हैं और मामले को मंगलवार को सूचीबद्ध कर दिया है। जामिया में एम फिल की छात्रा जरगर चार माह से ज्यादा की गर्भवती है। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले पर निर्देश लेने के लिए एक दिन का वक्त मांगा और कहा कि अगर उन्हें रियायत दी जाती है तो यह च्च् व्यापक हित में होगा। 

कोरोना संक्रमण : कोर्ट ने बढ़ाई 2,961 विचाराधीन कैदियों की अंतरिम जमानत

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अमन लेखी ने मेहता का साथ देते हुए कहा कि वे मामले के गुण-दोष के आधार पर दलील करने को तैयार हैं लेकिन इस चरण में उनका इरादा गुण दोष पर विचार करने का नहीं है। जरगर की ओर से पेश हुईं वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा कि महिला नाजुक हालत में हैं और चार महीने से ज्यादा की गर्भवती हैं और अगर पुलिस को याचिका पर जवाब देने के लिए वक्त चाहिए तो छात्रा को कुछ वक्त के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए। 

दिल्ली यूनिवर्सिटी में पूर्वस्नातक पाठ्यक्रम के लिए हजारों छात्रों ने शुरू किया रजिस्ट्रेशन

उच्च न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल (एसजी) मेहता से मंगलवार को निर्देश लेकर आने को कहा। पुलिस ने याचिका की प्रतिक्रिया में स्थिति रिपोर्ट भी दायर की है। जामिया समन्वय समिति की सदस्य जरगर को 10 अप्रैल को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने चार जून के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है जिसमें उन्हें जमानत देने से मना किया गया था। सुनवाई के दौरान मेहता और लेखी की दिल्ली सरकार के स्थायी वकील (अपराध) राहुल मेहरा से बहस हो गई। मेहरा ने इस मामले में दिल्ली पुलिस की तरफ से दो वरिष्ठ विधि अधिकारियों के पेश होने पर आपत्ति जताई। 

कोरोना महामारी ने बस, टैक्सी सेक्टर की Jobs को लगाई करारी चपत

मेहरा ने दलील दी कि उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा के अन्य मामले के विपरीत जिनमें एसजी की अगुवाई में दिल्ली पुलिस की ओर से वकीलों की टीम के पेश होने के लिए जरूरी मंजूरी ली गई है, मौजूदा मामले में इस प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया गया है। मेहरा ने कहा, 'वे जानते हैं कि ऐसे मामलों में मेरा नजरिया मानवीय होता है कि ना कि उनकी मर्जी के मुताबिक होता है। मैं दिल्ली पुलिस का मुख पत्र नहीं बन सकता हूं, मैं अदालत का अधिकारी हूं।' इस पर लेखी ने पलटवार किया कि मुवक्कील वकील चुनता है। वकील खुद को मुवक्कील पर नहीं थोप सकता है। 

उन्होंने कहा कि यह विवाद अदालत को मुद्दे से भटका सकता है और इस मामले पर मेहरा की आपत्ति को दरकिनार किया जा सकता है। इसके बाद अदालत ने सुनवाई खत्म करते हुए दिल्ली पुलिस के वकील को कल तक यह विवाद खत्म करने को कहा। निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि जब आप अंगारे के साथ खेलते हैं, तो चिंगारी से आग भड़कने के लिए हवा को दोष नहीं दे सकते। अदालत ने यह भी कहा था कि जांच के दौरान एक बड़ी साजिश देखी गई और अगर पहली नजर में साजिश, कृत्य के सबूत हैं, तो किसी भी एक षड्यंत्रकारी द्वारा दिया गया बयान, सभी के खिलाफ स्वीकार्य है। 

CISF के जवान की कोरोना संक्रमण से मौत, अब तक 18 जवान गंवा चुके हैं जान

अदालत ने कहा था कि भले ही आरोपी (जरगर) ने हिंसा का कोई प्रत्यक्ष कार्य नहीं किया, लेकिन वह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपने दायित्व से बच नहीं सकती हैं। उनकी खराब चिकित्सा स्थिति को ध्यान में रखते हुए अदालत ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक से उन्हें पर्याप्त चिकित्सकीय मदद और सहायता मुहैया कराने के लिए कहा था। 

पुलिस ने पहले दावा किया था कि जरगर ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे सड़क को कथित रूप से बाधित किया था और लोगों को भड़काया था, जिसके बाद इलाके में दंगे हुए। पुलिस ने दावा किया कि वह उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी में सांप्रदायिक दंगे भड़काने के लिए ‘पूर्व नियोजित साजिश’का कथित रूप से हिस्सा थी। उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी के अंत में संशोधित नागरिकता कानून के विरोधियों और समर्थको के बीच हुई हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी।      
 

 

यहां पढ़ें कोरोना से जुड़ी महत्वपूर्ण खबरें...

Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।
comments

.
.
.
.
.