नई दिल्ली। टीम डिजिटल। स्वतंत्रता दिवस हो या फिर गणतंत्र दिवस बिना अमर जवान ज्योति पर वीरों को श्रद्धांजलि दिए बिना अधूरा सा लगता है लेकिन इस साल इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर वीरों को याद नहीं किया जाएगा। क्योंकि अब अमर जवान ज्योति को 400 मीटर की दूरी पर 40 एकड में 176 करोड रूपए की लागत से साल 2019 में बने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मशाल में विलीन करवा दिया गया है। हालांकि इसे लेकर पूरे दिन सोशल मीडिया पर प्रोपगेंडा चलता रहा और ट्विटर पर कई हैशटेग भी ट्रेंड करते रहे। एनडीएमसी के चार उद्यान बनेंगे विश्वस्तरीय
नेशनल वाॅर मेमोरियल में अंकित हैं 25 हजार 942 जवानों के नाम शुक्रवार को शाम एक कार्यक्रम का आयोजन कर अमर जवान ज्योति को नेशनल वाॅर मेमोरियल की मशाल के साथ मिला दिया गया। इस दौरान आखिरी बार शहीदों को तीनों सेनाओं के जवानों ने सेल्यूट करते हुए पुष्पांजलि दी। इस ऐतिहासिक पल में सीआईएससी के एयरमार्शल द्वारा मशाल में ज्योति को विलीन कर राष्ट्रीय स्मारक तक ले जाया गया। हालांकि इसके पीछे का तर्क यह दिया जा रहा है कि दो जगहों पर लौ का रख-रखाव करना काफी मुश्किल हो गया था। इसीलिए सेना के लिए बने नेशनल वाॅर मेमोरियल में इसे जलाए जाने का निर्णय लिया गया है जो जवानों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है और यहां अब तक शहीद हुए सभी 25 हजार 942 जवानों के नाम स्वर्णाक्षरों में लिखे गए हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति अपनाएं और बचें शीतलहरी से
क्या है अमर जवान ज्योति का इतिहास 1971 के युद्ध में भारत के करीब 3,843 जवानों को शहादत मिली थी उनकी याद में अमर जवान ज्योति को जलाने का निर्णय किया गया। उपयुक्त जगह नहीं मिलने से इंडिया गेट के नीचे काले रंग का एक स्मारक बनाया गया और उस पर अमर जवान लिखा गया। जिस पर एल1ए1 सेल्फ लोडिंग राइफल रखी गई और राइफल पर एक सैनिक का हेलमेट भी लगाया गया। इसका उद्घाटन साल 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर किया था। हालांकि इस पर एक भी उन भारतीय सैनिकों का नाम नहीं था जोकि 1971 की लडाई में शहीद हुए थे। 10वीं शताब्दी की योगिनी मूर्ति लाई जा रही है भारत: रेड्डी
किसके नाम थे इंडिया गेट पर अंकित और क्या है इसका इतिहास इंडिया गेट पर को अंग्रेजों द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध के बाद बनाया गया था। इसमें साल 1914 से 1921 तक प्रथम विश्वयुद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में लडने वाले शहीदों के नाम लिखे गए हैं। जिस पर करीब 80 हजार से ज्यादा भारतीय सैनिकों के नाम अंकित हैं। इसे एडविन लुटियन ने डिजाइन था। जिसकी आधारशिला 10 फरवरी 1921 को रखी गई थी और इसे बनने में करीब 10 साल लगे थे। 12 फरवरी 1931 को तत्कालीन वायसराय लाॅर्ड इर्विन ने इंडिया गेट का उद्घाटन किया था। कलाकुंभ के जरिए कलाकार देंगे गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि
गैस पाइपलाईन के जरिए जलती थी ज्योति देश की आजादी के बाद भारत का अपना कोई युद्ध स्मारक नहीं था, इसकी रूपरेखा तत्कालीन सरकार द्वारा तैयार की जा रही थी। लेकिन विलंब और शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए इंदिरा गांधी ने इस जगह को अमर जवान ज्योति में तब्दील करवाया। यहां साल 1972 से चैबीसों घंटे जलने वाली ज्योति को एक गैस पाइप लाइन के द्वारा जलाया जाता था। पहले इसमें एलपीजी गैस का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन बाद में सीएनजी से इसे जलाया जाने लगा। इसकी रक्षा के लिए हर समय तीनों सेनाओं के जवान तैनात रहते थे। बुक क्लब से चाइल्ड केयर संस्थानों के बच्चों में पढने की बनेगी आदत
अमर जवान ज्योति विलय होने पर सोशल मीडिया पर विरोध कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा है कि यह बहुत दुःख की बात है कि हमारे जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते, कोई बात नहीं। हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे। जबकि कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इसे इतिहास मिटाना बता रहे हैं। वहीं अलका लांबा ने इसे राजनीतिक सनक बताया।
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