नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन 71वें दिन से जारी है। भारत (India) में चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर कई विदेशी हस्तियों ने टिप्पणी की है। इस बीच अमेरिका (America) के विदेश मंत्रालय ने भी किसान प्रदर्शन को लेकर अपनी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को एक सफल लोकतंत्र की पहचान बताते हुए अमेरिका ने कहा कि वह उन प्रयासों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र निवेश के लिए आकर्षित होगा।
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किसान आंदोलन पर अमेरिका ने दी प्रतिक्रिया विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'अमेरिका उन कदमों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियां निवेश के लिए आकर्षित होंगी।' प्रवक्ता ने यह संकेत दिया कि बाइडन प्रशासन कृषि क्षेत्र में सुधार के भारत सरकार के कदम का समर्थन करता है जिससे निजी निवेश आकर्षित होगा और किसानों की बड़े बाजारों तक पहुंच बनेगी। भारत में चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका वार्ता के जरिए दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान को बढ़ावा देता है।
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'शांतिपूर्ण प्रदर्शन सफल लोकतंत्र की पहचान' प्रवक्ता ने कहा, 'हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी सफल लोकतंत्र की पहचान है और भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी यही कहा है।' भारत के विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था कि भारत की संसद ने एक 'सुधारवादी कानून' पारित किया है, जिस पर 'किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग' को कुछ आपत्तियां हैं और वार्ता पूरी होने तक कानून पर रोक भी लगाई गई है। इस बीच, कई अमेरिकी सांसदों ने भारत में किसानों का समर्थन किया है।
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प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की खबर से चिंतित- हेली स्टीवेंस सांसद हेली स्टीवेंस ने कहा, 'भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की खबर से चिंतित हूं।' एक बयान में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों को सकारात्मक बातचीत के लिए प्रोत्साहित किया। अन्य सांसद इलहान उमर ने भी प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति एकजुटता दिखायी।
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उपराष्ट्रपति हैरिस की भांजी ने भी बोला हमला किसानों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी खतरे में है। सिख पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के अध्यक्ष गुरिंदर सिंह खालसा ने एक अलग बयान में कहा कि 'ऐतिहासिक किसान आंदोलन भारत सरकार की पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ सबसे बड़ी क्रांति' बनने जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी हाल ही में कहा था कि भारत के नए कृषि कानून में कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में 'उल्लेखनीय कदम' उठाने की क्षमता है।
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भारत के विदेश मंत्रालय ने साधा निशाना भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि विरोध प्रदर्शन के बारे में टिप्पणी करने की जल्दबाजी से पहले तथ्यों की जांच-परख की जानी चाहिए। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'खास तौर पर मशहूर हस्तियों एवं अन्य द्वारा सोशल मीडिया पर हैशटैग और टिप्पणियों को सनसनीखेज बनाने की ललक न तो सही है और न ही जिम्मेदाराना होती है।' बयान में कहा गया है कि, 'हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि इन प्रदर्शनों को भारत के लोकतांत्रिक आचार और राज्य-व्यवस्था के संदर्भ में तथा संबंधित किसान समूहों से गतिरोध दूर करने के सरकार के प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।'
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केंद्र के नए कृषि कानूनों को लेकर हो रहा प्रदर्शन कृषि कानूनों को निरस्त करने, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने और दो अन्य मुद्दों को लेकर हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं। इस साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे। दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।
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इन्होंने किए ये ट्वीट अमेरिका का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 60 दिनों से भी अधिक समय से किसानों का आंदोलन जारी है। वहीं पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले और रवि शास्त्री ने 'इंडिया टूगेदर' (भारत एकजुट है) और 'इंडिया अगेंस्ट प्रोपगेंडा' (भारत दुष्प्रचार के खिलाफ है) हैशटैग के साथ ट्वीट किए हैं। इसके बाद थरूर ने यह टिप्पणी की है। पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने कहा, 'कानून वापस लीजिए और समाधान पर किसानों के साथ चर्चा कीजिए और आप इंडिया टूगेदर पाएंगे।'
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