नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली में आदिवासियों का प्रदर्शन के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चार दिवसीय यात्रा पर सोमवार रात मणिपुर पहुंचे जहां वह जातीय हिंसा का समाधान निकालकर शांति बहाल करने के उद्देश्य से अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। वह दिल्ली से एक विशेष विमान से इंफाल के बीर टीकेंद्रजीत इंफाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे।
सूत्रों ने कहा कि शाह हालात का आकलन करने और सामान्य स्थिति बहाल करने की योजना बनाने के लिए मंगलवार को अनेक दौर की बैठक कर सकते हैं। वह बुधवार को संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित कर सकते हैं और राज्य में जारी हिंसा पर नियंत्रण के लिए कदमों की घोषणा कर सकते हैं।
How can Sambit Patra attend this official meeting chaired by the Home Minister in Imphal? pic.twitter.com/Qj3JooIW69 — Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) May 29, 2023
How can Sambit Patra attend this official meeting chaired by the Home Minister in Imphal? pic.twitter.com/Qj3JooIW69
सुरक्षा सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि वह बृहस्पतिवार सुबह इंफाल से लौट सकते हैं। मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से शाह की यह राज्य की पहली यात्रा है। मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय झड़पों में 75 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
जनजातियों के सदस्यों ने की मणिपुर में केंद्र के हस्तक्षेप की मांग हमार, कुकी, मिजो और जोमी जनजाति की सैकड़ों महिलाओं ने सोमवार को यहां जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया और मणिपुर में तनाव को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार से ‘‘उचित हस्तक्षेप'' की मांग की। प्रदर्शनकारी पोस्टर और राष्ट्रीय ध्वज लेकर प्रदर्शन स्थल पर एकत्र हुए और न्याय की मांग के नारे लगाए। बारिश के बीच भी उन्होंने प्रदर्शन जारी रखा।
मंच से एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘जब मैं आज सुबह उठी, तो मैंने देखा कि हमारे मुख्यमंत्री ने कहा है कि कुकी आतंकवादी हैं...हमें अपने ही घर में बेघर कर दिया गया है।'' भीड़ से ‘‘हम भारतीय हैं'' के नारों के बीच एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘हम भारतीय हैं, हमारे पूर्वज स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम अवैध प्रवासी नहीं हैं।'' मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय झड़पों में 75 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर पहले से तनाव गहराया हुआ था। मैतेई मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। राज्य में हालात सामान्य करने के लिए अर्धसैनिक बलों के अलावा सेना और असम राइफल्स की लगभग 140 टुकड़ियां तैनात करनी पड़ीं, जिनमें 10,000 से अधिक कर्मी शामिल हैं।
Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।
LOC पर घुसपैठ की कोशिश नाकाम, सेना ने मार गिराए दो आतंकवादी
आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने 25 करोड़ से अधिक लोगों की जिंदगी बदल दी:...
भारत- कनाडा तनाव के बीच जयशंकर ने कहा- एक- दूसरे से बात करनी होगी
Asian Games 2023: सरबजोत और दिव्या ने शूटिंग मिश्रित टीम स्पर्धा में...
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 से ज्यादा पदाधिकारी कांग्रेस में...
रमेश बिधूड़ी को टोंक का प्रभार: मुस्लिम ध्रुविकरण या पायलट के गढ़ में...
विदेशों से धन भेजने को सुगम बनाने के लिए कई देशों से बातचीतः RBI...
इस्कॉन ने मेनका गांधी को 100 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा
पॉक्सो कानून में यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र में बदलाव की सलाह...
वेदांता विभिन्न कारोबार को करेगी अलग, बनाएगी 5 कंपनियां