नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कस्तूरबा बालिका विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षिका की नौकरी पाने के प्रकरण में मंगलवार को उस समय नया मोड़ आ गया जब अनामिका शुक्ला नामक युवती ने अपने शैक्षिक प्रमाणपत्रों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे बदनाम करने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
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जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. इन्द्रजीत प्रजापति ने बताया कि अनामिका मंगलवार दोपहर बाद अपने समस्त शैक्षिक प्रमाणपत्रों की मूल प्रतिलिपि के साथ कार्यालय में उनसे मिली तथा कहा कि उसने न तो पूर्व में किसी भी कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय में कभी नौकरी की है और न ही वर्तमान में कर रही है। उसके प्रमाणपत्रों का दुरुपयोग किया गया है । प्रजापति के अनुसार अनामिका ने बताया कि उसके प्रमाणपत्रों का दुरुपयोग करके कुछ लोगों द्वारा अनुचित तरीके से नौकरी हासिल की गई और अब समाज में उसकी छवि खराब हो रही है । उसने दोषी लोगों के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने की मांग की है और इस संबंध में एक पत्र भी सौंपा है।
अनामिका का कहना है कि उसके पिता सुभाष चंद्र शुक्ला रेलवे में नौकरी करते थे और उनका परिवार खरगूपुर थाना क्षेत्र स्थित रेलवे कालोनी के सरकारी आवास में रहता था। उसने कस्तूरबा गांधी इंटर कॉलेज, रेलवे कॉलोनी से 2007 में हाईस्कूल किया और इसके बाद 2009 में बेनी माधव जंग बहादुर इंटर कॉलेज, परसपुर से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 2012 में रघुकुल महिला विद्यापीठ से बीएससी की डिग्री हासिल की ।
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उसने आम्बेडकर नगर के एक कॉलेज से बीएड की डिग्री ली और यूपी टीईटी की परीक्षा पास कर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, गोण्डा में पूर्णकालिक शिक्षिका के रिक्त पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया। बताया जाता है कि निजी कारणों से वह काउसंङ्क्षलग में भाग नहीं ले सकी। परिणामस्वरूप मेरिट में उत्कृष्ट स्थान होने के बाद भी उसका चयन नहीं हो पाया, किन्तु उसके प्रमाणपत्रों के सहारे करीब दो दर्जन जिलों में अलग-अलग लड़कियों ने नियुक्तियां प्राप्त कर लीं।
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प्रजापति ने बताया कि अनामिका का कहना है कि सेवानिवृत्त होने के बाद उसके पिता सरकारी आवास छोड़कर परिवार के साथ गांव चले गए। अनामिका के शैक्षिक प्रमाणपत्रों में चूंकि रेलवे कालोनी, गोण्डा का पता दर्ज था और उस पते पर वर्तमान में परिवार नहीं रह रहा था, इसलिए बीएसए कार्यालय पहुंचने से पहले तक उसके बारे में अन्य कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी।
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अनामिका अपने वकील के माध्यम से बीएसए कार्यालय पहुंची थी और उसने अपने सभी मूल शैक्षिक प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए। उसने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) को सौंपे शिकायती पत्र की प्रतिलिपि जिले के पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को भी सौंपी है और कार्रवाई की मांग की है ।
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