नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पिछले 50 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ धरने पर बैठे किसानों के समर्थन में अन्ना हजारे भी आवाज उठाने की तैयारी में हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक पत्र लिखा है। उस पत्र में उन्होंने अपना फैसला दोहराते हुए कहा है कि वह जनवरी के अंत में दिल्ली में किसानों के मुद्दे पर अंतिम भूख हड़ताल करेंगे।
केंद्र के 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर विभिन्न किसान संगठनों के जारी आंदोलन के बीच हजारे ने यह चिट्ठी लिखी है हजारे ने तारीख बताएं बिना ही कहा कि वह महीने के अंत तक उपवास शुरू कर देंगे। वहीं आज किसानों यानी 15 जनवरी को किसानों और सरकार के बीच में वार्ता होनी है। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद इस वार्ता के टलने के संकेत मिल रहे थे, जिसे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने खारिज कर दिया है।
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आज किसान और सरकार के बीच वार्ता गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान संगठनों और सरकार के बीच नौवें दौर की वार्ता तय कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को होगी और केंद्र को उम्मीद है कि चर्चा सकारात्मक होगी। सरकार खुले मन से किसान नेताओं के साथ बातचीत करने को तैयार है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गतिरोध सुलझाने के लिए चार सदस्यीय कमेटी नियुक्त किए जाने और फिर एक सदस्य के इससे अलग हो जाने के कारण नौवें दौर की वार्ता को लेकर भ्रम की स्थिति को दूर करते हुए तोमर ने कहा कि सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच 15 जनवरी को दिन में 12 बजे से बैठक होगी।
वहीं दूसरी ओर किसान संगठनों ने कहा है कि वे सरकार के साथ वार्ता करने को तैयार हैं। लेकिन, वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी के समक्ष पेश नहीं होना चाहते हैं। किसान संगठनों ने समिति के सदस्यों को लेकर आशंका जाहिर करते हुए कहा कि इसके सदस्य पूर्व में तीनों कानूनों की पैरवी कर चुके हैं।
SC समिति से अलग हुए भुपिंदर सिंह मान इससे पहले दिन में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने कहा कि वह कृषि कानूनों पर किसानों और केंद्र के बीच गतिरोध को सुलझाने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति से अलग हो गए हैं। मान ने कहा कि समिति में उन्हें सदस्य नियुक्त करने के लिए वह शीर्ष अदालत के आभारी हैं लेकिन किसानों के हितों से समझौता नहीं करने के लिए वह उन्हें पेश किसी भी पद का त्याग कर देंगे। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘खुद किसान होने और यूनियन का नेता होने के नाते किसान संगठनों और आम लोगों की भावनाओं और आशंकाओं के कारण मैं किसी भी पद को छोडऩे के लिए तैयार हूं ताकि पंजाब और देश के किसानों के हितों से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो।
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