दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को हरियाणा सरकार से दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें गर्मी को देखते हुए पहले के आदेश के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में यमुना के पानी की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ को अवगत कराया गया कि मई 2019 में उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश में नदी से अवैध बांधों या अवरोधों को हटाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन पिछले महीने की तस्वीरों में स्पष्ट रूप से जल प्रवाह को अवरुद्ध करने वाली ऐसी संरचनाएं (अब भी) दिखाई देती हैं।
जल बोर्ड ने अधिवक्ता एस. बी. त्रिपाठी के जरिये 2013 में दायर एक जनहित याचिका में राष्ट्रीय राजधानी को पर्याप्त जल आपूर्ति का निर्देश देने का अनुरोध किया था । बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वर्तमान आवेदन जल आवंटन में किसी भी वृद्धि या किसी अतिरिक्त पानी के लिए नहीं था, बल्कि केवल इसके जरिये अवरोधों को हटाने पर मौजूदा न्यायिक निर्देशों के कार्यान्वयन की मांग की गयी थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने जल बोर्ड से पूछा कि क्या अंतर-राज्यीय जल विवाद होने के कारण उच्चतम न्यायालय द्वारा इसकी सुनवाई की जानी चाहिए?
हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता ने दलील दी कि मौजूदा मामला केवल एक "पुलिसिंग मामला" है और इसमें किसी भी अंतर-राज्यीय जल विवाद के फैसले की आवश्यकता नहीं है। खंडपीठ ने हरियाणा सरकार से याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और मामले को 10 मई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
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