नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को 27 वर्षीय जामिया विश्वविद्यालय (Jamia University) के एक छात्र को जमानत देने से इंकार कर दिया, कोर्ट ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) की आड़ में हिंसा (Delhi Riots) की अन्य गतिविधियों के साथ व्यर्थ आंदोलन का उद्देश्य केवल भारत के खिलाफ असंतोष भड़काना था।
यह दूसरी बार है कि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र आसिफ इकबाल तनहा की जमानत याचिका खारिज की गई है। आसिफ पर पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप लगाया गया है।
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आसिफ की जमानत याचिका खारिज कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही अपने आदेश में कहा कि पुलिस के इस बात पर विश्वास करने के पर्याप्त कारण है कि आरोपी के खिलाफ लगे आरोप पहली नजर में सही लगते हैं। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि फिलहाल आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता।
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साकेत कोर्ट से अफजल को जमानत वहीं साकेत जिला अदालत ने दिल्ली हिंसा मामले में गिरफ्तार आरोपी अफजल उर्फ आशु को जमानत दे दी है। अदालत ने अफजल को 20 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करने की शर्त पर जमानत दी है। अदालत ने आरोपी को यह हिदायत दिया कि वह इस तरह के अपराध में शामिल नहीं हो और बुलाए जाने पर अदालत में पेश हो। इसके साथ ही गवाहों और साक्ष्यों को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करने का आदेश दिया है।
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अफजल पर था ये आरोप अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि हिंसा के दौरान अफजल द्वारा रॉड से एक व्यक्ति पर हमला करने का आरोप लगाया गया, जबकि वास्तविक तौर पर व्यक्ति याचिकाकर्ता नहीं है। साकेत कोर्ट मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विवेक कुमार अग्रवाल ने कहा है कि मामले में जांच पूरी हो चुकी और आरोपी के खिलाफ कोई मामला नहीं है। अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में अफजल को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प के बाद शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे करोड़ों की संपत्ति जलकर खाक हो गई थी
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