Saturday, Jun 10, 2023
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anurag thakur said realization and confidence of development in budget 2021-22 pragnt

बजट 2021-22 में यथार्थ का अहसास और विकास का विश्वास: अनुराग ठाकुर

  • Updated on 2/17/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। किसान आंदोलन और बजट को लेकर पंजाब केसरी/जग बाणी/नवोदय टाइम्स/हिंद समाचार ने केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री व हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) के साथ विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...

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आप खुद केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो इस बार का बजट पेश किया है, उसे आप कैसे देखते हैं?
वर्ष 2021-22 का बजट असाधारण परिस्थितियों के बीच पेश किया गया है। इसमें यथार्थ का अहसास और विकास का विश्वास भी है। यह बजट उन क्षेत्रों पर केंद्रित है, जो वेल्थ और वेलनेस दोनों से संबंधित है। बुनियादी ढांचे और एमएसएमई पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाकर आम लोगों के जीवन में इज ऑफ लिविंग को बढ़ाने पर इस बजट में जोर दिया गया है। यह बजट व्यक्तिगत, उद्योग, निवेशकर्ता और साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बहुत सकारात्मक बदलाव लाएगा। सरकार ने राजकोषीय स्थिरता के साथ तालमेल बिठाते हुए बजट का आकार बढ़ाने पर जोर दिया और नागरिकों पर दबाव नहीं डाला। आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में यह बजट एक मील का पत्थर साबित होगा।

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विपक्ष इस बजट को निराशाजनक बता रहा है। उसका कहना है कि यह बजट केवल 1 फीसदी लोगों का बजट है?
आज के मौजूदा दौर में विपक्ष सिर्फ विरोध की राजनीति के चलते ही अप्रासंगिक हो गया है। यह बजट सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास के मूलमंत्र के साथ 130 करोड़ भारतीयों का बजट है। विपक्ष बजट को निराशाजनक तो तब बताए जब उसे ठीक से पढ़े और उसके बारे में जानकारी जुटाए। जब वित्तमंत्री जी बजट पढ़ रही थीं तो राहुल गांधी जी से बैठा नहीं गया और वो उठकर चले गए। सदन में बजट पर चर्चा के दौरान उनकी तैयारी नहीं थी और बस एजैंडा भाषण देकर सदन छोड़कर चलते बने। जो पार्टी इतने महत्वपूर्ण विषयों पर गम्भीर नहीं है, उससे आप बजट के नफा-नुक्सान की जानकारी होने की क्या उम्मीद कर सकते हैं। इस बजट में हमने हैल्थ सैक्टर का खासा ध्यान रखा है और इसमें 137 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए इसे 94 हजार से 2.38 लाख करोड़ कर दिया है। मोदी सरकार ने इस बजट के जरिए आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना का तोहफा देश को दिया है।

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आपकी सरकार कह रही है कि उसने बजट में आम लोगों पर एक रुपए का भी नया टैक्स नहीं लगाया, ये सही भी है लेकिन आपने बजट में मिडल क्लास को कुछ दिया भी नहीं। टैक्स स्लैब जस का तस है?
कोरोना महामारी में इस वर्ष का बजट बनाना निश्चित रूप से एक जटिल काम था परन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक सर्वस्पर्शी बजट पेश किया है। जनता पर अतिरिक्त कर का कोई बोझ न डालकर आमजनमानस खासकर मध्यम वर्ग को राहत पहुंचाने का काम किया है। मोदी सरकार कोई भी काम वोट बैंक को ध्यान में रखकर नहीं करती। हम सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के मूलमंत्र को आधार मानकर समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के लिए कृतसंकल्प हैं। मध्यम वर्ग के हित में सस्ते घर के लिए कर्ज में छूट की अवधि एक साल और बढ़ाई गई है। मध्यम वर्ग तक इंफ्रा, हैल्थ, एजुकेशन का बेहतर लाभ मिले, इस दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं। बजट से मध्यम वर्ग को अपेक्षा और आशंका  दोनों होती हैं। मध्यम वर्ग हमेशा सोचता है कि उसके लिए कुछ रियायत बढ़े, उसके पास डिस्पोजेबल इंकम हो या निवेश की सीमाएं बढ़ें या टैक्स का बोझ कम हो। उसकी अपेक्षाएं पूरी हो सकें, इस दिशा में हम सदैव प्रयासरत रहते हैं।

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कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
देश में कृषि क्षेत्र को मजबूती देने के लिए किसानों की आय बढ़ाने पर बहुत जोर दिया गया है। किसानों को आसानी से और ज्यादा ऋण मिल सकेगा। देश की मंडियों को और मजबूत करने के लिए प्रावधान किया गया है। ये सब निर्णय दिखाते हैं कि इस बजट के दिल में गांव हैं, हमारे किसान हैं। हमने एग्रीकल्चर के क्रैडिट टारगेट को 16 लाख करोड़ तक किए जाने का रास्ता साफ किया है। किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि में 65000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यूपीए सरकार से करीब तीन गुणा राशि मोदी सरकार ने किसानों के खातों में पहुंचाई। माइक्रो इरीगेशन फंड को दोगुना किया गया है, जिससे कृषि क्षेत्र को बल मिलेगा। देश में 5 कृषि हब भी बनाए जाएंगे। रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को 30 से 40 हजार करोड़ रुपए करने, लघु सिंचाई परियोजनाओं के लिए 10 हजार करोड़ रुपए, 1000 'ई-नाम' के जरिए किसानों को वैश्विक बाजार से जोड़ने और स्वामित्व योजना जैसे अनेक प्रयास किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किए गए हैं।

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बीमा क्षेत्र में एफ.डी.आई. 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने की योजना है। क्या इससे घरेलू कंपनियों को नुक्सान नहीं होगा?
बजट-2021  में हमने बीमा क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार करते हुए बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दी है। बीमा क्षेत्र में सुरक्षा के उपायों के साथ विदेशी मालिकाना हक को मंजूरी दी गई है, जिससे बीमा क्षेत्र में भारी निवेश आने की पूरी उम्मीद है। आपको ध्यान होगा तो इस घोषणा के साथ ही सेंसेक्स में भारी उछाल देखने को मिला। हमने काफी विचार के बाद व कुछ शर्तों के साथ इस कदम की मंजूरी दी है। जैसे कि बीमा कंपनियों के प्रबंधन में भारतीय निवासियों का होना अनिवार्य होगा। मैनेजमेंट कंट्रोल भारतीयों के हाथ में रहे, ऐसा प्रावधान बैंकों में भी है। बीमा सेक्टर की तरफ से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा बढ़ाने की मांग लंबे समय से हो रही थी।  इस कदम से कारोबार बढ़ाने के लिए और पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी।

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आपने हाल ही में कहा-देश महामारी के बाद वी आकार का पुनरुद्धार देख रहा है और भारत अब शुद्ध ऋणदाता देश बन गया है?
अगर आप अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को देखें तो आई.एम.एफ. ने कहा कि भारत की विकास दर 11.5 प्रतिशत रहेगी, आरबीआई ने कहा कि यह 10.5 प्रतिशत से ज्यादा रहेगी तो दुनिया के संगठनों ने भारत की विकास दर को डबल डिजिट में ही रखा है। 90 के दशक में इतना सुधार नहीं हुआ जितना आपदा के दौरान हुआ। मोदी जी ने आपदा में अवसर ढूंढने का काम देखा और भारतीय अर्थव्यवस्था को गति दी।  इसलिए गत 4 माह में जी.एस.टी. संग्रह एक लाख करोड़ से ज्यादा का रहा है और जनवरी में तो यह लगभग 1 लाख 20 हजार करोड़ हुआ। इसलिए दुनियाभर के देश कहते हैं कि भारत में 1 (वी) आकार में रिकवरी हुई है। इसका मुख्य कारण यही था कि भारत ने कोविड पर जीत दर्ज की। अब तक जितना भी काम किया है अर्थव्यवस्था को वापस खड़ा करने के लिए जो भी कदम उठाए हैं वह बड़े साहसिक थे, जिसकी लोगों ने कल्पना भी नहीं की थी।

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विनिवेश को लेकर पिछले साल भी बहुत बड़ा लक्ष्य था लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया, इस बार क्या अलग होगा?
देखिए, हम देश के करदाताओं की इज्जत करते हैं और उनके द्वारा दिया गया टैक्स सही जगह इस्तेमाल हो, उसका दुरुपयोग न हो और वो पैसा देश के काम आ सके, हमारा प्रयास इस दिशा में है। मोदी सरकार की कोशिश सरकारी कम्पनियों में पेशेवर दक्षता और पारदर्शिता लाने की है। मुझे उम्मीद है कि कोविड-19 की वजह से हुई देरी के बाद अब हम भारत पैट्रोलियम, एयर इंडिया, कॉनकोर और अन्य कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की अपनी योजना को पूरा कर पाएंगे। इनके अलावा हम दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी का भी निजीकरण करेंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि हम न सिर्फ 1.75 लाख करोड़ रुपए का टारगेट हासिल करेंगे, बल्कि हम इससे ज्यादा पर पहुंच जाएंगे। मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि हम इस टारगेट से आगे निकल जाएंगे। 2025-26 तक के लिए मीडियम-टर्म फिस्कल लक्ष्य ऊंचे दिखाई देते हैं लेकिन मोदी सरकार के वित्तीय अनुशासन को लेकर एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। हमें वित्तीय समझदारी के लिए जाना जाता है। 2013-14 में वित्तीय घाटा 5.6 फीसदी था, जिसे हम पांच साल में घटाकर 3.4 फीसदी पर ले आए हैं।

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रक्षा क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में बजट में कितनी वृद्धि हुई है ?
रक्षा एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और मोदी सरकार देश की सीमाओं व सैनिकों के लिए धन की कमी कभी आड़े नहीं आने देगी। इसके लिए हम वचनबद्ध हैं। 2021-22 के केंद्रीय बजट में रक्षा मंत्रालय को 4,78,195.62 करोड़ रुपए आबंंटित किए गए हैं। आबंंटित राशि का सर्वाधिक हिस्सा सैन्य आधुनिकीकरण पर खर्च होगा। रक्षा बजट के 4.78 लाख करोड़ में 1.35 लाख करोड़ कैपिटल बजट के लिए रखा गया है, जिसका इस्तेमाल नए हथियार, वायुयान, युद्धपोत और अन्य सैन्य उपकरण खरीदने और सेना के आधुनिकीकरण के दूसरे उपायों के लिए किया जाएगा। सशस्त्र बलों के लिए आधुनिकीकरण निधि पिछले साल के 113734 रुपए से बढ़कर 2021-22 के लिए 135060 करोड़ रुपए हो गई है। रक्षा क्षेत्र में यह भारी भरकम बजट आबंटन दिखाता है कि देश की रक्षा-सुरक्षा को हम पूरी गम्भीरता से ले रहे हैं, ताकि देशवासी चैन की नींद सो सकें।

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अभी देश में सबसे ज्यादा चर्चा किसान आंदोलन की हो रही है। आंदोलन को शुरू हुए दो माह से ज्यादा समय गुजर चुका है लेकिन किसान अपनी मांगों से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। वे सरकार से हर हाल में तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। क्या कहना चाहेंगे?
गरीब हो, किसान हो, श्रमिक हो, महिलाएं हों, ये सभी आत्मनिर्भर भारत के मजबूत स्तंभ हैं। इसलिए इनका आत्मसम्मान और इनका आत्मगौरव ही आत्मनिर्भर भारत की प्राण शक्ति है, भारत की प्रेरणा है। इनको सशक्त करके ही भारत की प्रगति संभव है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अन्नदाता की आय दोगुनी करने, फसलों का सही मूल्य दिलाने, कृषि को टैक्नोलॉजी से जोड़ने के लिए निर्णायक कदम उठा रहे हैं और इसके लिए मोदी सरकार कृषि कानून लेकर आई है मगर कांग्रेस पार्टी समेत विपक्षी दल इन किसान कल्याणकारी बिलों का अनुचित विरोध करके किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। किसान भाई इनके झांसे में आए बिना सत्यता की कसौटी पर मोदी सरकार की नीतियों और प्रतिबद्धता को परखें व मोदी जी पर भरोसा रखें कि वो किसान का अहित कभी भी नहीं होने देंगे। दशकों तक हमारे किसान भाई-बहन कई प्रकार के बंधनों में जकड़े हुए थे और उन्हें बिचौलियों का सामना करना पड़ता था।

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इस बिल से अन्नदाताओं को इन सबसे आजादी मिली है। इससे किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा और उनकी समृद्धि सुनिश्चित होगी। हर विषय पर झूठ फैलाकर भ्रम की स्थिति पैदा करने वाले विपक्ष को उनका यही हथियार बैकफायर कर रहा है। कांग्रेस का झूठ सदन के माध्यम से दुनिया के सामने आ चुका है। मैंने भरे सदन में विपक्ष को चुनौती दी थी कि कोई एक सांसद यह साबित करे कि इस बिल से मंडियां खत्म हो जाएंगी। जवाब में कांग्रेसी सांसद ने स्वीकारा कि इस बिल में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि मंडियां खत्म होंगी। किसानों को अब समझ में आ रहा है कि इस किसान बिल में उनके खिलाफ कुछ भी गलत नहीं है। इस बिल के अनुसार जब ठेका सिर्फ फसल का होना है, आढ़ती और मंडी की व्यवस्था पहले जैसी रहनी है तो विपक्ष किसानों को गुमराह करके क्या हासिल करना चाहता है।

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कांग्रेस ने जिस बात का जिक्र अपने घोषणा पत्र में किया था, मोदी सरकार ने उसे लागू करने का काम किया है। कांग्रेस पार्टी तब झूठ बोल रही थी या अब? उसे यह साफ करना चाहिए। किसान आंदोलन पवित्र है और लोकतंत्र में आंदोलन करने का अधिकार सभी को है मगर इस देश को आंदोलनकारी और आंदोलनजीवियों में फर्क करना बहुत जरूरी है। मोदी सरकार ने किसानों के साथ वार्ता के सभी द्वार खुले रखे हैं और जरूरत पडऩे पर कोई संशोधन जरूरी लगेगा तो वो भी हम करेंगे। अगर मोदी सरकार ने किसानों को उनकी फसल को बेचने के लिए विकल्प उपलब्ध कराए हैं तो इसमें विपक्ष को दिक्कत क्यों है?

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