Wednesday, Mar 29, 2023
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apple growers of himachal disappointed with modi bjp government general budget 2023

मोदी सरकार के आम बजट 2023 से हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों में निराशा

  • Updated on 2/1/2023

नई दिल्ली/एजेंसी। एक सेब उत्पादक संघ के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 का आम बजट हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रहा है क्योंकि इसमें फलों पर आयात शुल्क और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी का कोई जिक्र नहीं है। फल, सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष, हरीश चौहान ने बुधवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि पैकिंग सामग्री, कृषि उपकरण, कीटनाशक, कवकनाशी, ड्रिप सिंचाई और पॉली हाउस पर 18-28 प्रतिशत जीएसटी कम नहीं होने तथा सेब पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी का कोई उल्लेख नहीं होने से सेब उत्पादक निराशा हैं। चौहान ने कहा कि पिछले बजट में 1,900 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के मुकाबले वर्तमान बजट में बागवानी मिशन का आवंटन बढ़ाकर 2,200 करोड़ रुपये करना बेहद मामूली बढ़ोतरी है और इसे कम से कम 4,000-5000 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जाना चाहिए था। सेब उत्पादकों के संघ का कहना है कि हिमाचल में सेब की अर्थव्यवस्था 5,000 करोड़ रुपये की है और 2.5 लाख परिवार सीधे तौर पर इसपर निर्भर हैं।

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उन्होंने कहा, ‘‘हमें बजट से बहुत उम्मीदें थीं और बजट-पूर्व चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री को हमने अपनी मांगों से अवगत कराया था, लेकिन कुछ भी ठोस नहीं निकला।'' उन्होंने कहा कि किसान सम्मान निधि (6,000 रुपये प्रति वर्ष) भी नहीं बढ़ाई गई है। और इसके विपरीत, सम्मान निधि के लाभ को बेअसर करने के लिए कृषि क्षेत्र पर कर लगाया गया है। उन्होंने कहा कि बजट में किसानों को 20 लाख करोड़ रुपये के ऋण का प्रावधान किया गया है, लेकिन हमें कर्ज की जरूरत नहीं है। हमारी मांग किसानों को कर्ज के बोझ से मुक्त करने के लिए एकमुश्त निपटान में ऋण / ब्याज माफ करने की थी।

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हालांकि, उन्होंने मोटा अनाज (श्री अन्न योजना) और डिजिटल फसल योजना के लिए वैश्विक केंद्र बनाने की पहल का स्वागत किया। हिमाचल किसान सभा ने बजट को निराशाजनक करार दिया। सभा के अध्यक्ष कुलदीप तंवर ने कहा कि हिमाचल किसान सभा ने भी सेब उत्पादकों की सेब पर आयात शुल्क 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने तथा ग्रेड ए, ग्रेड बी और ग्रेड सी के सेबों के दाम क्रमश: 60 रुपये, 44 रुपये और 24 रुपये प्रति किलोग्राम करते हुए, कश्मीर की तर्ज पर बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) लागू करने की मांग को पूरा नहीं किया गया है।

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प्रोग्रेसिव ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकिंदर बिष्ट ने कहा कि ‘‘बजट सेब उत्पादकों की प्रमुख मांगों को पूरा करने में विफल रहा है, लेकिन महंगी बागवानी फसलों पर ध्यान देना सही दिशा में उठाया गया कदम है। शीत भंडारण और अन्य सुविधाओं के लिए छोटे और मझोले किसानों के लिए सब्सिडी सराहनीय है। संयुक्त किसान मंच (एसकेएम) के बैनर तले राज्य में सेब उत्पादकों ने जीएसटी में वृद्धि के खिलाफ आंदोलन किया था, जिससे पिछले साल पैकिंग सामग्री और अन्य सामान पर लागत में वृद्धि हुई थी। आंदोलन का वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनावों पर भी असर पड़ा क्योंकि यह चुनावी मुद्दा बन गया था। 

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