नई दिल्ली/टीम डिजिटल। आज का दिन किसानों (Farmers) के लिए बेहद अहम है, क्योंकि केंद्र से उनकी वार्ता का अंतिम दिन है, अगर गुरुवार 3 दिसंबर को उनकी वार्ता से कोई हल नहीं निकलता है तो किसान दिल्ली (Delhi) की तरफ अपना रुख करने लगेंगे। यही नहीं, सभी बॉर्डर को जाम कर बंद किया जाएगा। साथ ही किसानों ने कहा कि यूपी और हरियाणा के रास्ते आने वाले दूध और सब्जी सहित अन्य सामानों की आपूर्ति को ठप किया जाएगा।
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आज वार्ता असफल रही तो बिगड़ेंगे हालात किसानों ने इस संबंध में साफ तौर पर कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) से 1 और 2 दिसंबर को हुई वार्ता में अभी तक कोई हल नहीं निकला है, नतीजतन टीकरी बॉर्डर और सिंधु बॉर्डर के बाद बुधवार के दिन यूपी के किसानों ने नोएडा डीएनडी, चिल्ला एंट्री प्वाइंट और गाजीपुर बॉर्डर को जाम करने की कोशिश की। जिसके चलते ट्रैफिक प्रभावित रहा। इस मौके पर किसानों का कहना था कि पंजाब के किसानों ने टीकरी और सिंधु बॉर्डर को जाम किया तो उन्हें बुलाया गया, हम लोग शांत थे तो सरकार को लगा कि हम बिल के विरोध में नहीं हैं। इसी के चलते हजारों की संख्या में किसानों का जमावड़ा इन बॉर्डर पर रहा।
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दिल्ली पुलिस ने बढ़ाई सुरक्षा वहीं दूसरी तरफ पुलिस ने कहा है कि सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, साथ ही एडवाइजरी भी जारी की है कि किसान बेवजह और जबरन दिल्ली में दाखिल न हों और शांति व्यवस्था बनाए रखें। इस मौके पर किसानों को समर्थंन देने के लिए पूर्व सांसद और कांग्रेसी नेता उदित राज भी पहुंचे, वहीं दूसरी तरफ राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता को टीकरी बॉर्डर पर बैरिकेड पार करने से पुलिस ने रोक लिया। अब हरियाणा के किसान बदरपुर बॉर्डर पर डेरा डालने की प्लानिंग कर रहे हैं।
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अमित शाह के घर बैठक में बनी रणनीति केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों से वीरवार को होने वाली चौथे दौर की वार्ता के लिए सरकार ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। बताया गया कि बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में वार्ता की रणनीति बनी। सूत्रों के मुताबिक किसानों के साथ होने वाली वार्ता में अब सचिव स्तर के कुछ अधिकारी भी शामिल होंगे।
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किसानों को देंगे कृषि कानूनों की जानकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार अभी भी इस कोशिश में है कि किसान उसकी बात को समझें और तीनों कृषि कानूनों की मुखालफत करने की जिद छोड़ आंदोलन वापस ले लें। इसके लिए सरकार ने अब विभिन्न महकमे के सचिव स्तर के अधिकारियों को साथ लेकर किसानों के साथ बातचीत की रणनीति तैयार की है। अधिकारी किसानों को तीनों कृषि कानूनों की खूबियां और उससे होने वाले फायदों की जानकारी देंगे। वहीं अगर किसानों की ओर से कोई बेहतर सुझाव मिलता है तो अधिकारी कानूनों में बदलाव की हाथ के हाथ सिफारिश करेंगे।
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ये केंद्रीय मंत्री रहेंगे मौजूद सरकार की कोशिश है कि चौथे दौर की बैठक अंतिम बैठक बने और बातचीत का नतीजा निकले। इसलिए अब कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसी के चलते मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने वार्ता में किसानों से कानून से जुड़ी आपत्तियों और उनके सुझाव को लिखित में देने पर जोर दिया। ताकि बिंदुवार सरकार उस विचार कर वार्ता को किसी नतीजे तक लेकर जा सके।
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किसानों का आंदोलन सरकार के लिए बनी मुसीबत दरअसल, किसानों का आंदोलन सरकार के गले की फांस बनती दिख रही है। शुरुआत में सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। तीन दिन तक सिंघु और टिकरी बार्डर पर जुटे किसानों से बातचीत की पहल करने की बजाए 3 दिसंबर को वार्ता करने पर अड़ी रही। सरकार के रणनीतिकारों को लगा कि बढ़ती ठंड में ठिठुरने की जहमत उठाने की बजाए किसान दो-तीन दिनों में वापस लौट जाएंगे।
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