नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल ने हरियाणा (Haryana) के किसानों से एक भाषण के लिए माफी मांगी है। इस भाषण में उन्होंने कथित तौर पर हरियाणा के युवाओं को 'गुमराह' कहा था और उन पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले की ओर जाने का आरोप लगाया था। सिंघू सीमा पर संयुक्त किसान मोर्चा के मंच से बुधवार को ये भाषण दिया गया था।
भाषण में गणतंत्र दिवस की हिंसा के बारे में बात करते हुए राजेवाल ने कहा था कि जब हम 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर आए, तो मुझे हरियाणा के किसानों की बैठक लेने के लिए कहा गया। लेकिन मैंने उस बैठक की अध्यक्षता करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनके युवा संघ के वरिष्ठ नेताओं के नियंत्रण में नहीं थे और अतीत में उन्होंने जाट आंदोलेन को विफल कर दिया था। जब हमने दिल्ली की सीमाओं पर धरना शुरू किया, तो हमने हरियाणा के किसानों से जाटा आंदोलन की तरह इस आंंदोलन को विफल नहीं करने का संकल्प लिया। लेकिन मंगलवार को, उनके गुमराह युवा लाल किले की ओर दूसरों का नेतृत्व कर रहे थे। ”
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राजेवाल के भाषण का 45 सेकेंड का हिस्सा वायरल बलबीर सिंह राजेवाल के भाषण का 45 सेकेंड का हिस्सा जिसमें वो हरियाणा के युवाओं के बारे में बात कर रह हैं वो खूब वायरल हुआ। जो क्लिप वायरल हुआ उसमें हिंदी सबटाइटल देकर शेयर किया जा रहा था। इसके बाद गुरुवार को फेसबुक लाइव संदेश में राजेवाल ने कहा कि कई लोग मेरे भाषण का एक हिस्सा एडिट करके दिखा रहे हैं। जहां मैंने हरियाणा के किसानों के बारे में कहा था।
राजेवाल ने आगे कहा कि कभी-कभी, गलती होने पर हमें अपने बच्चों से कुछ बातें कहने की जरूरत होती है। हालांकि, मेरा मतलब कभी किसी को चोट पहुंचाना नहीं था। अगर किसी को बुरा लगा है, तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूं। यह एक किसान अनंदोलन है और मैंने 1978 में कई हरियाणा यूनियनों के साथ काम किया है और बाद में भी, फिर मैं हयारण किसानों के बारे में कुछ क्यों कहूंगा?
राजेवाल ने इस एफबी लाइव में हरियाणा के किसानों से बार-बार माफा मांगी और उन्हें सामान्य रूप से धरने का हिस्सा बने रहने और इसे मजबूत बनाने के लिए कहा।
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7 संगठनों ने वापस लिया किसान आंदोलन बता दें कि गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के चलते किसान आंदोलन से 7 संगठन अलग हो गए हैं। इनमें से तीन संगठन गाजीपुर बॉर्डर पर थे और चार सिंघू सीमा पर डटे थे। अलग होने वाले संगठन में रुलदु सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब किसान यूनियन रुलदु ग्रुप भी शामिल है। इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन (उग्रहां) भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) भी आंदोलन से अलग हो गई है। इन संगठनों के नेता क्रमाश: जोगिंदर सिंह उग्राहां, सुरजीत सिंह फूल और सतनाम सिंह साहनी कर रहे हैं।
हरेंद्र सिंह लाखोवाल की अध्यक्षता वाले भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) प्रेम सिंह भंगू के नेतृत्व वाले कुल हिंद किसान फेड्रेशन और अवीक साहा के नेतृत्व वाले जन किसान आंदोलन, स्वराज इंडिया ने भी खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है। इन संगठनों ने अपने टेंट भी उखाड़ लिए हैं।
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