नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव के बीच भारत ने चीन के 59 एप्स को भारत में बैन कर दिया। ये कदम भले ही छोटा लेग लेकिन इसका चीन पर बड़ा असर पड़ा है और इसका प्रभाव दूरगामी भी हो सकता है।
भारत के इस फैसले पर चीन ने काफी नाराजगी जताई है। अब चीन को अंदाजा हो चला है कि भारत के खिलाफ उसने जो प्लानिंग की थी वो फेल हो सकती है। दरअसल, भारत को जानकारी मिली है कि चीनी एप्स को बैन करने पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी समर्थित चीन की योजना को बड़ा झटका मिला है।
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कमजोर होगी चीन की पकड़ चीनी एप्स को बैन करने से भारत में चीनी कंपनियों की एकपक्षीय पकड़ कमजोर होगी और साथ ही इसके आधारभूत ढांचों, तकनीकी अपग्रेडेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों को मानने की योजना को झटका लगेगा। क्योंकि भारत पर पकड़ बनाने की इस योजना को कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन मिला हुआ है।
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चीनी एप्स एक उपकरण डोनाल्ड ट्रंप की हाल में हुई एक रैली को टिकटॉक ने हाईजैक कर लिया था। इस घटना के बाद इतना तो समझ में आ गया कि चीन की ये सोशल मीडिया एप्स चीनी सेना का एक उपकरण हैं। टिकटॉक और यूसी ब्राउजर के जरिए डेटा इकट्टा कर सैन्य और राजनीतिक हित को साधने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप की रैली को हाईजैक करना, भारत के लिए एक खतरे की घंटी है, जिसे भारत को समझना होगा। हालांकि इस बारे में भारत की सुरक्षा एजेंसी सरकार को खतरे का संकेत देती रही हैं।
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क्यों किया चीन ने ऐसा चीन ने इस डेटा का उपयोग अमेरिका के लिए करना शुरू किया था लेकिन भारत से मिल रहे विशालतम डेटा के कारण चीन ने इसे फिर भारत के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया। इस डेटा का इस्तेमाल चीन अपने सैन्य और क्षेत्र विस्तार की योजनाओं के लिए करता है। भारत से फहले ये काम चीन अफ्रीकन देशों में पहले ही कर चुका है।
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अमेरिका ने उठाया था ये कदम अमेरिका चीन की योजना को भांप गया था इसलिए उसने चीनी छात्रों को वीजा जारी में कटौती कर दी है। इसके बाद भारत सरकार ने भी एहतियातन अप्रैल से चीनी निवेश के लिए सरकार से पहले अनुमति लेना, किसी भी निजी और सरकारी संस्थानों के लिए बेहद जरूरी कर दिया है। साथ ही भारत ने चीनी 59 एप्स पर बैन लगा कर चीन की विस्तारवादी योजनाओं पर लगाम लगाने का किया है।
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