Saturday, Mar 25, 2023
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मेडेन फार्मा की सोनीपत इकाई में दवा निर्माण पर रोक, हरियाणा सरकार ने मांगा जवाब 

  • Updated on 10/12/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। हरियाणा सरकार ने मेडेन फार्मास्युटिकल्स की सोनीपत स्थित इकाई में दवा निर्माण पर रोक का आदेश जारी किया है और हाल में निरीक्षण के दौरान पाए गए कई उल्लंघनों पर एक सप्ताह के अंदर जवाब देने कहा है अन्यथा उसे लाइसेंस निलंबित या रद होने का सामना करना होगा।

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 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत का संभावित कारण कंपनी द्वारा निर्मित खांसी के सिरप को बताए जाने के कुछ दिन बाद रोक का यह आदेश आया है। विज ने बुधवार को कहा, ‘हमने आदेश दिया है कि इकाई में सभी तरह के दवा निर्माण को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।’ 

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डब्ल्यूएचओ के अलर्ट के बाद कंपनी द्वारा निर्मित खांसी के चार सिरप के नमूनों को छह अक्तूबर को जांच के लिए कोलकाता स्थित केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला भेजा गया था। विज ने कहा कि घटना के बाद राज्य एवं केंद्र की एक संयुक्त टीम ने इकाई का निरीक्षण किया और 12 उल्लंघन या त्रुटियां पाईं। उन्होंने कहा, ‘इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने कंपनी की इस इकाई में दवा निर्माण पर रोक का आदेश जारी किया है।’ 

विज ने कहा, ‘उन्होंने कहा कि खांसी के जिन चार सिरप के नमूनों को जांच के लिए कोलकाता में केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला भेजा गया है, उनकी रिपोर्ट की प्रतिक्षा की जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद उसके आधार पर हम आगे की कार्रवाई करेंगे।’ कंपनी की इकाई के निरीक्षण के बाद हरियाणा औषधि नियंत्रक द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने प्रोपलीन ग्लाइकोल का गुणवत्ता परीक्षण नहीं किया, जो दवा निर्माण में उपयोग किया जाने वाला कच्चा माल है। नोटिस में कहा गया है, ‘कंपनी ने डाइएथलिन ग्लाइकोल और एथलिन ग्लाइकोल के लिए प्रोपलीन ग्लाइकोल का गुणवत्ता परीक्षण नहीं किया।’

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सात अक्तूबर को जारी कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, ‘केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने आपकी कंपनी का निरीक्षण किया और हरियाणा औषधि नियंत्रक प्राधिकरण आपके द्वारा निर्मित उक्त दवा की आवश्यक जांच आयोजित करेगा। जांच के दौरान कई खामियां पता चलीं। इसलिए आपको औषधि नियम, 1945 के नियम 85 (2) के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है कि आपका उत्पादन लाइसेंस क्यों नहीं निलंबित या रद किया जाए।’ 

राज्य प्राधिकरण ने कंपनी को सात दिनों के अंदर जवाब देने को कहा है। जवाब नहीं देने पर औषधि अधिनियम के तहत कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। राज्य औषधि नियामक ने जिन 12 उल्लंघनों का उल्लेख किया है उनमें कंपनी द्वारा प्रोपलीन ग्लाइकोल के बैच नंबर का जिक्र नहीं होना शामिल है। दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाला सॉरबिटॉल सॉल्यूशन एवं सोडियम मिथाइल पाराबेन भी सवालों के घेरे में है। नोटिस में कहा गया है कि कंपनी ने वैध प्रक्रिया का पालन नहीं किया है और दवा उत्पादन के लिए इसकी विश्लेषणात्मक विधि सत्यापन भी सवालों के घेरे में है।

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इसके अलावा, पूरे संयंत्र में निर्माण कार्य होता पाया गया और कंपनी उपकरणों और यंत्रों की कार्य पुस्तिका भी देने में नाकाम रही तथा इसके दवा के परीक्षण भी सवालों के घेरे में हैं। प्रोपलीन ग्लाइकोल सहित दवा निर्माण में इस्तेमाल अवयवों की खरीद की पर्ची पर बैच नंबर, निर्माता का नाम और निर्माण की तारीख तथा एक्सपायरी डेट की भी ठीक से जानकारी नहीं दी गई थी।

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