नई दिल्ली। अनामिका सिंह। खुदरा में राजधानी दिल्ली में केले की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसकी मुख्य वजह केले की पैदावार का कम होना बताया जा रहा है। बीते दो सालों से कोरोना के चलते केला किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। उनकी फसल खेतों में ही सड़ गई थी और जो किसान केले लेकर मंडी तक पहुंचे भी तो उन्हें अपनी फसल के अच्छे दाम नहीं मिल पाए थे। जिसके चलते इस साल केला किसानों ने बीज ही नहीं लगाया। वहीं महाराष्ट्र में आई बाढ़ ने केले की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। जिसका सीधा असर केले की आवक पर पड़ा और मंडी में थोक के थोड़े तो खुदरा में दाम काफी परेशान कर रहे हैं। अकादमी ने किया के एन पणिक्कर पर विशेष अंक का विमोचन
गोदाम में केला तैयार करने की आती है मोटी लागत बता दें कि इसके अलावा सबसे बड़ी समस्या केला व्यापारियों को गोदाम में केला तैयार करने में आ रही है। केले को पकाने के लिए एयर कंडीश्नर रात-दिन चलाना पड़ता है, जिससे मोटा बिजली बिल आता है। लेकिन आवक कम होने से केले की आपूर्ति मांग के अनुसार नहीं हो पा रही है। कम मात्रा में केले को पकाने में उतना ही खर्च आ रहा है, जितना अधिक केले को पकाने में आता है। बता दें कि इस समय एशिया की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी आजादपुर में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात व मध्य प्रदेश से केला आता है। दो साल पहले केले के सीजन में जहां 100 गाडिय़ा प्रतिदिन आया करती थीं, वहीं अब 30-35 गाडिय़ां मंडी पहुंच रही हैं। आजादपुर मंडी में केले के थोक व्यापारी बाबला ने बताया कि खेत में ही किसान केला 25 रूपए प्रतिकिलो के हिसाब से बेच रहे हैं जोकि मंडी में थोक रेट में 30 रूपए प्रतिकिलो में बेचा जा रहा है। एक दर्जन केले को पकाने का खर्च तकरीबन प्रतिदिन 2 से 8 रूपए तक का आ जाता है। आजादपुर मंडी में काफी कम केले के गोदाम हैं। अधिकतर गोदाम कोंडली, बाईपास, स्वरूप नगर व उत्तम नगर में हैं। सही मायने में थोक व्यापारियों को भी केला बेचने से कोई फायदा नहीं मिल रहा है। किसान का बेटा बने उपराष्ट्रपति ये गांव-देहात के लिए गर्व की बात : सोलंकी
एयर कंडीश्नर में पकाए जाते हैं केले : मनीराम उत्तम नगर में केला गोदाम के मालिक मनीराम ने बताया कि उनके यहां रोजाना 70-80 कैरेट केला आता है, जिसमें 15 दर्जन केले होते हैं। पहले 500 रूपए की कैरेट आती थी, जिसके दाम में उछाल आया है और करीब 250-300 रूपए पीछे से ही बढ़ गए हैं। जिससे वर्तमान में 720-750 रूपए प्रति कैरेट में केला बिक रहा है। इसकी एक और वजह इसे पकाए जाने में आने वाला खर्च है। केले को गोदाम में लगाने के बाद उसके ऊपर केमिकल लगाया जाता है। 4-5 दिन का समय इसे पकने में लगता है। वहीं गोदाम में 5-6 टन के कई एयर कंडीश्नर लगाए जाते हैं, जिनका बिजली का बिल काफी अधिक आता है। ऐसे में केला 80 रूपए दर्जन नहीं बेचा जाएगा तो लागत कैसे पूरी होगी। टिकरी में अस्थाई मंडी से सेब व्यापारियों को होगी सहूलियत
सावन में बढ़ जाती है केले की मांग सावन के महीने में शिवभक्तों के लिए जगह-जगह कांवड शिविरों का आयोजन किया जाता है। वहीं बढ़ी संख्या में लोग सावन के महीने में पडऩे वाले सोमवार सहित महत्वपूर्ण त्योहारों में व्रत रखते हैं। व्रतधारी जहां फलाहार कर व्रत की समाप्ति करते हैं, वहीं कांवड लाने वालों के लिए विभिन्न समितियों द्वारा केला वितरण किया जाता है। जिससे केले की मांग बीते कई दिनों में काफी अधिक बढ़ गई है जबकि आवक कम है। इसके चलते आने वाले दिनों में केले के दाम और अधिक तेजी से बढ़ सकते हैं।
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