नई दिल्ली/टीम डिजीटल। सोने और स्वर्ण आभूषणों को लेकर लोगों की आसक्ति किसी से छुपी नहीं है। आज भी लोग पैसों का निवेश सोने में करना काफी पसंद करते हैं। लेकिन इस चमक के पीछे कुछ ऐसे अंधेरे पहलू भी हैं, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है। शनिवार को इंदिरापुरम के वैभव खंड में पीपी ज्वैलर्स के शोरूम पर भारतीय मानक ब्यूरो की टीम द्वारा छापेमारी की कार्रवाई की गई। जिसके बाद यह जानना जरूरी हो गया कि आखिर इस चमचमाते कारोबार में एक ग्राहक के तौर पर आपको किस तरह जागरूक होने की जरूरत है। सोना लेते वक्त क्या सावधानी बरती जानी चाहिए और कैसे आप अपनी गाढ़ी कमाई को सोने में सही तरीके से निवेश कर सकते हैं।
ये सोना नहीं है खरा
सोने की असल पहचान कर पाना आम आदमी के लिए आसान नहीं है। इसके लिए आपको कुछ तथ्यों को ध्यान में रखना होगा। सोना खरीदते वक्त इन तय कसौटियों पर यदि सोना खरा नहीं उतरता है, तो मान लीजिए, उस सोने में कहीं ना कहीं खोट है। सर्राफा कारोबारियों ने बताया कि सरकार द्वारा 40 लाख रुपए सालाना से ज्यादा कारोबार करने वाले ज्वैलर्स पर हॉलमॉर्क आभूषणों की ही बिक्री की शर्त लागू है। लेकिन 40 लाख से नीचे कारोबार करने वाले ज्वैलर्स से सोना खरीदना नुकसान देह हो सकता है। इसके लिए कुछ बातें ध्यान रखने की जरूरत है।
1- बाजार से कम कीमत पर यदि कोई ज्वैलर्स आपको सोना देने की बात कर रहा है, तो सावधान हो जाइए। ऐसे सोने की शुद्धता संदेहास्पद हो सकती है।
2- सोना खरीदते वक्त बिल अवश्य लें। इसके टैक्स के रूप में आपको जरूर कुछ अतिरिक्त राशि देनी पड़ सकती है। लेकिन सोने में किसी भी प्रकार की हेराफेरी से आप बच सकते हैं। बिल काटे जाने के बाद ज्वैलर्स को उस बिल को 15 साल तक संभालना होता है।
इस तरह होता है सोना अशुद्ध
एक सर्राफा कारोबारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि वर्तमान में बाजार में 85 फीसदी शुद्धता के साथ सोना बिक्री के लिए उपलब्ध है। पहले यह शुद्धता 80 से 83 फीसदी तक थी। 100 फीसदी शुद्ध सोने के आभूषण बनाना संभव नहीं होता। इसलिए सोने में तांबे और चांदी को मिलाया जाता है। लेकिन जब कोई सुनार आपको कम कीमत में सोना देने का वादा करता है तो तांबे और चांदी को सोने की अपेक्षा बढ़ा दिया जाता है।
पीपी ज्वैलर्स पर छापेमारी की खबर से फिर छिड़ी बहस
शनिवार को इंदिरापुरम के पीपी ज्वैलर्स पर भारतीय मानक ब्यूरो की टीम ने छापामार कार्रवाई की। जिसके बाद सर्राफा कोराबारियों में भी हडक़म्प मच गया। कार्रवाई में शामिल बीआईएस के डिप्टी डॉयरेक्टर दिव्यांशु यादव ने जानकारी दी कि छापेमारी के दौरान बिना हॉलमार्क के लगभग 5 सौ ग्राम वजन की 30 लाख कीमत के 34 सोने के आभूषणों को जब्त कर लिया गया। उन्होंने बताया कि करीब 7 किलो सोने के आभूषण पुराने हॉलमार्क के भी मिले। ज्वैलर्स को पुरानी हॉलमार्क ज्वैलरी के आभूषणों के दस्तावेज पेश करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले ही सभी सर्राफा कारोबारियों को पुराने हॉलमार्क के आभूषण घोषित करने को कहा गया था। लेकिन पीपी ज्वैलर्स इस संबंध में साक्ष्य पेश नहीं कर सके। वहीं, इस मामले में पीपी ज्वैलर्स के मैनेजर सागर शर्मा ने बताया कि छापेमारी के दौरान उन्होंने अधिकारियों से आभूषणों की शुद्धता को दुकान में मौजूद कैरेट मशीन से जांचने की भी अपील की थी। वहीं, पुराने हॉलमार्क के आभूषणों के दस्तावेज वह जल्द ही पेश करेंगे। डिप्टी डायरेक्टर दिव्यांशु यादव का कहना है कि पीपी ज्वैलर्स पर शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई थी। अगर फिर से शिकायत मिलती है तो उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी। कुछ महीनों पहले बीआईएस ने सहारनपुर में हॉलमार्क लैब पर छापेमारी की थी।
सर्राफा ऐसोसिएशन हुई एक्टिव
इस मामले के प्रकाश में आने के बाद गाजियाबाद की सर्राफा एसोसिएशन एक्टिव हो चुकी है। एसोसिएशन के संरक्षक राजकिशोर गुप्ता ने कहा कि एसोसिएशन से शहर के 265 आभूषण कारोबारी जुड़े हैं। जिन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वह केवल हॉलमार्क ज्वैलरी ही बिक्री के लिए रखें। हिंडनपार सर्राफा एसोसिएशन के पदाधिकारी नकुल वर्मा ने बताया कि सभी कारोबारियों को कहा गया कि अगर वह नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो फिर किसी भी प्रकार की कार्रवाई के लिए वह स्वयं जिम्मेदार होंगे। संरक्षक राजकिशोर गुप्ता का कहना है कि अब ज्वैलर्स एसोसिएशन भी जालसाजी को रोकने के लिए कदम उठाएगी। जिसके तहत एसोसिएशन द्वारा सोने के रेट जारी किए जाएंगे। सभी ज्वैलर्स उसी रेट पर सोना बेचेंगे।
बीआईएस मार्क लेने में आती हैं दिक्कतें
सर्राफा कारोबारी राजकिशोर गुप्ता कहते हैं कि आभूषणों के लिए बीआईएस हॉलमार्क लेने में भी काफी समय लगता है। गाजियाबाद में मौजूद लैब में गाजियाबाद के अलावा नोएडा, बुलंदशहर के भी आभूषण हॉलमार्क के लिए आते हैं। जिसकी वजह से हॉलमार्क के लिए उन्हें समय लगता है। जिसकी वजह से कभी कभी कुछ आभूषण बिना हॉलमार्क के कुछ दिनों तक रह जाते हैं। लेकिन कारोबारी उसे दुकान पर नहीं रखते। अगर लैब की संख्या बढ़ेगी तो यह परेशानी भी हल हो जाएगी।
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