नई दिल्ली/टीम डिजिटल। नए कृषि कानून (Agriculture Law) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया था। इस भारत बंद के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था को इस एक दिन में करीब 25 से 30 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका है।
इस बारे में विशेषज्ञों की राय माने तो भारत बंद के दिन सबसे ज्यादा नुकसान दिहाड़ी कामगारों को हुआ। यह नुक्सान ऐसा है जिसकी भरपाई भी नहीं की जा सकती है।
क्या कहते है जानकार इस बारे में पूर्व सांख्यिकीविद और आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि आम तौर पर एक दिन कारोबार ठप हुआ तो 25-30 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा सकता है लेकिन भारत बंद किसानों के आंदोलन का बड़े स्तर पर एक सांकेतिक प्रदर्शन की तरह है जिसमें अधिक नुकसान न होने का भी अनुमान है। हालांकि इससे इससे बहुत बड़ा नुकसान नहीं होगा। लेकिन आर्थिक हालात में एक दिन का ठहराव जरूर आया जिसकी भरपाई 6-7 दिन में आसानी से हो जाएगी।
विषेशज्ञों की माने तो कमाकर खाने वालों को इससे सबसे ज्यादा मुसीबत हुई है। ऐसे लोगों की कमाई होना बंद हो जाएगी और खर्चे तो होते ही रहेंगे। हालांकि यह भी देखना होगा कि अगर प्रदर्शन लंबा खिंचा तो आने वाले दिनों में इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
कोरोना के बाद ब्रेकर वहीँ, आर्थिक विशेषज्ञ देवेंद्र कुमार मिश्रा इस बारे में कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं से देश की कमाई और खर्च दोनों एक दिन पीछे चले जाएंगे। इस तरह की घटनाएं असल में अर्थव्यवस्था के लिए कोरोना के बाद ब्रेकर की तरह है। इनकी वजह से ट्रांसपोर्टेशन, दूसरी सेवाएं बंद हो गई थीं साथ ही खरीदारी भी पूरी तरह ठप है।
उन्होंने आगे कहा कि इन घटनाओं से जीएसटी संग्रह के आंकड़ों पर भी बंद का असर दिखाई दे सकता है। साथ ही भारत की इकोनॉमी की कमाई का औसत प्रभावित होगा जो निश्चित तौर पर जीडीपी पर भी असर डालेगा।
भारत बंद का समर्थन लेकिन इसके बावजूद, कृषि कानूनों के मुद्दे पर राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल सभी पार्टियां भारत बंद का समर्थन कर चुकी हैं। दरअसल, बीजेपी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा था कि यूपीए सरकार में कृषि मंत्री के तौर पर शरद पवार ने राज्यों को एपीएमसी कानून में संशोधन करने को कहा था। पवार ने राज्यों को आगाह किया था कि अगर सुधार नहीं किए गए, तो केंद्र की तरफ से वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी। लेकिन अब पवार खुद विरोध कर रहे हैं।
वहीं कृषि सुधार कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों से छठे दौर की वार्ता से ठीक एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गतिरोध को समाप्त करने के प्रयास के तहत मंगलवार को किसान नेताओं के एक समूह से मुलाकात की, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
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