नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्र के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन 51वें दिन भी जारी है। केंद्र सरकार और किसान संगठन के नेताओं में जारी गतिरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम सुनवाई के दौरान चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इस कमेटी में से एक भूपिंदर सिंह मान (Bhupinder Singh Mann) ने खुद को अलग कर लिया है। किसान नेता भूपिंदर सिंह मान ने शुक्रवार को अपने कमेटी से किनारा करने की वजह बताई है।
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मान ने इसलिए छोड़ी कमेटी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी से अपने अलग होने पर भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपिंदर सिंह मान ने न्यूज एजेंसी से कहा, 'आंदोलन और किसानों के हितों को देखते हुए मैं समझता हूं कि उसमें (कमेटी) जाने का कोई तुक नहीं है।' उन्होंने कहा, 'जब उन्होंने (किसानों) कह दिया है कि हम कमेटी के सामने नहीं जाने वाले हैं तो कमेटी का कोई तुक नहीं रह जाता इसलिए मैंने कमेटी को छोड़ा है।'
Since protesting farmers have announced not to appear before the committee, there is no point in being part of it: Bhupinder Singh Mann, Chairman of All India Kisan Coordination Committee, on his decision to recuse himself from 4-member committee appointed by Supreme Court https://t.co/BHhMbiMffi pic.twitter.com/W2cAMr9pkI — ANI (@ANI) January 15, 2021
Since protesting farmers have announced not to appear before the committee, there is no point in being part of it: Bhupinder Singh Mann, Chairman of All India Kisan Coordination Committee, on his decision to recuse himself from 4-member committee appointed by Supreme Court https://t.co/BHhMbiMffi pic.twitter.com/W2cAMr9pkI
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SC की कमेटी छोड़ बोले, किसान हित से समझौता नहीं भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई कमेटी से खुद को अलग कर लिया। मान कृषि कानूनों के समर्थक रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि वे पंजाब और किसानों के हितों से समझौता नहीं कर सकते। इसके लिए वे किसी भी पद का त्याग करने को तैयार हैं।
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कमेटी के सदस्यों पर ही उठे सवाल कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों चार सदस्यीय समिति गठित की थी। इसमें अशोक गुलाटी, प्रमोद जोशी, अनिल घनवत के साथ ही भूपिंदर सिंह मान को भी शामिल किया था। कमेटी को किसान आंदोलन से उपजी परिस्थितियों और तीनों कृषि कानूनों की समीक्षा कर अगले दो महीने में शीर्ष अदालत को अपनी रिपोर्ट देनी है। लेकिन समिति के चारो सदस्यों ने कभी न कभी किसी न किसी रूप में तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया है। इसके चलते किसानों ने इस कमेटी और इसके सदस्यों पर ही सवाल उठा दिया था। किसानों ने यह भी कहा है कि न तो उन्होंने सुप्रीमकोर्ट से मध्यस्थता की अपील की थी और न ही वे अपनी कोई बात संबंधित समिति से करेंगे।
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किसी भी पद का त्याग करने को तैयार- भूपिंदर सिंह तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी सुरक्षा दिए जाने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। किसानों के रुख को देखते हुए मान ने वीरवार को खुद को कमेटी से अलग कर लिया। उन्होंने लिखा, एक किसान और एक यूनियन नेता के तौर पर किसान यूनियनों और जनता के बीच शंकाओं को ध्यान में रखते हुए मैं किसी भी पद का त्याग करने को तैयार हूं ताकि पंजाब और देश के किसानों के साथ समझौता न हो सके। मैं समिति से खुद को अलग कर रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा। कमेटी के काम शुरू करने से पहले मान के अलग के हो जाने से अब आगे की प्रकिया लटकती दिख रही है।
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मान का अलग होना किसानों की वैचारिक जीत: राकेश टिकैत बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने भूपिंदर सिंह मान के कमेटी से अलग होने की घोषणा को किसानों की वैचारिक जीत बताया। टिकैत ने कहा कि हम मान को आमंत्रित करते हैं वह भी किसान आंदोलन का हिस्सा बनें। उन्होंने कहा कि हर हाल में कृषि कानून को सरकार को वापस लेना होगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से कभी किसान संगठन ने कमेटी बनाकर समझौते की बात नहीं की थी। इसलिये इस तरह के कमेटी की कोई जरुरत ही नहीं है।
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