नई दिल्ली/टीम डिजिटल। राजधानी के 4 खालसा कॉलेजों में सिख छात्रों को प्रवेश के लिए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा जारी किए जाते सिख अल्पसंख्यक छात्र प्रमाण पत्र देने के एकाधिकार छिन गया है। इसको लेकर सिख संस्थाएं भड़क उठी हैं। साथ ही डीयू के इस फैसले का कड़ा विरोध करने का ऐलान भी कर दिया है। सिख संगठनों ने अदालतों में चुनौती देने को भी तैयार हैं। यह मामला तूल पकड़ लिया है।
जागो पार्टी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने डीयू के इस फैसले का कड़ा विरोध जताया है। साथ ही कहा कि 2015 में खालसा कॉलेजों में 50 प्रतिशत सिख कोटा स्थापित किया गया था। तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को भरोसे में लेकर यह बड़ा फैसला लेने में कामयाब रहे थे।
इसके बाद खालसा कॉलेजों में सिखों को 50 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर प्रवेश के अधिकार के साथ ही इसकी पात्रता पूरा करने वाले सिख बच्चों को प्रमाण पत्र जारी करने का विशेष अधिकार दिल्ली कमेटी को मिला था। लेकिन अब दिल्ली कमेटी प्रबंधकों की लापरवाही के कारण सिख कोटे की इन आरक्षित सीटों पर पतित सिख बच्चों के प्रवेश का रास्ता खुल गया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय ने सिख अल्पसंख्यक के प्रमाण पत्र को जारी करने के दिल्ली कमेटी के एकाधिकार को खत्म करते हुए सभी सरकारी संस्थानों को यह प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दें दिया है। इसलिए हम इस गलत और एकतरफा फैसले को पलटाने की पूरी कोशिश करेंगे।
जीके ने कहा कि पहले ये प्रमाण पत्र दिल्ली कमेटी कार्यालय से पगड़ी बांधने वाले साबत सूरत (पूर्ण गुरसिख) परिवारों के केवल पगड़ी पहनने वाले सिख लड़कों तथा चुन्नी से अपना सिर ढककर आने वाली सिख लड़कियों को गुरबाणी और सिख इतिहास के बारे में सवालों के जवाब देने के बाद जारी किए जाते थे। लेकिन, अब सिख परिवार में जन्म लेने वाला कोई भी बच्चा दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग या किसी अन्य सरकारी संस्था से अपने सिख होने का प्रमाण प्राप्त बनवा करके खालसा कॉलेज में सिख कोटे की सीट पर दाखिला ले सकता है।
यह नियम दिल्ली विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 के दाखिले के लिए लागू कर दिया है। इसके साथ ही टोपी पहनने वाले या बाल कटवाने वाले सिख बच्चों को अब खालसा कॉलेज प्रवेश देने से मना नहीं कर पाएंगे। इस वजह से अब आप खालसा कॉलेजों में सिख परिवारों के बच्चों को सिख कोटे में टोपी और चुटिया के साथ दाखिला लेते हुए भी देख सकेंगे।
चुनौती देगी गुरुद्वारा कमेटी
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग द्वारा सिख बच्चों को सिख अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र के मुद्दे पर दिए गए आदेश को खारिज करते हुए अदालत में चुनौती देने का ऐलान किया है। कमेटी के महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि आयोग ने निर्णय दिया है कि कोई भी सरकारी विभाग, स्थानीय नगरपालिका, पंचायत, शिक्षा बोर्ड, स्कूल छोडऩे का प्रमाण पत्र, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग और गुरुद्वारा प्रबंधन समिति द्वारा जारी प्रमाण पत्र अब डीयू में स्वीकार नहीं किया जाएगा जो कि बेहद निंदनीय फैसला है।
इसे सिख समुदाय कभी स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी अधिनियम में यह निर्दिष्ट किया गया है कि कौन सिख है और कौन नहीं है इसलिए सिखों को अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र संबंधित बच्चे के परिवार और उसके केशों व दाढ़ी इत्यादि की स्थिति व पृष्ठभूमि की जाँच करने के बाद ही जारी किया जाता था।
यह फैसला अल्पसंख्यक सिखों के खिलाफ है जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। फैसले को अदालत में चुनौती देंगे और सिखों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित बनाएंगे। उन्होंने कहा कि जिस दिन से आम आदमी पार्टी की सरकार सत्ता में आई है, अल्पसंख्यक आयोग अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय उन पर हमला करने का कार्य कर रहा है जो कि अति निंदनीय है।
काहलों ने पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके पर पलटवार करते हुए कहा कि यह सब उन्हीं का किया धरा है, जिसे वर्तमान कमेटी ढो रही है। जी.के जैसे लोग सरकारों के साथ मिलकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं और ऐसे लोग दिल्ली कमेटी के खिलाफ हर मामले को बढ़ावा देते हैं। जी.के जैसे लोगों को पंथ से कोई प्रेम नहीं है केवल और केवल राजनीति से है। उन्होंने सरदार जी.के को ऐसी तुच्छ राजनीति बंद करने की नसीहत दी।
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