Saturday, Mar 25, 2023
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NSE को ‘को-लोकेशन' मामले में बड़ी राहत, 625 करोड़ रुपये देने का SEBI का आदेश खारिज 

  • Updated on 1/23/2023


नई दिल्ली/टीम डिजिटल। प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने सोमवार को ‘को-लोकेशन' मामले में सेबी के आदेश को खारिज कर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को बड़ी राहत दी। बाजार नियामक ने अपने आदेश में शेयर बाजार को मामले में 625 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा था। हालांकि, सैट ने मामले में सही से जांच-पड़ताल नहीं करने को लेकर शेयर बाजार को 100 करोड़ रुपये का भुगतान नियामक को करने को कहा है। सेबी ने मामले में अप्रैल, 2019 में एनएसई को 687 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा था। इसमें 625 करोड़ रुपये की शुरुआती राशि तथा 12 प्रतिशत सालाना ब्याज शामिल था। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नये डेरिवेटिव उत्पाद शुरू करने को लेकर शेयर बाजार पर छह महीने का प्रतिबंध लगाया था और शेयर ब्रोकरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की थी। 

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इसके अलावा, सेबी ने शेयर बाजार के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रह चुके रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण को उस दौरान वेतन के रूप में ली गयी कुल राशि का 25 प्रतिशत भुगतान को कहा था। यह मामला एनएसई परिसर में कारोबारियों को सर्वर लगाने की सुविधा (को-लोकेशन) मामले में ‘हाई फ्रीक्वेंसी' कारोबार में कुछ इकाइयों को कथित रूप से आंकड़ा प्राप्त होने में तरजीह से जुड़ा है। ‘को-लोकेशन' एनएसई परिसर में सभी तरह की बुनियादी सुविधाओं से युक्त जगह है, जिसे तीसरे पक्ष को ‘हाई फ्रीक्वेंसी' और एलगो ट्रेडिंग के लिये पट्टे पर दिया जाता है। कारोबारी इस जगह को किराये पर लेकर कारोबार के लिये वहां सर्वर लगा सकते हैं। 

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इसका मुख्य मकसद प्रत्यक्ष बाजार पहुंच, एलगो ट्रेडिंग और एसओआर (स्मार्ट ऑर्डर राउटिंग) के लिये एक्सचेंज के कारोबार प्रणाली से ‘कनेक्टविटी' में लगने वाले समय को कम करना है। एसओर खरीद/बिक्री आर्डर के लिये बेहतर कीमत प्राप्त करने की सुविधा है। सैट ने सेबी के पैसा देने के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि एनएसई ने एसईसीसीसी (प्रतिभूति अनुबंध (नियमन) (शेयर बाजार और समाशोधन निगम) नियमन से जुड़े नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया। अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा कि विभिन्न ‘पोर्ट' पर आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) के आवंटन को लेकर एनएसई की तरफ से जरूरी जांच-पड़ताल का जरूर अभाव रहा और आईपी का आवंटन असमान था। साथ ही, कुछ कारोबारी सदस्यों द्वारा ‘सेकेंडरी सर्वर' से बार-बार कनेक्शन को लेकर निगरानी का अभाव था। 

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सैट ने कहा कि एनएसई किसी भी गलत कार्य में लिप्त नहीं है। ये जरूर है कि इसने अपने स्वयं के मानदंडों और दिशानिर्देशों और संबंधित परिपत्र का पालन नहीं किया है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने 232 पृष्ठ के आदेश में कहा, ‘‘पैसा देने का निर्देश अनुचित था। लेकिन अपीलकर्ता एनएसई को मामले में पूरी तरह बरी नहीं किया जा सकता। और जरूरी जांच-पड़ताल की कमी के कारण जो गड़बड़ी हुई, उसे उसकी कीमत चुकानी होगी।'' सैट ने एनएसई पर सेबी की तरफ से गठित निवेशक संरक्षण और शैक्षणिक कोष के पास 100 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया। अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनएसई के पूर्व अधिकारियों के संदर्भ में भी सेबी के आदेश को खारिज कर दिया। 

आदेश में नारायण और चित्रा रामकृष्ण को अपने वेतन का 25 प्रतिशत देने को कहा गया था। सैट ने कहा कि इसमें कोई धोखाधड़ी, अनुचित व्यापार गतिविधियां या साठगांठ नहीं हुई। हालांकि, सैट ने कहा कि दोनों अधिकारी निगरानी के स्तर पर चूक को लेकर अपनी जिम्मेदारी नहीं बच सकते। इसके अलावा, नारायण और चित्रा रामकृष्ण को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार बुनियादी ढांचा संस्थान के साथ पांच साल की अवधि के लिए जुड़ने से प्रतिबंधित करने वाले निर्देश को भी खारिज किया गया है। यह पाबंदी अब उतने ही समय तक होगी, जो लागू हो चुका है। सैट ने ओपीजी सिक्योरिटीज के संदर्भ में ब्रोकरेज कंपनी की तरफ से नियमों के उल्लंघन को लेकर सेबी के आदेश की पुष्टि की। हालांकि, उसने सेबी के ओपीजी तथा उसके निदेशकों को 15.57 करोड़ रुपये वापस करने के निर्देश को खारिज कर दिया। अपीलीय न्यायाधिकरण ने सेबी से चार महीने के भीतर राशि की मात्रा को लेकर फिर से निर्धारण करने को कहा है। साथ ही सेबी से ओपीजी और उसके निदेशकों की एनएसई के किसी कर्मचारी/अधिकारियों से साठगांठ के आरोप पर भी फिर से विचार करने को कहा है।

सैट के आदेश पर सीबीआई कर रही गौर 
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को कहा कि वह ‘को-लोकेशन' मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण के खिलाफ सेबी के पैसा वापस करने के निर्देश को खारिज करने के प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश पर गौर कर रही है। प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य के 30 अप्रैल, 2019 को जारी आदेश को खारिज कर दिया। 

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आदेश में रवि नारायण को 2010-11 से 2012-13 के दौरान वेतन के रूप में ली गयी कुल राशि का 25 प्रतिशत भुगतान करने और उसे निवेशक संरक्षण और शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में जमा करने को कहा गया था। चित्रा रामकृष्ण को वित्त वर्ष 2013-14 में वेतन का 25 प्रतिशत हिस्सा देने को कहा गया था। नारायण और चित्रा रामकृष्ण की अपील को स्वीकार करते हुए सैट ने किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार बुनियादी ढांचा संस्थान के साथ पांच साल की अवधि के लिए जुड़ने से प्रतिबंधित करने वाले निर्देश को भी खारिज कर दिया है। यह पाबंदी अब उतने ही समय तक होगी, जो लागू हो चुका है। अधिकारियों ने कहा कि नियामकीय संस्थान का रुख अलग होता है जबकि सीबीआई जैसी जांच एजेंसी का विचार प्राय: अलग होता है।

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