नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पटना एम्स के विशेषज्ञों ने यह आशंका जतायी है कि मुजफ्फरपुर में एक्यूट इनसेफेलाइटिस सिंड्रोम या दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चे दिव्यांगता के शिकार हो सकते हैं। वहीं जो बच्चे बीमारी से ठीक हो गए हैं उनकी काउंसलिंग जरूरी है क्योंकि ऐसे बच्चे या तो मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं या उनके शरीर का कोई अंग प्रभावित हो सकता है।
एईएस पर तीन साल शोध के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग को हाईपोग्लेसीमिया, बुखार और कम पानी से बच्चों की होने वाली समस्या से निजात के लिए पीएचसी स्तर पर व्यवस्था करनी चाहिए। डॉक्टरों ने एईएस बीमारी से ठीक हुए बच्चों की काउंसलिंग पर बल दिया है ताकि उन्हें विकलांगता से बचाया जा सके।
2014 से 2016 के बीच अध्ययन करने पटना एम्स की टीम का कहना है कि इस बार भी बीमारी का प्रकोप वैसे ही होने की आशंका है। खासकर मुजफ्फरपुर के कांटी और मुशहरी ब्लॉक में सबसे अधिक इस बीमारी का प्रकोप होने की बात कही गई है।
दिमाग पर तेज बुखार से पड़ रहा असर
एम्स की टीम ने अध्ययन में पाया है कि तेज बुखार होने पर बच्चों के दिमाग पर असर हो रहा है। ठीक होने के बाद भी 30 प्रतिशत बच्चे दिव्यांग हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण तेज बुखार से दिमाग के एक हिस्से का शिथिल होना है। पटना एम्स ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि एईएस का प्रकोप ढाई माह तक रहता है इसीलिए स्पेशल प्लान बनाया जा रहा, ताकि बीमारी की शुरुआत होते ही उस पर काबू पाया जा सके।
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