नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) करीब है और सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। जहां एक ओर जेडीयू-भाजपा को पूरा विश्वास है कि वह एक बार फिर सत्ता की कुर्सी पर विराजमान होगी तो वहीं दूसरी ओर महागठबंधन को उम्मीद है कि इस बार जनता उनको सिंघासन पर बैठाने में उनकी मदद करेगी।
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एलजेपी ने जदयू का साथ मालूम हो कि हाल ही में चिराग पासवान की अगुवाई में एलजेपी ने जदयू के नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार चुनाव लड़ने से इनकार करते हुए बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन राहें अलग कर ली है। चिराग ने कहा कि उन्हें नीतीश कुमार का नेतृत्व मंजूरी नहीं है। इस बार का चुनाव सत्तारुढ़ जदयू-भाजपा गठबंधन के लिए काफी अहम है।
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जेडीयू-भाजपा को वोट प्रतिशत है ज्यादा वहीं पिछले चुनावों के वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो आज भी जेडीयू-भाजपा का पलड़ा भारी है। इसकी सिर्फ एक यही वजह है कि बिहार चुनाव में नीतिश कुमार की जदयू की भूमिका सबसे अहम है। अगर पिछले आकंड़े भी देखें जाएं तो पिछले 15 सालों से विधानसभाचुनाव में जेडीयू 15 से 20 फीसदी वोट लेकर आता है। जो काफी अधिक होती हैं। ऐसा कह सकते हैं अगर जेडीयू का वोट गठबंधन के साथ मिल जाए तो गठबंधन सत्ता में आ जाती है।
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लोजपा अपने दम पर लड़ेंगी चुनाव चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) इस बार एनडीए गठजोड़ से अलग अपने दम पर चुनाव लड़ रही है। लोजपा ने बिहार विधानससभा चुनाव के143 सीट पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने का ऐलान किया है। इसके लिए लोजपा ने पहले चरण के लिए 42 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। लोजपा ने पहली सूची में नौ महिलाओं को टिकट दिया है जबकि20 प्रतिशत टिकट पार्टी के कालिया अध्यक्षों को दिया गया है। हालांकि पिछले साल 2019 हुए लोकसभा चुनाव में एलजेपी ने जेडीयू-भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। तब एनडीए के खाते में 54 प्रतिशत वोट आए थे। वहीं महागठबंधन (कांग्रेस और राजद) के खाते में सिर्फ 24 प्रतिशत ही वोट आए थे।
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सामने हैं कई चुनौतियां ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि एलजेपी का अकेले चुनाव लड़ना उनके लिए कितना फायदेमंद साबित होगा। ऐसे इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में एलजेपी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। उस दौरान एलजेपी को केवल 29 सीट हासिल हुई थी, लेकिन जब कुछ महीने बाद दोबारा चुनाव हुए तो पार्टी 10 सीट पर सिमटकर रह गई। इसके बाद 2010 में तीन और 2015 के विधानसभा चुनाव में लोजपा के सिर्फ दो उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
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मिल सकती हैं इतनी सीटे बताया जा रहा है कि बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटों में 160 सीटों पर एनडीए की जीत हो सकती है। वहीं राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 76 सीटें मिलने संभावना है। इसके अलावा अन्य को 7 सीटें मिल सकती हैं जिसमें 5 सीटें एलजीपी को मिल सकती है।
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10 नवंबर को आएंगे नतीजे गठबंधन से अलग प्रत्येक पार्टी को लेकर बात करें तो बीजेपी को 85, जेडीयू को 70 और हम ऐर वीआईपी को 5 सीटें मिल सकती हैं वहीं महागठबंधन में आरजेडी को 56 सीटें, कांग्रेस को 15 और लेफ्ट को 5 सीटें मिलने की संभावना है। बता दें कि बिहार चुनाव के लिए तीन चरणों में मतदान होगा। पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर, दूसरे चरण का मतदान 03 नवंबर और तीसरे और आखिरी चरण का मतदान 07 नवंबर को होगा। 10 नवंबर को नतीजे आएंगे।
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