नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। बिहार विधान सभा चुनाव (Bihar Assembly Election) का दूसरा चरण समाप्त हो चुका है और तीसरे चरण का चुनाव आने वाले 7 नवंबर को होना है। इसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री के कुर्सी पर कोन विराजमान होगा इसका फैसला 10 नवंबर को होगा। इस साल विधानसभा चुनावी मुद्दे की बात करें तो भुखमरी, बेशुमार गरीबी, पलायन और लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव बनाम प्रधानमंत्री मोदी है।
ताबड़तोड़ रैलियों के बाद बदला चुनावी मुद्दा बताया जा रहा है कि चुनाव प्रचार खत्म होने से ठीक पहले सीमांचल के चारों जिलों में अचानक सियासी माहौल बदला सा नजर आ रहा है। कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज में जिलों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की साफ-साफ लकीर खिंच गई। शुरुआती दौर में यहां बेरोजगारी, पलायन जैसे मुद्दे को मजबूती मिली थी साथ ही स्थानीय विधायकों के लिए कामकाज भी मुद्दा बना था, वहीं कई सीटों पर बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा हावी था। लेकिन पिछले दो-तीन दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार, योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह की ताबड़तोड़ रैलियों के बाद देखते-देखते सारे मुद्दों ने अपना रूप बदल लिया।
एनडीए की ओर से प्रचार कर रहे नीतीश कुमार सहित जदयू के सभी स्टार प्रचारक भी बस पीएम मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं।
कई लोगों को नहीं पता तेजस्वी का नाम बता दें कि सीमांचल में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब साठ फीसदी है, सभी के मन में है कि तेजस्वी की सरकार आने पर बिहार में सीएए और एनआरसी लागू नहीं होगा। लेकिन यहां एक दिलचस्प बात है कि शैक्षणिक रूप से बेहद पिछड़े सीमांचल में अल्पसंख्यकों के एक बड़े वर्ग को तेजस्वी यादव का नाम नहीं पता।
पूर्णिया के बायसी विधानसभा के डगरुआ की सकीना खातून कहती हैं, उन्हें लालू का बेटा पसंद है। कदवा विधानसभा के कुरुम के पूर्व मुखिया मोहम्मद तनवीर कहते हैं यहां उम्मीदवार को नहीं सीएम बनाने के लिए मतदान होगा।
हिंदू मतदाता बीजेपी के बागी हुए बीते सप्ताह तक सीमांचल के बायसी, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामन, बहादुरगंज सीट पर एआईएमआईएम उम्मीदवारों का जबर्दस्त प्रभाव दिख रहा था। इसी तरह बरारी और कदवा में कांग्रेस के उम्मीदवार बाहरी होने के आरोपों से हलकान थे।
बता दें कि पहले बलरामपुर, कदवा, प्राणपुर, किशनगंज, सहित डेढ़ दर्जन सीटों पर हिंदू मतों में बिखराव के संकेत थे, लेकिन अब मतदाता वर्ग राजग के समर्थन में खड़ा दिखता है। कदवा, बरारी जैसी कुछ सीटों पर जहां जदयू के उम्मीदवार कमजोर हैं, वहां के हिंदू मतदाता बीजेपी के बागी हुए लोजपा उम्मीदवारों के पक्ष में गोलबंद होने का साफ संदेश दे रहे हैं।
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