नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के उनके आवास से कथित अपहरण के मामले में प्राथमिकी रद्द करने की पंजाब पुलिस की याचिका पर दिल्ली पुलिस से मंगलवार को जवाब तलब किया। पंजाब में साहिबजादा अजित सिंह नगर (एसएएस नगर) के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) मनप्रीत सिंह की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार और बग्गा को नोटिस जारी किया। न्यायमूॢत अनु मल्होत्रा ने कहा कि प्रतिवादी चार सप्ताह के अंदर अपना जवाब दाखिल करेंगे। उन्होंने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 26 जुलाई को सूचीबद्ध कर दिया।
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हालांकि, अदालत ने इस स्तर पर पंजाब सरकार द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर नोटिस जारी नहीं किया, जिसमें दिल्ली की एक जिला अदालत द्वारा पारित दो आदेशों को रद्द करने की मांग की गई थी। पहला आदेश बग्गा की खोज और पेशी, दूसरा पंजाब पुलिस की हिरासत से उसका पक्ष सुने बिना उसकी रिहाई के आदेश से संबंधित है। उच्च न्यायालय ने कहा कि वह याचिका पर नोटिस जारी करने के बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले मामले के पूरे रिकॉर्ड को देखेगा। कथित रूप से भड़काऊ बयान देने, वैमनस्य को बढ़ावा देने और आपराधिक धमकी देने के मामले में पंजाब पुलिस द्वारा बग्गा की गिरफ्तारी के बाद, दिल्ली पुलिस ने छह मई की देर रात पंजाब पुलिस र्किमयों के खिलाफ अपहरण के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की।
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पंजाब पुलिस ने अपनी याचिका में दावा किया कि जब वह बग्गा की गिरफ्तारी के बारे में सूचित करने के लिए छह मई को जनकपुरी पुलिस थाने पहुंची, तो दिल्ली पुलिस ने सहयोग करने से इनकार कर दिया और उन्हें अवैध रूप से हिरासत में ले लिया। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने पंजाब पुलिस के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 452 (बिना अनुमति घर में घुसना, चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी, हमला या गलत तरीके से दबाव बनाना), 392 (लूट), 342 (सदोष परिरोध), 365 (अपहरण), 295ए (विर्मिशत और विद्वेषपूर्ण कार्य जो किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आशय से किए गए हो) और 34 (सामान्य आशय) के तहत झूठी और मनगढ़ंत प्राथमिकी दर्ज की। बग्गा की वैध गिरफ्तारी के प्रासंगिक और महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाकर तलाशी वारंट प्राप्त किया, जिसके बाद पंजाब पुलिस के अधिकारियों को हरियाणा पुलिस ने हिरासत में लिया और आरोपी की कानूनी हिरासत से वंचित कर दिया।
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याचिका में कहा गया‘‘इसलिए, दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस के अधिकारियों द्वारा झूठी और मनगढ़ंत प्राथमिकी का उपयोग करके अवैध तरीके और प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया, जिसका इस्तेमाल पंजाब पुलिस के अधिकारियों को उनके कर्तव्य का विधिवत निर्वहन करने से रोकने के लिए किया गया । अज्ञात व्यक्तियों द्वारा आरोपी के अपहरण की मनगढ़ंत कहानी की आड़ में पंजाब राज्य के पुलिस अधिकारियों की वैध हिरासत से आरोपी को रिहा करने में मदद मिली।‘‘ पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह फिलहाल याचिका पर नोटिस जारी करने की मांग कर रहे हैं और तर्क दिया कि मजिस्ट्रेट ने बग्गा को रिहा करने का आदेश पंजाब पुलिस को सुने बिना दिया और नैर्सिगक न्याय की अवहेलना की गई।
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